कुकी छात्र संगठन पर कुकी आतंकवादियों का समर्थन करने और सुरक्षा बलों को बदनाम करने के लिए फ़र्ज़ी समाचार प्रकाशित करने का आरोप है. कुकी समुदाय पर हमला करने के आरोपों से घिरे एक समूह और मणिपुर के मुख्यमंत्री के बीच संबंधों के बारे में फ़र्ज़ी ख़बरें फैलाने के आरोप में एक यूट्यूब चैनल पर भी केस किया गया है.
नई दिल्ली: मणिपुर में कुकी छात्र संगठन (केएसओ) के खिलाफ कथित रूप से ‘कुकी आतंकवादियों का समर्थन करने और केंद्रीय तथा राज्य सुरक्षा बलों को बदनाम करने के लिए फर्जी समाचार प्रकाशित करने’ के लिए एक पुलिस केस दर्ज किया गया है.
इंफाल पश्चिम पुलिस थाने में दर्ज एफआईआर में कहा गया है कि केएसओ ने बुधवार (7 जून) को अपने प्रेस बयान में मणिपुर पुलिस कमांडो और भारतीय सेना पर लांछन लगाया था, जो मणिपुर में सामान्य स्थिति लाने में सक्रिय रूप से शामिल हैं.
एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, एफआईआर के साथ संलग्न कुकी छात्र संगठन के बयान में कहा गया है, ‘यह चौंकाने वाला है कि भारतीय सेना में तैनात मेईतेई अधिकारी कई मौकों पर अपराधियों में शामिल हो गए हैं.’
एफआईआर में कहा गया है कि केएसओ का प्रयास राज्य पुलिस बलों, भारतीय सेना, विशेष रूप से बीएसएफ (सीमा सुरक्षा बल) को बदनाम करने और गिराने का था. उक्त संगठन और उसके सदस्यों ने सेना के अधिकारियों और उनके परिवार के सदस्यों की सुरक्षा के साथ जान-बूझकर समझौता किया है, जिससे सेना के अधिकारियों को बिना किसी भय या पक्षपात के देश की सेवा करने में सीधे बाधा आती है.
भारतीय सेना के स्पीयर कॉर्प्स द्वारा किए गए एक ट्वीट में सुरक्षा बलों में जातीय संरचना से जुड़ी गलत सूचना फैलाने के खिलाफ चेतावनी देने के कुछ दिनों बाद यह एफआईआर दर्ज की गई है.
𝘼𝙡𝙡 𝙧𝙖𝙣𝙠𝙨 𝙤𝙛 #𝙄𝙣𝙙𝙞𝙖𝙣𝘼𝙧𝙢𝙮 𝙖𝙧𝙚 𝙧𝙖𝙘𝙚, 𝙘𝙖𝙨𝙩𝙚, 𝙘𝙧𝙚𝙚𝙙 & 𝙜𝙚𝙣𝙙𝙚𝙧 𝙖𝙜𝙣𝙤𝙨𝙩𝙞𝙘- "𝙛𝙖𝙞𝙧 𝙩𝙤 𝙖𝙡𝙡 & 𝙛𝙚𝙖𝙧 𝙣𝙤𝙣𝙚"
Our reply 👆to social media posts divulging details of officers of a particular community posted in #Manipur pic.twitter.com/uyn4OEUt8S
— SpearCorps.IndianArmy (@Spearcorps) June 1, 2023
स्पीयर कॉर्प्स ने मणिपुर में तैनात एक विशेष समुदाय के अधिकारियों के विवरण का खुलासा करने के खिलाफ चेतावनी देते हुए 1 जून को ट्वीट किया, ‘भारतीय सेना के सभी रैंक नस्ल, जाति, पंथ और लिंग भेदभाव से परे हैं. यह सभी के लिए निष्पक्ष हैं और किसी से डरते नहीं हैं.’
रिपोर्ट के अनुसार, कुकी समुदाय पर हमला करने के आरोपों से घिरे नागरिक समाज समूह ‘अरंबाई टेंगोल’ और मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह के बीच संबंधों के बारे में कथित रूप से फर्जी खबरें फैलाने के लिए ‘पॉकेट टीवी नेटवर्क’ नामक एक यूट्यूब चैनल के खिलाफ भी पुलिस शिकायत दर्ज की गई है.
बीते 29 मई को मणिपुर सरकार ने राज्य में संवेदनशील कानून-व्यवस्था की स्थिति के बीच लोगों को सोशल मीडिया पर फर्जी खबरें और गलत सूचना फैलाने के खिलाफ चेतावनी दी थी. एक आदेश में मणिपुर सरकार ने कहा था, ‘गलत जानकारी फैलाना या प्रसार करना देशद्रोह के बराबर माना जाएगा.’
पुलिस शिकायत में कहा गया है कि पॉकेट टीवी नेटवर्क और अंकल टीविजन द्वारा प्रसारित वीडियो फर्जी खबर है, जिसका उद्देश्य मुख्यमंत्री और अन्य नेताओं की छवि धूमिल और बदनाम करना है.
कुकी छात्र संगठन ने अभी तक एफआईआर में लगाए गए आरोपों का जवाब नहीं दिया है.
रिपोर्ट के अनुसार, कुकी जनजाति आज भी अलग प्रशासन बनाने की मांग पर अड़ी रही. जनजाति के शीर्ष निकाय कुकी इन्पी मणिपुर ने गृह मंत्री अमित शाह को एक पत्र लिखा, जिसमें मेईतेई समुदाया पर मणिपुर में हिंसा का आरोप लगाया गया और कहा, ‘बहुसंख्यक मेईतेई द्वारा कुकी के खिलाफ यह एक पूर्व नियोजित जातीय सफाई अभियान है.’
कुकी इन्पी मणिपुर के महासचिव खैखोराध गंगटे ने प्रतिद्वंद्वी नागरिक समाज समूह का जिक्र करते हुए, जिस पर आदिवासियों पर हमला करने का आरोप लगाया गया है, कहा, ‘मीडिया को हाल ही में दिए एक साक्षात्कार के दौरान मेइतेई लीपुन प्रमुख प्रमोत सिंह ने एक भयानक रहस्योद्घाटन किया कि उन्हें और उनके संगठन को कुकी लोगों के खिलाफ नरसंहार की योजना के बारे में पता था.’
रिपोर्ट के अनुसार, मणिपुर में 3 मई को हिंसा शुरू होने के एक हफ्ते बाद कम से कम 10 आदिवासी विधायकों, जिनमें सत्तारूढ़ भाजपा के सात विधायक शामिल हैं, ने एक अलग प्रशासन की मांग करते हुए कहा था कि वे अब मेईतेई के साथ सह-अस्तित्व में नहीं रह सकते.
गृह मंत्रालय ने बृहस्पतिवार को मणिपुर में आंतरिक रूप से विस्थापित लोगों के लिए 101.75 करोड़ रुपये के राहत पैकेज को मंजूरी दी. गृह मंत्री अमित शाह ने मणिपुर के अपने चार दिवसीय दौरे के दौरान राज्य सरकार से राहत पैकेज के लिए प्रस्ताव भेजने को कहा था.
वर्तमान में मणिपुर के 13 जिलों में विभिन्न समुदायों के लगभग 37,450 लोगों को सामुदायिक हॉल सहित 272 राहत शिविरों में आश्रय दिया जा रहा है.
सेना विद्रोही समूहों के मणिपुर शिविरों पर औचक निरीक्षण कर रही है, जिन्होंने केंद्र और राज्य सरकार के साथ ‘ऑपरेशन के निलंबन’ या एसओओ (Suspension of Operations) समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं.
25 से अधिक कुकी विद्रोही समूहों ने एसओओ समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसके तहत उन्हें सरकार द्वारा चिह्नित शिविरों तक सीमित रखा जाएगा और हथियारों को भंडारण में रखा जाएगा, नियमित निगरानी की जाएगी.
मालूम हो कि मणिपुर में एक महीने पहले भड़की जातीय हिंसा में कम से कम 98 लोगों की जान चली गई थी और 310 अन्य घायल हो गए. वर्तमान में तकरीबन 37,450 लोग 272 राहत शिविरों में शरण लिए हुए हैं.
मणिपुर में बीते 3 मई को भड़की जातीय हिंसा लगभग एक महीने से जारी है. बहुसंख्यक मेईतेई समुदाय की एसटी दर्जे की मांग के कारण राज्य में तनाव शुरू हुआ था, जिसे पहाड़ी जनजातियां अपने अधिकारों पर अतिक्रमण के रूप में देखती हैं. इस हिंसा के बाद आदिवासी नेता अब अलग प्रशासन की मांग कर रहे हैं.
यह मुद्दा फिर उभरा, जब मणिपुर हाईकोर्ट ने बीते 27 मार्च को राज्य सरकार को निर्देश दिया था कि वह मेईतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने के संबंध में केंद्र को एक सिफारिश सौंपे.
ऐसा माना जाता है कि हाईकोर्ट के आदेश से मणिपुर के गैर-मेईतेई निवासी, जो पहले से ही अनुसूचित जनजातियों की सूची में हैं, चिंतित हो गए, जिसके परिणामस्वरूप 3 मई को आदिवासी संगठनों द्वारा निकाले गए निकाले गए एक विरोध मार्च के दौरान जातीय हिंसा भड़क उठी.
एसटी का दर्जा मिलने से मेईतेई सार्वजनिक नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण के हकदार होंगे और उन्हें वन भूमि तक पहुंच प्राप्त होगी. लेकिन राज्य के मौजूदा आदिवासी समुदायों को डर है कि इससे उनके लिए उपलब्ध आरक्षण कम हो जाएगा और सदियों से वे जिन जमीनों पर रहते आए हैं, वे खतरे में पड़ जाएंगी.
मणिपुर में मेईतेई समुदाय आबादी का लगभग 53 प्रतिशत है और ज्यादातर इंफाल घाटी में रहते हैं. आदिवासी, जिनमें नगा और कुकी शामिल हैं, आबादी का 40 प्रतिशत हिस्सा हैं और ज्यादातर पहाड़ी जिलों में रहते हैं, जो घाटी इलाके के चारों ओर स्थित हैं.
बीते 17 मई को सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर हाईकोर्ट द्वारा राज्य सरकार को अनुसूचित जनजातियों की सूची में मेईतेई समुदाय को शामिल करने पर विचार करने के निर्देश के खिलाफ ‘कड़ी टिप्पणी’ की थी. शीर्ष अदालत ने इस आदेश को तथ्यात्मक रूप से पूरी तरह गलत बताया था.