ज्ञानपीठ और पद्मभूषण से सम्मानित कुंवर नारायण जुलाई महीने में ब्रेन हेमरेज के बाद से कोमा में थे.
नई दिल्ली: हिंदी के वरिष्ठ कवि और ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित कुंवर नारायण का आज निधन हो गया. वे 90 वर्ष के थे.
पारिवारिक सूत्रों ने बताया कि कुंवर नारायण का आज सुबह निधन हुआ. बीती चार जुलाई को मस्तिष्काघात के बाद वह कोमा में चले गये थे. उसके कारण उन्हें बीच-बीच में काफी समय अस्पताल में भी भर्ती रखा गया था.
उनका निधन आज उनके चितरंजन पार्क स्थित घर पर हुआ. उनका अंतिम संस्कार आज शाम दिल्ली के लोधी शव दाहगृह में किया जायेगा.
कुंवर नारायण का जन्म 9 सितंबर 1927 को उत्तर प्रदेश के फैजाबाद में हुआ. उन्होंने कविता के अलावा कहानी एवं आलोचना विधाओं में लिखा. उनके कविता संग्रह में चक्रव्यूह, परिवेश: हम तुम, आत्मजयी, अपने सामने, कोई दूसरा नहीं, इन दिनों, वाजश्रवा के बहाने, हाशिये का गवाह प्रमुख हैं.
अज्ञेय द्वारा संपादित तीसरा सप्तक के कवियों में कुंवर नारायण भी शामिल थे. आकारों के आसपास नाम से उनका कहानी संग्रह भी आया था. आज और आज से पहले उनका आलोचना ग्रन्थ है. उनकी रचनाओं का इतालवी, फ्रेंच, पोलिश सहित विभिन्न विदेशी भाषाओं में किया जा चुका है.
उन्हें हिंदुस्तानी अकादमी पुरस्कार, प्रेमचंद पुरस्कार, तुलसी पुरस्कार, केरल का कुमारन अशान पुरस्कार, व्यास सम्मान, श्लाका सम्मान हिंदी अकादमी दिल्ली, उ.प्र. हिंदी संस्थान पुरस्कार, ज्ञानपीठ पुरस्कार, कबीर सम्मान मिल चुका था. साहित्य अकादमी ने उन्हें अपना वृहत्तर सदस्य बनाकर सम्मानित किया था.
साहित्य सेवा के लिए भारत सरकार द्वारा उन्हें पद्मभूषण से सम्मानित किया था. उनके निधन पर साहित्य जगत की हस्तियों सहित कई नेताओं ने भी शोक व्यक्त किया है.
#UPCM श्री #YogiAdityanath ने उत्तर प्रदेश के फैजाबाद में जन्मे साहित्य अकादमी व ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित कवि व साहित्यकार श्री कुंवर नारायण जी के निधन पर शोक व्यक्त किया है।
— CM Office, GoUP (@CMOfficeUP) November 15, 2017
बेहद दुखद.मेरे आपके हमारे प्रिय कवि, पद्मभूषण,ज्ञानपीठ वरिष्ठ कवि श्री कुँवर नारायण श्वांस के छंद से मुक्त हो कर सुर के महालोक की प्रयाण कर गए ! संभव हो तो अपनी रचना में रची-बसी इसी आस्था से लबरेज़ लौट आना हमारे प्रिय कवि 😢 pic.twitter.com/LA9QGHHBa4
— Dr Kumar Vishvas (@DrKumarVishwas) November 15, 2017
सबमें प्रवाहित हूँ, लेकिन अंतर्ध्यान.
– हमारे भीतर इसी तरह बहते रहेंगे कुँवर नारायण. उन्हें नमन.
तस्वीर : @jianuragji #KunwarNarain pic.twitter.com/LilXuwtTqf
— Geet Chaturvedi (@GeetChaturvedi) November 15, 2017
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)