कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने द हिंदू अख़बार में प्रकाशित शैव मठ ‘तिरुववदुथुरई अधीनम’ के प्रधान पुजारी के एक इंटरव्यू का हवाला दिया, जिसमें उन्होंने कहा था कि इस बात का कोई स्पष्ट दस्तावेज़ी सबूत नहीं है कि प्रधानमंत्री नेहरू को सौंपे जाने से पहले सेंगोल भारत के अंतिम वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन को दिया गया था.
नई दिल्ली: कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने बीते शुक्रवार को कहा कि सेंगोल (राजदंड) अंग्रेजों से भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को सत्ता के हस्तांतरण का प्रतीक के तौर पर मिला था, यह दावा बेनकाब हो गया है.
जयराम रमेश ने द हिंदू अखबार में प्रकाशित शैव मठ ‘तिरुववदुथुरई अधीनम’ के प्रधान पुजारी के एक इंटरव्यू का हवाला दिया, जिसमें उन्होंने कहा था कि इस बात का कोई स्पष्ट दस्तावेजी सबूत नहीं है कि नेहरू को सौंपे जाने से पहले सेंगोल भारत के अंतिम वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन को दिया गया था.
इसी मठ के द्वारा सेंगोल पंडित नेहरू को भेंट किया गया था.
बीते 28 मई को नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह के दौरान इसे यहां स्थापित करने से पूर्व केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने दावा किया था कि ‘सेंगोल’ नामक स्वर्ण राजदंड 15 अगस्त, 1947 को सत्ता हस्तांतरण के प्रतीक के तौर पर ब्रिटिश भारत के अंतिम वायसरॉय लॉर्ड माउंटबेटन ने भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को सौंपा था.
हालांकि तमाम विशेषज्ञों ने सरकार के इस दावे को खारिज किया है.
इसी कड़ी में जयराम रमेश ने ट्विटर पर लिखा, ‘तो भाजपा की ‘झूठ की फैक्ट्ररी’ का पर्दाफाश आज किसी और ने नहीं बल्कि द हिंदू में तिरुववदुथुरई अधीनम के श्रद्धेय प्रमुख स्वामीगल ने किया है. 14 अगस्त, 1947 को सत्ता के आधिकारिक हस्तांतरण में न तो माउंटबेटन और न ही राजाजी (सी. राजगोपालाचारी) किसी का हिस्सा नहीं था. लेकिन हां, राजसी ‘सेंगोल’ वास्तव में नेहरू को भेंट किया गया था, जैसा कि मैं हमेशा से कहता रहा हूं.’
So the BJP's FakeFactory stands exposed today by none other than the revered head Swamigal of the Thiruvavaduthurai Adheenam himself in The Hindu. No Mountbatten, No Rajaji, No part in OFFICIAL transfer of power on August 14th 1947. But yes the majestic Sengol was indeed… pic.twitter.com/OKRXBYZg7o
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) June 9, 2023
उन्होंने आगे कहा, ‘यहां कुछ और तथ्य हैं जो आज के राजा (प्रधानमंत्री मोदी) और उनके ढोल पीटने वालों के झूठ से पर्दा हटाने के लिए हैं.’ ,
इस ट्वीट में उन्होंने 29 अगस्त 1947 के द हिंदू संस्करण के पृष्ठ 10 पर एक विज्ञापन की तस्वीर भी साझा की जिसमें नेहरू को उनके आवास पर 14 अगस्त, 1947 की रात 10 बजे राजदंड (सेंगोल) को उन्हें देने के बारे में उल्लेख किया गया था.
इस लंबे ट्वीट में उन्होंने कहा, ‘यह स्पष्ट रूप से थिरुववदुथुराई अधीनम की एक पहल थी. फोटो में प्रसिद्ध नागास्वरम गुणी टीएन राजरत्नम पिल्लई भी हैं. केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय की एक वेबसाइट पर एक लेख में उनके बारे में कहा गया है, जब भारत ने स्वतंत्रता प्राप्त की, तो थिरुववदुथुराई मठ के पंडारसन्नधि द्वारा राजरत्नम को दिल्ली भेजा गया था, ताकि उनकी ओर से ठोस सोने का सेंगोल (ईमानदार प्रशासन का प्रतीक) भेंट की जा सके.
उन्होंने कहा, ‘राजारत्नम इस गौरवपूर्ण विशेषाधिकार से रोमांचित थे. डॉ. पी. सुब्बारायन ने ही उन्हें प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू से मिलवाया था, जिनसे राजरत्नम ने सेंगोल सौंपने से पहले नागस्वरम की भूमिका निभाई थी.’
उन्होंने कहा, ‘इसमें माउंटबेटन या राजाजी का भी कोई उल्लेख नहीं है. राजरत्नम पिल्लई खुद एक प्रसिद्ध जापानी नृवंशविज्ञानी की एक नई बायोग्राफी का विषय हैं, जिसमें 14 अगस्त 1947 की घटना का उल्लेख किया गया है.’