भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक की संसद में पेश की गई वर्ष 2017-18 से 2020-21 के बीच की एक ऑडिट रिपोर्ट बताती है कि ट्रेन के पटरी से उतरने के लिए जिम्मेदार प्रमुख कारक ‘पटरियों के रखरखाव’ से संबंधित है. वहीं, ट्रैक नवीनीकरण कार्यों के लिए धन के आवंटन में कमी आई है और आवंटित धन का भी पूरा इस्तेमाल नहीं किया गया है.
नई दिल्ली: भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (कैग) की एक ऑडिट रिपोर्ट के अनुसार, 2017-18 और 2020-21 के बीच देश भर में हुईं 217 प्रमुख ट्रेन दुर्घटनाओं में से चार में से लगभग तीन घटनाएं ट्रेन के पटरी से उतरने के कारण हुईं.
इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय रेलवे में पटरी से उतरने का ऑडिट (परफॉर्मेंस ऑडिट ऑन डिरेलमेंट इन इंडियन रेलवेज) रिपोर्ट दिसंबर 2022 में संसद में पेश की गई थी. यह दिखाती है कि ट्रेन के पटरी से उतरने के लिए जिम्मेदार प्रमुख कारक ‘पटरियों के रखरखाव’ से संबंधित है.
इसमें कहा गया है कि ट्रैक नवीनीकरण कार्यों के लिए धन के आवंटन में वर्षों से गिरावट आई है और यहां तक कि आवंटित राशियों का ‘पूरी तरह से उपयोग’ भी नहीं किया जाता है.
रिपोर्ट से पता चलता है कि 217 ‘परिणामी ट्रेन दुर्घटनाओं’ में से 163 पटरी से उतरने के कारण हुईं, जो कुल परिणामी दुर्घटनाओं का लगभग 75 फीसदी है. इसके बाद ट्रेनों में आग लगने (20), मानव रहित लेवल-क्रॉसिंग पर दुर्घटनाएं (13), टक्कर (11), मानवयुक्त लेवल-क्रॉसिंग पर दुर्घटनाएं (8) और विविध (2) का नंबर आता है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि रेलवे बोर्ड ट्रेन दुर्घटनाओं को दो श्रेणियों में वर्गीकृत करता है: ‘परिणामी ट्रेन दुर्घटनाएं’ और ‘अन्य ट्रेन दुर्घटनाएं’. ‘परिणामी ट्रेन दुर्घटनाएं’ गंभीर नतीजों वाली रेल दुर्घटनाओं में शामिल होती हैं. इनमें जनहानि, चोट लगना, रेलवे संपत्ति की हानि और रेलवे ट्रैफिक में बाधा शामिल हैं.
परिणामी ट्रेन दुर्घटनाओं के अंतर्गत नहीं आने वाली अन्य सभी दुर्घटनाएं ‘अन्य ट्रेन दुर्घटनाओं’ के अंतर्गत आती हैं.
रिपोर्ट में कहा गया है कि ‘अन्य ट्रेन दुर्घटनाओं’ की श्रेणी में समीक्षा अवधि के दौरान 1800 दुर्घटनाएं हुईं. पटरी से उतरने की घटनाएं 68 फीसदी (1,229) रहीं.
रिपोर्ट कहती है, ‘परिणामी और गैर-परिणामी कुल 2017 (1800+217) में से पटरी से ट्रेन उतरने के कारण हुईं दुर्घटनाएं 2017-18 से 2020-21 के दौरान 1392 (69 फीसदी) रहीं.’
रिपोर्ट में कहा गया है कि चूंकि ‘अधिकतम दुर्घटनाएं’ पटरी से उतरने की श्रेणी में रिपोर्ट की गई थीं, इसलिए ऑडिट ‘पटरी से उतरने के कारण हुईं दुर्घटनाओं पर’ केंद्रित रहा.
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘16 क्षेत्रीय रेलवे (क्षेत्रीय रेलवे) और 32 मंडलों में हुईं 1,392 पटरी से उतरने की दुर्घटनाओं की 1129 ‘जांच रिपोर्ट’ (81 प्रतिशत) के विश्लेषण से पता चला है कि पटरी से उतरने के चुनिंदा मामलों में 33.67 करोड़ रुपये की संपत्ति की कुल हानि हुई है.
ऑडिट में 1129 मामलों/दुर्घटनाओं में ट्रेन के पटरी से उतरने के 23 कारकों को जिम्मेदार ठहराया गया है, जिनमें सबसे प्रमुख कारण ट्रैक के रखरखाव (167) से संबंधित है. 144 मामले खराब ड्रायविंग/ओवर स्पीड के हैं.
रिपोर्ट में इस पर भी प्रकाश डाला गया है कि ट्रैक नवीनीकरण कार्यों के लिए धन का आवंटन 2018-19 में 9607.65 करोड़ रुपये था, जो 2019-20 में गिरकर 7417 करोड़ रुपये रह गया और इसका भी पूरी तरह से उपयोग नहीं किया गया.
रिपोर्ट कहती है, ‘2017-21 के दौरान पटरी से उतरने की कुल घटनाओं में से 26 फीसदी घटनाएं (289) ट्रैक नवीनीकरण से जुड़ी थीं.’
मालूम हो कि ओडिशा के बालासोर जिले में शुक्रवार शाम (2 जून) हुई तीन ट्रेनों की भयानक टक्कर में लगभग 290 यात्रियों के मारे जाने के कुछ घंटों बाद रेलवे ने पुष्टि की है कि उक्त रेल मार्ग पर ‘कवच’ प्रणाली नहीं थी, जो एक्सप्रेस ट्रेनों को आपस में टकराने से रोक सकती थी.
दुर्घटना में विश्वेश्वरैया (बेंगलुरु)-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस (ट्रेन नंबर 12864), शालीमार-चेन्नई सेंट्रल कोरोमंडल एक्सप्रेस (ट्रेन नंबर 12841) और एक मालगाड़ी शामिल थीं.