पहलवान साक्षी मलिक, बजरंग पुनिया और विनेश फोगाट समेत भारत के कुछ शीर्ष पहलवान यौन उत्पीड़न के आरोपी भाजपा सांसद और भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह की गिरफ्तारी की मांग कर रहे हैं. साक्षी मलिक ने कहा कि आप नहीं समझते कि हम पर हर दिन मानसिक तौर पर क्या बीत रही है.
नई दिल्ली: ओलंपिक पदक विजेता साक्षी मलिक ने शनिवार को कहा कि भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे पहलवान आगामी एशियन खेलों में तभी हिस्सा लेंगे, जब उनके मुद्दों का समाधान कर दिया जाएगा.
द हिंदू में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक, मलिक का यह बयान हरियाणा के सोनीपत में विभिन्न खाप नेताओं के साथ पहलवानों द्वारा आयोजित की गई महापंचायत के बाद आया है.
उन्होंने संवाददाताओं को बताया, ‘हम एशियाई खेलों में तभी भाग लेंगे जब हमारे सभी मुद्दे सुलझ जाएंगे. आप नहीं समझते कि हम पर हर दिन मानसिक तौर पर क्या बीत रही है.’
साक्षी मलिक, बजरंग पुनिया और विनेश फोगाट समेत भारत के कुछ शीर्ष पहलवान यौन उत्पीड़न के आरोपी बृजभूषण शरण सिंह की गिरफ्तारी की मांग कर रहे हैं.
पुनिया ने कहा कि यदि सरकार ने 15 जून तक कार्रवाई नहीं की तो आंदोलन जारी रखने के संबंध में निर्णय लिया जाएगा.
पुनिया ने कहा, ‘अगर सरकार 15 जून तक मजबूती से आगे नहीं बढ़ी तो हम 16 या 17 जून को बड़ा फैसला लेंगे. खाप नेताओं ने आज फैसला किया कि वे (बुधवार की बैठक में खेल मंत्री से हुई खिलाड़ियों की बातचीत के आधार पर) 15 जून तक इंतजार करेंगे.’
खेल मंत्री ने कहा था कि मामले में पुलिस की जांच 15 जून तक पूरी हो जाएगी और आरोप-पत्र दायर कर दिया जाएगा. ठाकुर ने पहलवानों की अन्य मांगें भी सुनी थीं, जिनमें 30 जून तक डब्ल्यूएफआई के चुनाव कराने और पहलवानों के खिलाफ दर्ज एफआईआर वापस लेने और सरकार की ओर से उन्हें पूरा सहयोग सुनिश्चित करने की मांगें शामिल थीं.
द हिंदू से बात करते हुए साक्षी की मां सुदेश मलिक ने कहा कि इस विवाद के कारण खिलाड़ी अपने खेल पर ध्यान नहीं दे पा रहे हैं.
उन्होंने कहा, ‘अगर वे प्रैक्टिस नहीं कर पा रहे हैं या खेल पर ध्यान नहीं दे पा रहे हैं तो ट्रायल के लिए कैसे जाएंगे? वे इस सबके चलते यातनाओं से गुजर रहे हैं.’ उन्होंने कहा कि वे जल्द ही समाधान चाहते हैं.
उन्होंने फोगाट और अन्य के बीच कथित मतभेदों से भी इनकार किया और कहा कि मीडिया का एक वर्ग आंदोलन को पटरी से उतारने के लिए अफवाहें फैला रहा है.
उन्होंने कहा, ‘सोमवीर राठी (विनेश फोगाट के पति) सोनीपत महापंचायत में मौजूद थे और आयोजकों में शामिल थे. उनमें से किसी के भी बीच कोई अनबन नहीं है.’
उन्होंने साथ ही कहा कि फोगाट की तबीयत खराब हो गई थी, क्योंकि वह 28 मई को जंतर मंतर और 30 मई को हरिद्वार में हुईं घटनाओं से परेशान थीं.
नाबालिग शिकायतकर्ता और उसके पिता द्वारा बृजभूषण के खिलाफ बयान बदलने के बारे में पूछे जाने पर सुदेश मलिक ने कहा कि यह दबाव में आकर किया गया है.
उन्होंने कहा, ‘आरोपी एक शक्तिशाली व्यक्ति है और आजाद घूम रहा है. पीड़िताएं एवं उनके परिवारों को हर दिन धमकियां मिल रही हैं. हमें डर है कि दबाव के कारण और भी लड़कियां ऐसा कर सकती हैं.’
इस बीच भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह पर सांस की जांच के बहाने स्तन छूने और पेट पर हाथ फेरने का आरोप लगाने वाली दो शीर्ष महिला पहलवानों से दिल्ली पुलिस ने उनके आरोपों के पक्ष में सबूत के तौर पर फोटो, ऑडियो और वीडियो की मांग की है.
जनवरी में केंद्रीय खेल मंत्रालय द्वारा गठित निरीक्षण समिति ने भी पीड़ितों से ऑडियो और वीडियो सबूत देने के लिए कहा था. समिति ने कथित तौर पर तीन पहलवानों को उनके उत्पीड़न के ‘ऑडियो या वीडियो’ सबूत देने को कहा था.
बता दें कि बीते 21 अप्रैल को 7 महिला पहलवानों ने दिल्ली पुलिस में बृजभूषण के खिलाफ शिकायत दी थी, लेकिन पुलिस द्वारा मामला दर्ज न किए जाने पर पहलवान जंतर-मंतर पर धरने पर बैठ गए थे और अपनी एफआईआर दर्ज कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था.
शीर्ष अदालत ने भी आरोपों को गंभीर माना था और दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया था. जिसके बाद पुलिस ने बृजभूषण के खिलाफ दो एफआईआर दर्ज की थीं, जिनमें एक नाबालिग पहलवान की शिकायत पर पॉक्सो के तहत दर्ज किया गया मामला भी है.
एफआईआर में ‘पेशेवर सहायता के बदले’ सेक्सुअल मांग के कम से कम दो मामले; यौन उत्पीड़न की कम से कम 15 घटनाएं, जिनमें गलत तरह से छूने की करीब दस घटनाएं, छेड़छाड़- जिसमें खिलाड़ियों के स्तनों को हाथ लगाना, नाभि को छूना शामिल है; डराने-धमकाने के कई उदाहरण जिनमें पीछा करना भी शामिल है- का जिक्र किया गया है.
बीते दिनों उन्होंने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से भी मुलाकात की थी.
मालूम हो कि बीते 28 मई को पहलवानों ने नई संसद के उद्घाटन के समय अपनी मांगों के समर्थन में संसद की ओर मार्च किया था, लेकिन दिल्ली पुलिस ने उन्हें रास्ते में बलप्रयोग करके रोक दिया था और उन पर दंगा भड़कने समेत विभिन्न धाराओं में एफआईआर दर्ज की गई थी. साथ ही, जंतर मंतर से उनको प्रदर्शन करने से हटा दिया गया था. जिसके बाद उन्होंने अपने पदकों को गंगा में समाहित करने का ऐलान किया था.