कांग्रेस ने मणिपुर हिंसा पर प्रधानमंत्री मोदी से ‘चुप्पी’ तोड़ने की अपील की

कांग्रेस की ओर से कहा गया है कि पार्टी मांग करती है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपनी चुप्पी तोड़नी चाहिए और प्रशासन में विश्वास बहाल करने तथा राज्य में सामान्य स्थिति लाने के लिए सभी प्रयास करने के लिए जल्द से जल्द मणिपुर का दौरा करना चाहिए.

/
नरेंद्र मोदी. (फोटो साभार: पीआईबी)

कांग्रेस की ओर से कहा गया है कि पार्टी मांग करती है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपनी चुप्पी तोड़नी चाहिए और प्रशासन में विश्वास बहाल करने तथा राज्य में सामान्य स्थिति लाने के लिए सभी प्रयास करने के लिए जल्द से जल्द मणिपुर का दौरा करना चाहिए.

नरेंद्र मोदी. (फोटो साभार: पीआईबी)

नई दिल्ली: केंद्र द्वारा मणिपुर में शांति प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाने के लिए राज्यपाल की अध्यक्षता में एक समिति की घोषणा करने के दो दिन बाद कांग्रेस ने सोमवार को सरकार से कहा कि वह सामान्य स्थिति बहाल करने में मदद करने के लिए हिंसा प्रभावित राज्य का दौरा करने के लिए एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल भेजे.

विपक्षी दल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मणिपुर की स्थिति पर अपनी ‘चुप्पी’ तोड़ने की भी अपील की और उनसे राज्य का दौरा करने का आग्रह किया.

इंडियन एक्सप्रेस के रिपोर्ट के मुताबिक, कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने संवाददाताओं से कहा, ‘कांग्रेस पार्टी मांग करती है कि प्रधानमंत्री को अपनी चुप्पी तोड़नी चाहिए और प्रशासन में विश्वास बहाल करने और राज्य में सामान्य स्थिति लाने के लिए सभी प्रयास करने के लिए जल्द से जल्द मणिपुर का दौरा करना चाहिए.’

इस महीने की शुरुआत में हुई रेल दुर्घटना के बाद प्रधानमंत्री के ओडिशा के बालासोर जाने की ओर इशारा करते हुए रमेश ने पूछा, ‘वह हिंसा प्रभावित राज्य (मणिपुर) का दौरा क्यों नहीं कर सकते?’

उन्होंने सवाल किया, ‘मन की बात के 100वें एपिसोड के बाद से प्रधानमंत्री ने मणिपुर के बारे में कुछ भी क्यों नहीं कहा है? ‘मणिपुर की बात’ को क्या हुआ?’

उन्होंने यह भी सवाल किया कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की 30 मई की 15 दिनों की शांति की अपील पूरी तरह विफल क्यों हुई.

उन्होंने यह भी कहा कि एक राष्ट्रीय सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल को मणिपुर जाने और सभी प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करने और सभी हितधारकों से मिलने की अनुमति दी जानी चाहिए.

टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, कांग्रेस नेता मुकुल वासनिक ने कहा कि मणिपुर में स्थिति चिंताजनक है और इस समय प्रधानमंत्री को प्रभावित लोगों के आंसू पोंछने और उनकी पीड़ा सुनने के लिए राज्य का दौरा करना चाहिए.

उन्होंने कहा, ‘कई शव अभी भी मुर्दाघरों में पड़े हुए हैं और हम उम्मीद करते हैं कि प्रधानमंत्री बोलें और राज्य के लोगों से शांति बहाल करने में मदद करने की अपील करें.’

कांग्रेस के एक अन्य नेता भक्त चरण दास, जो मणिपुर के एआईसीसी प्रभारी भी हैं, ने आरोप लगाया कि मणिपुर में भाजपा सरकार अपने प्रयासों में ईमानदार नहीं है और उसका दृष्टिकोण लोकतांत्रिक नहीं है.

उन्होंने कहा, ‘उनके प्रयास ईमानदार नहीं हैं. इस मोड़ पर प्रधानमंत्री की यात्रा मदद करेगी. वे लोकतांत्रिक अपील का तरीका नहीं अपना रहे हैं.’

दास ने पूछा कि क्यों न लोकसभा और राज्यसभा सांसदों या सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल को मणिपुर भेजा जाए और वहां शांति और सामान्य स्थिति बहाल करने में मदद के लिए एक लोकतांत्रिक पहल की जाए.

उन्होंने कहा, ‘हम राष्ट्रपति से अपील करना चाहते हैं कि उन्हें शांति लाने में मदद करने के लिए प्रयास करना चाहिए.’ उन्होंने कहा कि चुप रहने के बजाय कुछ किया जाना चाहिए.

उन्होंने कहा, ‘हम मणिपुर के लोगों से मणिपुर के बच्चों के भविष्य के लिए शांति बहाल करने में मदद के लिए कदम उठाने की अपील करना चाहते हैं.’

वासनिक ने कहा कि कई जिलों में क्रॉस-फायरिंग हो रही है, राष्ट्रीय राजमार्ग एनएच-2 और एनएच-37 अभी भी बंद है, जिससे आवश्यक वस्तुओं की अनुपलब्धता का गंभीर संकट खड़ा हो गया है. विस्थापित लोगों की संख्या 1 लाख से अधिक है, जिसमें से कम से कम 50 हजार लोग 349 राहत शिविरों में रह रहे हैं.

उन्होंने कहा कि आधिकारिक तौर पर मरने वालों की संख्या 100 से अधिक है, कई लोग अभी भी लापता हैं और उनके ठिकाने का पता नहीं है. कई मृतक अभी भी सरकारी अस्पताल की मोर्चरी में हैं. उनके शव उनके परिवारों को नहीं सौंपे गए हैं.

उन्होंने कहा, ‘राज्य सरकार या केंद्र सरकार द्वारा की गई किसी भी कार्रवाई से मणिपुर के लोगों में विश्वास पैदा नहीं हुआ है. यह गृह मंत्री की कड़ी चेतावनी के बावजूद हथियारों और गोला-बारूद की खराब बरामदगी से स्पष्ट है.’

बीते 3 मई से कुकी और मेईतेई समुदायों के बीच भड़की जातीय हिंसा में अब तक 100 से अधिक लोग मारे गए हैं. लगभग 50,000 लोग विस्थापित हुए हैं और पुलिस शस्त्रागार से 4,000 से अधिक हथियार लूटे या छीन लिए गए हैं.

गौरतलब है कि मणिपुर में अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मेईतेई समुदाय की मांग के विरोध में तीन मई को पर्वतीय जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद झड़पें हुई थीं.

मणिपुर की 53 प्रतिशत आबादी मेईतई समुदाय की है और ये मुख्य रूप से इंफाल घाटी में रहते हैं. आदिवासियों- नगा और कुकी की आबादी 40 प्रतिशत है और ये पर्वतीय जिलों में रहते हैं.