संघ का ‘गर्भ संस्कार’ अभियान गर्भवती महिलाओं को ‘संस्कारी, देशभक्त’ बच्चों को जन्म देना सिखाएगा

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से संबद्ध राष्ट्र सेविका समिति ने 11 जून को ‘गर्भ संस्कार’ अभियान की शुरुआत की है, जिसके तहत गर्भवती महिलाओं को भगवत गीता व रामायण पढ़ने, मंत्रोच्चार करने और योग आदि के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा ताकि 'संस्कारी, देशभक्त' बच्चे पैदा हों.

(फोटो साभार: फेसबुक)

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से संबद्ध राष्ट्र सेविका समिति ने 11 जून को ‘गर्भ संस्कार’ अभियान की शुरुआत की है, जिसके तहत गर्भवती महिलाओं को भगवत गीता व रामायण पढ़ने, मंत्रोच्चार करने और योग आदि के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा ताकि ‘संस्कारी, देशभक्त’ बच्चे पैदा हों.

(फोटो साभार: फेसबुक)

नई दिल्ली: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़े महिला इकाई राष्ट्र सेविका समिति ने 11 जून को ‘गर्भ संस्कार’ अभियान की शुरुआत की, जिसके तहत गर्भवती महिलाओं को भगवत गीता एवं रामायण पढ़ने, मंत्रोच्चार करने और योग आदि के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा ताकि संस्कारी, देशभक्त बच्चे पैदा हों.

हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, कार्यक्रम को कथित तौर पर पूरे देश में शुरू किया जाएगा और आरएसएस से जुड़े डॉक्टरों द्वारा आगे बढ़ाया जाएगा.

एक न्यास पदाधिकारी ने कहा कि देश को 10 डॉक्टरों की एक टीम के साथ पांच क्षेत्रों में वर्गीकृत किया गया है, जिन्हें उनके संबंधित क्षेत्रों से 20 गर्भवती महिलाओं को सौंपा जाएगा.

कार्यक्रम के कार्यान्वयन की देखरेख के लिए एक आठ सदस्यीय केंद्रीय टीम का गठन किया गया है, जिसमें आयुर्वेदिक, होम्योपैथी और एलोपैथी विषयों के डॉक्टरों के साथ-साथ एक ‘विषय विशेषज्ञ’ भी शामिल है.

संगठन की एक शाखा, संवर्धिनी न्यास के अनुसार, जो माता-पिता गर्भावस्था के नौ महीनों के दौरान संस्कृत मंत्रों का पाठ करते हैं और धार्मिक ग्रंथों को पढ़ते हैं, वे गर्भ में बच्चे के मस्तिष्क के विकास पर सकारात्मक प्रभाव डालते हैं.

रिपोर्ट में कहा गया है, ‘संस्कृत श्लोकों के उच्चारण से गर्भ में पल रहे बच्चे तक सकारात्मक तरंगें पहुंचती हैं. यह सुनिश्चित करने के लिए कि मूल्यों और संस्कृति को गर्भ में ही शामिल किया जाए.’

दक्षिणपंथी संस्था के अनुसार, इस कार्यक्रम को गर्भाधान से लेकर प्रसव तक गर्भावस्था के प्रति ‘वैज्ञानिक’ दृष्टिकोण के साथ तैयार किया गया है और यह ‘अगली पीढ़ी के देशभक्त’ का निर्माण करेगा.

न्यास के सदस्यों में से एक ने कहा, ‘जन्म लेने वाला हर बच्चा, चाहे वह लड़का हो या लड़की, अच्छे संस्कार, अच्छे विचार वाला हो और देशभक्त बनें. हमारी आने वाली पीढ़ी इस दुनिया में आए और सेवा की भावना, मूल्यों, संस्कृति और महिलाओं के प्रति सम्मान के साथ बड़ी हो.’

उन्होंने कहा कि परिवारों को गर्भ में बच्चे के साथ संवाद करने और बच्चे की देखभाल करने के लिए पौष्टिक भोजन और बड़े होने के लिए एक स्वस्थ वातावरण प्रदान करने सहित मार्गदर्शन प्राप्त होगा. भाग लेने वाली महिलाओं को ‘सामान्य प्रसव’ के लिए प्रयास करने के लिए योग का पाठ भी पढ़ाया जाएगा.

संगठन ने कहा, ‘गर्भ में चार महीने के बाद बच्चा सुनना शुरू कर देता है. माता-पिता बच्चे को परिवार के सदस्यों, भारत, जिस राज्य में वे रहते हैं और भारत की महान हस्तियों की कहानियों के बारे में बताएंगे.’

रिपोर्ट में कहा गया है कि यह प्रक्रिया तब तक जारी रहेगी जब तक बच्चे दो साल की उम्र तक नहीं पहुंच जाते.

रिपोर्ट के अनुसार, इस ऑनलाइन कार्यक्रम में शामिल हुईं तेलंगाना की राज्यपाल तमिलिसाई सुंदराराजन ने कहा कि गर्भवती महिलाओं को मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ बच्चे पैदा करने के लिए ‘सुंदरकांड’ का जाप करना चाहिए और भगवद गीता, रामायण और महाभारत का पाठ करना चाहिए.

टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, पुडुचेरी की उपराज्यपाल सुंदराराजन एक स्त्री रोग विशेषज्ञ हैं.

सुंदराराजन ने वर्चुअल लॉन्च इवेंट को संबोधित करते हुए ‘गर्भ संस्कार’ कार्यक्रम मॉड्यूल विकसित करने में संवर्धिनी न्यास के प्रयासों की सराहना की और कहा कि गर्भावस्था के प्रति इस ‘वैज्ञानिक और समग्र दृष्टिकोण’ के कार्यान्वयन से निश्चित रूप से सकारात्मक परिणाम मिलेंगे.

उन्होंने कहा, ‘गांवों में हमने गर्भवती माताओं को रामायण, महाभारत और अन्य महाकाव्यों के साथ-साथ अच्छी कहानियों को पढ़ते देखा है. विशेष रूप से तमिलनाडु में ऐसी मान्यता है कि गर्भवती महिलाओं को रामायण के सुंदरकांड का जाप करना चाहिए.’

उन्होंने कहा कि गर्भावस्था के दौरान ‘सुंदरकांड’ पढ़ना बच्चे के लिए बहुत अच्छा होगा. सुंदरकांड हिंदू महाकाव्य रामचरितमानस के सात हिस्सों (जिन्हें कांड कहा जाता है) में से एक है, जिसमें हनुमान के सीता की खोज में लंका जाने का वर्णन है.