पुलिस ने बताया कि मणिपुर के चुराचांदपुर ज़िले के लैलोईफाई इलाके में बीते सोमवार को हुई गोलीबारी में एक व्यक्ति की मौत हुई है. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राज्य के विभिन्न जातीय समूहों के बीच शांति स्थापित करने के लिए शांति समिति का गठन किया है. हालांकि मुख्यमंत्री के इसमें शामिल किए जाने का विरोध हो रहा है.
नई दिल्ली: मणिपुर में बीते सोमवार को हुई ताजा हिंसा में कम से कम एक और व्यक्ति की मौत होने की सूचना है. वहीं मेईतेई और कुकी-ज़ोमी दोनों समुदायों का प्रतिनिधित्व करने वाले समूहों ने कहा कि वे केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा गठित शांति समिति में भाग नहीं लेंगे.
पुलिस ने इस बात की पुष्टि की कि चुराचांदपुर जिले के लैलोईफाई इलाके में सोमवार को हुई गोलीबारी की घटना में एक व्यक्ति की मौत हो गई. यह क्षेत्र घाटी में बिष्णुपुर जिले के साथ पहाड़ी जिले (चुराचांदपुर) की सीमा पर स्थित है.
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, चुराचांदपुर के पुलिस अधीक्षक (एसपी) कार्तिक मल्लादी ने बताया कि घटना दोपहर के समय की है. स्थानीय निवासियों ने मृतक की पहचान 22 वर्षीय एन. मुअनसांग के रूप में की, जो ग्राम रक्षा स्वयंसेवक थे.
यह घटना उसी दिन हुई, जब केंद्र द्वारा बीते 10 जून को घोषित 51 सदस्यीय शांति समिति की प्रमुख राज्यपाल अनुसुइया उइके ने चुराचांदपुर का दौरा किया और तीन राहत शिविरों में जाकर स्थिति का जायजा लिया था. 3 मई को राज्य में जातीय हिंसा शुरू होने के बाद से यह जिले का उनका पहला दौरा था.
चुराचांदपुर में गोलीबारी के अलावा, इंफाल पूर्व और कांगपोकपी जिलों के बीच सीमावर्ती क्षेत्र में भी गोलीबारी हुई, जिसमें कथित तौर पर आठ लोगों के घायल होने की सूचना है.
राज्य में जारी हिंसा के बीच मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने शांति की अपील की.
उन्होंने कहा, ‘हम समझते हैं कि वर्तमान संकट के कारण राज्य भर के लोग अनकही कठिनाइयों से जूझ रहे हैं, लेकिन अब समय आ गया है कि एक कदम पीछे लिया जाए और शांति को एक मौका दिया जाए. आइए हम भावनाओं से प्रेरित न हों. सरकार को स्थिति को संभालने दें.’
#WATCH | We will protect our citizens from militant activities. I also appeal to the people of the state to calm down so that Army, paramilitary forces and state police can deal with the situation: Manipur CM N Biren Singh pic.twitter.com/Q1B2feOB49
— ANI (@ANI) June 12, 2023
रिपोर्ट के अनुसार, हालांकि, कुकी-जोमी और मेईतेई दोनों समुदायों का प्रतिनिधित्व करने वाले समूहों ने नेतृत्व में विश्वास की कमी व्यक्त की और कहा कि वे शांति समिति के विचार-विमर्श में भाग नहीं लेंगे.
हाल ही में गठित ‘कोर कमेटी ऑन सेपरेट ऑर्गनाइजेशन’ (अलग प्रशासन के लिए कोर कमेटी) ने बीते सोमवार को एक निर्देश जारी किया, जिसमें कहा गया कि ‘कोई भी नागरिक समाज संगठन, जनजाति निकाय और व्यक्ति शांति समिति में भाग नहीं लेगा’.
इस संगठन में कुकी-ज़ोमी समुदायों का प्रतिनिधित्व करने वाले विधायक और कुकी इन्पी मणिपुर, ज़ोमी काउंसिल जैसे आदिवासी निकाय और इंडीजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम शामिल हैं.
उनके द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है, ‘भले ही शांति हमारी सच्ची इच्छा रही है, निरंतर हिंसा, शोषण और उत्पीड़न की छाया में शांति के बारे में बात करना एक अभ्यास है, जो व्यर्थ साबित होगा और इस हिंसा के मुख्य अपराधी एन. बीरेन सिंह को शांति समिति के सदस्य के रूप में शामिल करना अपने आप में ज़ोमी, कुकी, हमार और मिज़ो समुदायों का अपमान है.’
कुकी इन्पी मणिपुर, जिसके अध्यक्ष को शांति समिति का सदस्य बनाया गया है, ने कहा कि उसे गृह मंत्रालय द्वारा गठित शांति समिति में आशा और विश्वास की रत्ती भर भी उम्मीद नहीं है, जिसमें मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह को भी सदस्य बनाया गया है’.
यहां तक कि मेईतेई समुदाय से जुड़े नागरिक समाज संगठनों को एकीकृत समूह सीओसीओएमआई (कोऑर्डिनेटिंग कमेटी ऑन मणिपुर इंटीग्रिटि), जिसके मुख्य समन्वयक भी शांति समिति के सदस्य हैं, ने समिति की संरचना पर नाराजगी व्यक्त की.
संगठन ने कहा कि यह इस आधार पर भाग नहीं लेगा कि ‘समिति में शामिल होने का यह सही समय नहीं है’. संगठन ने यह भी कहा कि ‘नार्को-आतंकवादियों द्वारा परिष्कृत हथियारों से हमला अभी भी जारी है’.
रिपोर्ट के अनुसार, सोमवार की घटनाएं नॉर्थ ईस्ट डेमोक्रेटिक अलायंस के संयोजक और असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा के रविवार रात गुवाहाटी में दो विद्रोही समूहों कुकी नेशनल ऑर्गनाइजेशन और यूनाइटेड पीपुल्स फ्रंट के नेताओं से मुलाकात के बाद की हुईं.
कुकी नेशनल ऑर्गनाइजेशन के प्रवक्ता सेलेन हाओकिप ने इसे ‘बहुत सकारात्मक बैठक’ के रूप में वर्णित किया, उन्होंने कहा कि नेताओं के साथ बातचीत और जमीन पर वास्तविकता के बीच ‘कोई सामंजस्य नहीं’ था.
उन्होंने कहा, ‘वह (हिमंता) हमसे मिले इसका कारण यह था कि हाल ही में मणिपुर की अपनी यात्रा के दौरान वह केवल घाटी स्थित नागरिक समाज संगठनों से ही मिल पाए थे. वहां उन्होंने सीओसीओएमआई नामक संगठन से मुलाकात की थी. वे चल रही हिंसा को कम करने पर एक समझौते के लिए सहमत थे कि दोनों पक्षों को अपराधों में शामिल होने से बचना चाहिए. हमने भी इसी तरह की समझ बनाई कि अगर एक पक्ष हमला नहीं करेगा तो दूसरा पक्ष जवाबी कार्रवाई नहीं करेगा, लेकिन आज फिर हिंसा की घटनाएं हुईं.’