मणिपुर पुलिस ने शनिवार को बताया कि बीते 2 जून को कांगपोकपी ज़िले की सीमा से सटे इंफाल पूर्व के फायेंग इलाके में भारी गोलीबारी हुई. गोलीबारी सुबह से शुरू होकर देर शाम तक जारी रही. घायल होने वालों में ज़्यादातर घाटी इलाकों के हैं. एक व्यक्ति की हालत गंभीर बताई जा रही है.
नई दिल्ली: मणिपुर पुलिस ने शनिवार को बताया कि शुक्रवार (2 जून) को कांगपोकपी जिले की सीमा से सटे इंफाल पूर्व के फायेंग इलाके में भारी गोलीबारी में कम से कम 16 लोग घायल हो गए.
घायल होने वालों में ज्यादातर घाटी इलाकों के हैं. एक व्यक्ति की हालत गंभीर बताई जा रही है. जानकारी के मुताबिक, घायलों का इलाज क्षेत्रीय आयुर्विज्ञान संस्थान में चल रहा है.
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, यह घटना मई की शुरुआत में शुरू हुई झड़पों को लेकर मौजूदा स्थिति का जायजा लेने के लिए राज्य के तीन दिवसीय दौरे के बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के राजधानी इंफाल से रवाना होने के एक दिन बाद हुई. यात्रा के दौरान शाह ने राज्य के विभिन्न हिंसा प्रभावित लोगों से मुलाकात की थी.
पुलिस अधिकारियों और स्थानीय निवासियों ने कहा कि शुक्रवार को गोलीबारी सुबह करीब 9:30 बजे शुरू हुई और देर शाम तक जारी रही.
फायेंग के रहने वाले अंगोम रबिकांत ने अखबार को बताया कि अत्याधुनिक हथियारों से लैस तीन बदमाशों ने सुबह करीब 9:30 बजे ग्रामीणों पर गोलियां चलाने से पहले उनके फार्महाउस में आग लगा दी. रबिकांत ने कहा कि तीनों ‘संदिग्ध कुकी उग्रवादी’, पहाड़ियों के किनारे से नीचे आए और ‘मेरे फार्महाउस में आग लगा दी’.
उनके अनुसार, इसके बाद लाइसेंसी हथियारों से लैस ग्रामीणों ने बदमाशों पर गोलीबारी की, जिसके बाद वे वापस चले गए.
स्थानीय निवासियों ने कहा कि जैसे ही यह खबर फैली आसपास के इलाकों के विभिन्न हिस्सों से सैकड़ों लोग, जिनमें कुछ स्वचालित राइफलों सहित कई हथियार लिए थे, गांव की ओर दौड़े और इन सशस्त्र व्यक्तियों के बीच तेज गोलीबारी शुरू हो गई.
फायेंग इंफाल के आसपास के इलाकों के उन कई गांवों में से एक है, जहां बीते 3 मई को पहली बार संघर्ष शुरू होने के बाद से कुकी उग्रवादियों के संदिग्ध सशस्त्र बदमाशों ने हमला किया है. यहां आखिरी घटना 28 मई को हुई थी, जिसमें एक ग्रामीण की मौत हो गई थी.
मणिपुर सचिवालय द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है कि 3 मई को भड़की हिंसा में अब तक 98 लोगों की जान जा चुकी है और लगभग 4,000 हथियार राज्य बलों और पुलिस के ‘शस्त्रागार से लूटे गए’ हैं.
राज्य और केंद्रीय सशस्त्र बलों ने चोरी हुए हथियारों की बरामदगी के लिए बीते गुरुवार (1 जून) से राज्य भर में व्यापक तलाशी अभियान शुरू किया है. शनिवार को सुरक्षाबलों ने भारी मात्रा में हथियार और गोला-बारूद भी बरामद किया.
सेना के एक बयान के अनुसार, शनिवार को सेना और असम राइफल्स के जवानों ने राज्य पुलिस और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल के जवानों के साथ पूरे मणिपुर में इलाके में वर्चस्व अभियान शुरू किया.
बयान के अनुसार, ‘छीन लिए गए हथियारों’ की बरामदगी के लिए संयुक्त रणनीति के हिस्से के रूप में, ये ऑपरेशन शांति बहाल करने के लिए महत्वपूर्ण हैं और लगातार तरीके से जारी रहेंगे.’
बयान में कहा गया है कि मानव रहित हवाई वाहनों और क्वाडकॉप्टरों की निगरानी में किए गए अभियानों में अब तक लगभग 40 हथियार (ज्यादातर स्वचालित), मोर्टार, गोला-बारूद और अन्य बरामद किए गए हैं.
बयान के अनुसार, इन अभियानों के दौरान यह सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त उपाय किए गए कि स्थानीय लोगों को परेशान न किया जाए और व्यक्तिगत सुरक्षा और सुरक्षा बनी रहे.
सूत्रों ने कहा कि शुक्रवार को 11 मैगजीन के साथ 144 ‘चोरी किए गए’ हथियार बरामद किए गए. सूत्रों ने बताया कि जब्त किए गए हथियारों में 29 एसएलआर, 15 कार्बाइन, 12 इंसास, 10 ग्रेनेड लॉन्चर समेत अन्य हथियार शामिल हैं.
मालूम हो कि राज्य में बहुसंख्यक मेईतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने के मुद्दे पर पनपा तनाव 3 मई को तब हिंसा में तब्दील हो गया, जब इसके विरोध में राज्य भर में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ निकाले गए थे.
यह मुद्दा एक बार फिर तब ज्वलंत हो गया था, जब मणिपुर हाईकोर्ट ने बीते 27 मार्च को राज्य सरकार को निर्देश दिया था कि वह मेईतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने के संबंध में केंद्र को एक सिफारिश सौंपे.
ऐसा माना जाता है कि इस आदेश से मणिपुर के गैर-मेईतेई निवासी जो पहले से ही अनुसूचित जनजातियों की सूची में हैं, के बीच काफी चिंता पैदा हो गई थी.
बीते 17 मई को सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर हाईकोर्ट द्वारा राज्य सरकार को अनुसूचित जनजातियों की सूची में मेईतेई समुदाय को शामिल करने पर विचार करने के निर्देश के खिलाफ ‘कड़ी टिप्पणी’ की थी. शीर्ष अदालत ने इस आदेश को तथ्यात्मक रूप से पूरी तरह गलत बताया था.
मणिपुर में मेईतेई समुदाय आबादी का लगभग 53 प्रतिशत है और ज्यादातर इंफाल घाटी में रहते हैं. आदिवासी, जिनमें नगा और कुकी शामिल हैं, आबादी का 40 प्रतिशत हिस्सा हैं और ज्यादातर पहाड़ी जिलों में रहते हैं, जो घाटी इलाके के चारों ओर स्थित हैं.