मणिपुर हिंसा: लूटे गए हथियार वापस लेने के लिए भाजपा विधायक के घर के बाहर ‘ड्रॉप बॉक्स’ रखा गया

मणिपुर में बीते महीने शुरू हुई हिंसा के दौरान थानों और सरकारी शस्त्रागारों से बड़ी संख्या में हथियार और गोला-बारूद लूटे जाने की घटनाएं देखी गई थीं. अब भाजपा विधायक एल. सुसिंद्रो ने इंफाल में अपने घर के बाहर एक 'ड्रॉप बॉक्स' रखते हुए नागरिकों से इन हथियारों को लौटाने की अपील की है.

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भाजपा विधायक एल. सुसिंद्रो के इंफाल पूर्वी स्थित घर के बाहर हथियार वापस करने के लिए लगा ड्रॉप बॉक्स. (फोटो साभार: ट्विटर)

मणिपुर में बीते महीने शुरू हुई हिंसा के दौरान थानों और सरकारी शस्त्रागारों से बड़ी संख्या में हथियार और गोला-बारूद लूटे जाने की घटनाएं देखी गई थीं. अब भाजपा विधायक एल. सुसिंद्रो ने इंफाल में अपने घर के बाहर एक ‘ड्रॉप बॉक्स’ रखते हुए नागरिकों से इन हथियारों को लौटाने की अपील की है.

भाजपा विधायक एल. सुसिंद्रो के इंफाल पूर्वी स्थित घर के बाहर हथियार वापस करने के लिए लगा ड्रॉप बॉक्स. (फोटो साभार: ट्विटर)

नई दिल्ली: मणिपुर के भाजपा विधायक एल. सुसिंद्रो ने शुक्रवार को अपने इंफाल पूर्वी आवास के बाहर एक ड्रॉप-बॉक्स रखते हुए मणिपुर राइफल्स और इंडिया रिजर्व बटालियन के थानों और शस्त्रागारों को लूटने वालों से ‘छीने हुए हथियार’ वापस करने का आग्रह किया.

टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार, इस पर ‘फील फ्री टू डू सो’ यानी बेझिझक ऐसा करें भी लिखा है. इंफाल पूर्वी जिले की खुरई सीट से विधायक सुसिंद्रो टिप्पणी के लिए उपलब्ध नहीं थे, लेकिन एक सूत्र ने बताया कि हथियार लौटाने वाले किसी भी व्यक्ति से पूछताछ नहीं की जाएगी, न ही उनकी पहचान पूछी जाएगी.

उल्लेखनीय है कि तीन मई से राज्य में शुरू हुए जातीय संघर्षों के दौरान भीड़ ने पुलिस शस्त्रागार को निशाना बनाकर 4,000 से अधिक हथियार और हजारों राउंड गोलियां आदि छीन लिए थे.

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और सीएम एन. बीरेन सिंह की इन्हें वापस लौटने की अपील के बीच सुरक्षा बलों ने तलाशी अभियान के दौरान 900 से अधिक हथियार बरामद किए हैं. इनमें से कई हथियारों को जंगलों और अन्य सुनसान जगहों पर फेंक दिया गया था.

अधिकारियों ने बताया कि गुरुवार को सुरक्षा बलों द्वारा संयुक्त तलाशी अभियान के दौरान कम से कम 35 हथियार और युद्ध जैसी सामग्री बरामद की गई.

इंफाल घाटी के संगठनों के एक समूह- कोऑर्डिनेटिंग कमेटी ऑन मणिपुर इंटीग्रिटी ने एक सम्मेलन में कहा कि स्थिति सामान्य होने तक लोगों को हथियार रखने की जरूरत है. हथियार वापस लिए जाने के बजाय नागरिकों को ‘मणिपुर की रक्षा और सुरक्षा’ के लिए और अधिक हथियार दिए जाने चाहिए.

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, मणिपुर सरकार के सुरक्षा सलाहकार कुलदीप सिंह ने गुरुवार को बताया था कि राज्य में सुरक्षा बलों ने अब तक 11,763 गोलियां, 896 हथियार और 200 बम बरामद किए हैं.

लूटे गए हथियारों की संख्या के बारे में कोई आधिकारिक अनुमान मौजूद नहीं है. हालांकि अधिकारियों ने पहले कहा था कि दंगा प्रभावित राज्य में ग्रेनेड और मोर्टार सहित कम से कम 5,00,000 गोला बारूद और लगभग 3,500 हथियार लूटे गए थे.

मणिपुर प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि वे लूटे गए हथियारों का एक बड़ा हिस्सा, जिसे बड़े पैमाने पर दंगाई भीड़ द्वारा ले जाया गया था, को बरामद करने के लिए आश्वस्त थे. हालांकि, उन्होंने चेतावनी दी कि इस पूरी प्रक्रिया में समय लगेगा क्योंकि दो मुख्य समुदायों- कुकी और मेईतेई के बीच अब भी संघर्ष जारी है.

एक अधिकारी ने नाम न छापने का अनुरोध करते हुए इस अख़बार से कहा, ‘हम इन सबको वापस पाने में सफल होंगे. अंततः यही होगा.’

एक अन्य अधिकारी ने बताया कि सेना की बरामदगी के प्रयास तकनीकी जानकारी के साथ-साथ मुखबिरों से मिली खुफिया जानकारी से के हिसाब से चल रहे हैं. ‘खुफिया जानकारी मिलने के बाद कुछ हिस्सों में तलाशी अभियान चलाया जाता है. ऐसा नहीं है कि हर घर की तलाशी ली जाती है.’

एक तीसरे अधिकारी ने कहा कि हथियार वापस लेने की यह प्रक्रिया लंबी हो सकती है क्योंकि कुछ हथियार उन लोगों  द्वारा नहीं लिए गए थे जो उग्रवादी समूहों से संबद्ध नहीं थे.

उनके अनुसार, ‘यहां तक कि जिन लोगों का कोई रिकॉर्ड नहीं है या जिनके उग्रवादी समूहों से संबंध हैं, उन्होंने हिंसा के चरम पर भीड़ में होने का फायदा उठाते हुए गोलियां आदि उठा ले गए. चूंकि की घटनाएं अब भी हो रही हैं, ऐसे में यह संभव है कि अधिकांश लोग इन्हें सरेंडर नहीं कर रहे हैं.’

इन अधिकारी ने बताया कि लूटे गए सामान में ग्रेनेड, मोर्टार और ग्रेनेड लॉन्चर भी शामिल हैं. उन्होंने जोड़ा, ‘इस बात की संभावना है कि अगर लोग हथियार वापस नहीं देते हैं तो राज्य प्रशासन सख्त कदम उठाएगा… इसमें पासपोर्ट रद्द किया जा सकता है, उनके नाम सरकारी योजनाओं से हटाए जा सकते हैं या उनसे हुए आर्थिक नुकसान की भरपाई की जा सकती है.’

मालूम हो कि मणिपुर में बीते 3 मई को भड़की जातीय हिंसा लगभग एक महीने से जारी है. बहुसंख्यक मेईतेई समुदाय की एसटी दर्जे की मांग के कारण राज्य में तनाव शुरू हुआ था, जिसे पहाड़ी जनजातियां अपने अधिकारों पर अतिक्रमण के रूप में देखती हैं. हिंसा में लगभग 100 लोगों की जान चली गई है और कई लोग विस्थापित हुए हैं.

मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा जारी एक आधिकारिक बयान के अनुसार, घायलों की संख्या 310 है और आगजनी के मामलों की संख्या 4,104 है.

बयान में कहा गया है कि कुल 3,734 एफआईआर दर्ज की गई हैं, जिनमें इंफाल पश्चिम जिले में सबसे ज्यादा 1,257 एफआईआर दर्ज की गई हैं, इसके बाद कांगपोकपी में 932 और बिष्णुपुर में 844 एफआईआर दर्ज की गई हैं.

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