ऊटी कोर्ट में महिला वकीलों के लिए शौचालय सुविधाओं के अभाव पर सुप्रीम कोर्ट ने संज्ञान लिया

तमिलनाडु के ऊटी में एक अदालत परिसर में महिला वकीलों के लिए शौचालय सुविधाओं की कमी पर प्रकाशित एक मीडिया रिपोर्ट पर स्वतः संज्ञान लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इस बारे में मद्रास हाईकोर्ट से विस्तृत रिपोर्ट मांगी है.

ऊटी का संयुक्त अदालत परिसर. (फोटो साभार: सबरंग इंडिया)

तमिलनाडु के ऊटी में एक अदालत परिसर में महिला वकीलों के लिए शौचालय सुविधाओं की कमी पर प्रकाशित एक मीडिया रिपोर्ट पर स्वतः संज्ञान लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इस बारे में मद्रास हाईकोर्ट से विस्तृत रिपोर्ट मांगी है.

ऊटी का संयुक्त अदालत परिसर. (फोटो साभार: सबरंग इंडिया)

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को तमिलनाडु के ऊटी में हाल ही में उद्घाटन किए गए अदालत परिसर में महिला वकीलों के लिए शौचालय सुविधाओं की कमी पर प्रकाशित एक मीडिया रिपोर्ट का स्वत: संज्ञान लिया है और इस बारे में मद्रास हाईकोर्ट प्रशासन से विस्तृत रिपोर्ट मांगी.

हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार, लीगल न्यूज़ वेबसाइट बार एंड बेंच में बीते सप्ताह प्रकाशित हुई इस रिपोर्ट को देखने के बाद सीजेआई धनंजय वाई. चंद्रचूड़ ने इस मामले का स्वत: संज्ञान लेने का निर्णय लेते हुए इसे अवकाश पीठ के समक्ष रखने का निर्देश दिया था.

छह जून को प्रकाशित बार एंड बेंच की रिपोर्ट में करीब तीन दशकों से अदालत परिसर में शौचालय के लिए संघर्ष कर रही महिला वकीलों की दुर्दशा की बात की गई थी.

इसमें यह भी बताया गया था कि अप्रैल में सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप और उस समय मद्रास उच्च न्यायालय के आश्वासन के बावजूद शौचालय सुविधाओं की कमी उनकी निजता, सुरक्षा और हाइजीन से जुड़ी चिंताओं की वजह है.

6 जून को उच्च न्यायालय प्रशासन से रिपोर्ट मांगने के बाद सीजेआई ने ऊटी की महिला वकीलों के एक समूह द्वारा दायर एक रिट याचिका, जिसे अप्रैल में हाईकोर्ट प्रशासन के आश्वासन पर निपटा दिया गया था, पर अदालत के प्रस्ताव पर नया आवेदन दाखिल करने का निर्देश दिया था. बताया गया है कि सीजेआई अभी देश से बाहर हैं.

शुक्रवार को सुनवाई के दौरान जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस राजेश बिंदल की अवकाश पीठ ने मद्रास हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल की 6 जून की रिपोर्ट पर असंतोष व्यक्त किया.उन्होंने इस बात पर खेद व्यक्त किया कि रिपोर्ट में उधगमंडलम (ऊटी) में पिछले अक्टूबर में उद्घाटन किए गए नए संयुक्त अदालत परिसर में महिला वकीलों को उपलब्ध सुविधाओं के विवरण का अभाव था.

पीठ ने हाईकोर्ट की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता एस. गुरु कृष्णकुमार से कहा था, ‘हमें रजिस्ट्रार जनरल से अधिक विस्तृत रिपोर्ट की चाहिए.. आपके रजिस्ट्रार जनरल की रिपोर्ट अलग कमरे और शौचालय के बारे में कुछ नहीं बताया गया है. हमें तस्वीरें और योजना दिखाएं.’

इस पर कुमार ने दावा किया कि शौचालय सुविधाओं की कमी का मुद्दा महिला वकीलों के एक समूह द्वारा उठाया जा रहा है, जिनके पास इस मसले को लेकर पंजीकृत महिला बार एसोसिएशन के पास जाने का अधिकार है. इस पर पीठ ने कहा, ‘हम इस मुद्दे पर खुद संज्ञान ले रहे हैं.’

अदालत ने कहा कि रजिस्ट्रार जनरल ने 6 जून को एक रिपोर्ट प्रस्तुत की. ‘… हालांकि, इस रिपोर्ट में विस्तार से बताया नहीं गया है कि नए अदालत परिसर में महिला वकीलों के लिए किस तरह की सुविधाएं हैं और क्या ऐसी सुविधाएं जो पहले उपलब्ध थीं, को लेकर कोई कमी थी या नहीं.

पीठ ने मामले की अगली सुनवाई 12 जून तय करते हुए हाईकोर्ट प्रशासन को 48 घंटे के भीतर विस्तृत रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया और कहा कि नई रिपोर्ट देखने के बाद अदालत आगे के आदेश देगी.

पीठ ने ऊटी की बार एसोसिएशन को सुनवाई की अगली तारीख पर अदालत में शामिल रहने की भी अनुमति दी.

इससे पहले शुक्रवार को नीलगिरिज़ बार एसोसिएशन की ओर से पेश वरिष्ठ वकील वी. मोहना ने कहा कि शौचालय सुविधाओं की कमी के खिलाफ शिकायत और इस मुद्दे पर मीडिया रिपोर्ट्स से एसोसिएशन की बदनामी हो रही है क्योंकि केवल कुछ ‘नाराज़’ महिला वकील मामले को तूल दे रही थीं.

इससे पहले सात जून को राष्ट्रीय महिला आयोग ने भी इस मामले का संज्ञान लिया था. आयोग अध्यक्ष रेखा शर्मा ने मद्रास उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल को हस्तक्षेप करने और यह सुनिश्चित करने के लिए पत्र लिखा था कि मुद्दे को हल करने के लिए उचित उपाय किए जाएं.

 सुप्रीम कोर्ट सुनवाई के बाद महिला वकीलों के लिए दो कमरे और अलग शौचालय आवंटित किए गए

बार एंड बेंच द्वारा शुक्रवार रात करीब साढ़े नौ बजे प्रकाशित एक रिपोर्ट बताती है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस मामले का संज्ञान लेने के कुछ घंटों के बाद ही ऊटी में संबंधित जिला न्यायाधीश ने महिला वकीलों के विशेष उपयोग के लिए दो कमरे और एक शौचालय आवंटित किए हैं.

रिपोर्ट के मुताबिक, जिला न्यायाधीश अब्दुल कादिर ने विमेन लॉयर्स एसोसिएशन ऑफ नीलगिरि को उनके इस्तेमाल के लिए बगल के गलियारे में दो कमरों (जो शुरुआत में वकीलों के चेंबर के लिए चिह्नित थे) और एक शौचालय की चाबियां सौंपी.

एसोसिएशन की सदस्यों ने कहा कि उन्होंने कमरे और शौचालय को बहुत ‘राहत के साथ और सुप्रीम कोर्ट के प्रति आभार’ जताते हुए स्वीकार किया है.

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