शिकायतकर्ता पहलवानों को धमकाने के आरोपी कोच खिलाड़ी के यौन उत्पीड़न के केस में नामजद थे

भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के ख़िलाफ़ प्रदर्शन करने वाले पहलवानों ने बीते अप्रैल में आरोप लगाया था कि कोच महावीर प्रसाद बिश्नोई शिकायतकर्ताओं को केस वापस लेने के लिए धमका रहे हैं. दिल्ली की एक अदालत में बिश्नोई के ख़िलाफ़ एक खिलाड़ी के यौन उत्पीड़न का मामला चल रहा है.

महावीर प्रसाद बिश्नोई. (फाइल फोटो साभार: पीआईबी)

भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के ख़िलाफ़ प्रदर्शन करने वाले पहलवानों ने बीते अप्रैल में आरोप लगाया था कि कोच महावीर प्रसाद बिश्नोई शिकायतकर्ताओं को केस वापस लेने के लिए धमका रहे हैं. दिल्ली की एक अदालत में बिश्नोई के ख़िलाफ़ एक खिलाड़ी के यौन उत्पीड़न का मामला चल रहा है.

महावीर प्रसाद बिश्नोई. (फाइल फोटो साभार: पीआईबी)

कोलकाता/नई दिल्ली: भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ प्रदर्शन करने वाले पहलवानों ने जिस कोच पर को सिंह की ओर से शिकायतकर्ताओं को धमकाने आरोप लगाया था, वह कोच खुद 2017 के एक यौन उत्पीड़न मामले में एक महिला, जो तब पेशेवर पहलवान थीं, द्वारा दायर शिकायत में आरोपी हैं.

इस साल अप्रैल में विनेश फोगाट और बजरंग पुनिया सहित शीर्ष पहलवानों ने आरोप लगाया था कि कोच महावीर प्रसाद बिश्नोई ने भाजपा सांसद के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोप लगाने वाली खिलाड़ियों को उनकी शिकायतें वापस न लेने पर नतीजा भुगतने की धमकी दी थी.

फोगाट और पुनिया ने कहा था कि हरियाणा कुश्ती संघ के महासचिव राकेश सिंह के साथ मिलकर बिश्नोई ने कथित तौर पर शिकायतकर्ताओं और उनके परिवारों को ‘चुप रहने’ के लिए रिश्वत की पेशकश की थी.

तब बिश्नोई ने इन आरोपों को निराधार बताते हुए कहा था कि वह नहीं जानते कि पीड़ित कौन हैं. बिश्नोई ने कहा था, ‘आप मेरे कॉल रिकॉर्ड और मेरी जांच कर सकते हैं. इन आरोपों में कोई सच्चाई नहीं है. मैं यह भी नहीं जानता कि पीड़ित कौन हैं. अगर यह साबित हो जाता है कि मैंने धमकी भरे फोन किए थे, तो मैं फांसी पर चढ़ने को तैयार हूं.’

साल 2014 में बिश्नोई को द्रोणाचार्य अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था, जो भारतीय खेलों के कोच को मिलने वाला सर्वोच्च सम्मान है.

क्या लिखा है एफआईआर में 

दिल्ली के दरियागंज थाने में दर्ज 2017 की एफआईआर द वायर  ने देखी है और इससे पता चलता है कि बिश्नोई पर एक पूर्व महिला पहलवान ने लगातार यौन उत्पीड़न और जातिवादी टिप्पणियां करने का आरोप लगाया था. एफआईआर में लगाए गए आरोप इसलिए महत्वपूर्ण हैं क्योंकि वे बिश्नोई द्वारा शक्ति के दुरुपयोग की ओर इशारा करते हैं.

एफआईआर में आईपीसी की धारा 354 और 354A (महिला की गरिमा भंग करने के इरादे से उस पर हमला या आपराधिक बल), 509 (महिला का गरिमा भंग करना), धारा 506 (आपराधिक धमकी) का जिक्र है.

इसके साथ ही अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 की धाराएं भी लगाई गई हैं, जो अनुसूचित जनजाति या जाति की महिला की गरिमा भंग करने, जानबूझकर उत्पीड़न, अपमानित करने और जानबूझकर छूने या यौन इशारे करने से संबंधित हैं.

शिकायतकर्ता राष्ट्रीय स्तर की पहलवान रही हैं, जिन्होंने विभिन्न राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में पदक जीते हैं. उन्होंने शिकायत में बताया है कि बिश्नोई उनके मुख्य कोच थे. शिकायत में कहा गया है कि ट्रेनिंग के दौरान बिश्नोई ने उससे यौन संबंध के लिए कहा, कई मौकों पर बातचीत में कुछ मांगें भी रखीं. द वायर उनके वकील के अनुरोध पर उनकी पहचान छिपाने के मकसद से उनका नाम और विभाग साझा नहीं कर रहा है.

महिला ने आरोप लगाया कि एक बार नई दिल्ली में आरोपी ने उन्हें उनके (महिला के) स्कूटर से कहीं छोड़ने को कहा और फिर उन्हें पीछे से अनुचित तरीके से छुआ. महिला ने एफआईआर में कहा है कि चूंकि बिश्नोई एक ‘प्रभावशाली व्यक्ति’ हैं, इसलिए उन्होंने शुरुआत में शिकायत दर्ज नहीं की. इससे उन्हें बल मिला और फिर ‘कुश्ती की प्रैक्टिस के दौरान कई मौकों पर’ उन्होंने (आरोपी ने) गलत तरीके से उनकी छाती, पीठ और पूरे शरीर’ को छुआ.

महिला ने कहा है कि वह अक्सर जानबूझकर उनसे शारीरिक नजदीकी बनाता था ताकि उनका यौन उत्पीड़न कर सके. शिकायत के मुताबिक, कई मौकों पर महिला की जाति और समुदाय को लेकर अपमानित करता था और कहता था कि खिलाड़ी अपनी ‘जाति का ध्यान रखते हुए’ उनकी हरकतों से परेशान न हों.’

शिकायत में लिखा है, ‘उन्होंने कहा कि चूंकि मैं एक अनुसूचित जाति से हूं, इसलिए मेरा कोई चरित्र नहीं है और अगर वह मुझे छूते हैं तो आसमान नहीं गिर जाएगा. उन्होंने ऐसी बातें कही जिसका सीधा मतलब था कि अनुसूचित जाति की महिला होने के नाते मैं बदकिरदार हूं. वह अक्सर यौन आग्रह करता था और ऐसा मानता था कि मैं एससी हूं इसलिए आवाज नहीं उठाऊंगी और [मैं] एक आसान शिकार हूं.’

महिला का आरोप है कि वो उनसे बार-बार होटल चलने की बात कहते हुए अपने इरादे जाहिर करता था. एक बार वह उनके क्वॉर्टर, जिसमें पुरुषों को जाने की अनुमति नहीं होती है, में पहुंच गया और यौन उत्पीड़न किया.

एफआईआर में आगे बताया गया है कि यह जानने के बाद कि खिलाड़ी गर्भवती हैं, आरोपी ने उन्हें गर्भपात के लिए कहा. गर्भावस्था के दौरान वह उनसे तरह-तरह के यौन आग्रह किया करता. आरोप है कि जब एक बोर्ड द्वारा फाइनल टीम चुनी जानी थी और खिलाड़ी राजघाट पर इंतजार कर रही थीं, तब आरोपी ने उस समय गर्भवती शिकायतकर्ता से यौन संबंध बनाने को कहा.

एफआईआर के अनुसार, उसने महिला को धमकाया कि अगर उन्होंने ऐसा नहीं किया तो उन्हें टीम से निकाल दिया जाएगा. महिला का कहना है कि वहां मौजूद लोगों ने उन्हें रोते हुए देखा और उन्होंने उन सभी को बताया कि कोच उन्हें ‘गलत काम’ करने के लिए कह रहे थे.

मई 2017 में महिला ने कोच के खिलाफ एक औपचारिक शिकायत दर्ज कराई. तब उन्हें न केवल बिश्नोई से बल्कि किसी राजीव नाम के व्यक्ति से भी धमकियां मिलीं, जिसने खिलाड़ी के पति को फोन किया था और केस वापस लेने के लिए कहा था. उन्होंने यह भी कहा है कि बिश्नोई और राजीव ने उन्हें रिश्वत की पेशकश भी की थी.

महिला ने अपनी शिकायत में लिखा है कि उन्हें लगातार अपनी जान को खतरा महसूस हुआ करता था. उन्होंने और उनके पति ने दिल्ली के सनलाइट थाने में शिकायत भी दर्ज कराई थी. मामले में पूछताछ शुरू होने से पहले ही उनका तबादला एक दूसरे शहर में कर दिया गया. उनका कहना है कि तब वे आठ महीने की गर्भवती थीं और उन्हें यकीन था कि उन्हें डेपुटेशन पर भेजे जाने के पीछे बिश्नोई का ही हाथ था.

महिला ने बताया कि अंततः उन्हें ‘टीम से बाहर कर दिया गया.’

बिश्नोई और वकीलों का क्या कहना है?

इस मामले की सुनवाई एक विशेष एससी-एसटी अदालत में चल रही है. बिश्नोई के वकील निर्भया मामले में वकील रहे सरकारी वकील राजीव मोहन हैं. मोहन ने कहा कि पीड़िता ने अब तक अपना बयान दर्ज नहीं कराया है.

उन्होए कहा, ‘वे कभी-कभी आती हैं और कभी अपनी या अपने पति की बीमारी का हवाला देते हुए नहीं आती हैं.’ मोहन ने जोड़ा कि वह अदालत द्वारा तय की गई ‘लगभग सभी तारीखों’ पर पेश हुई हैं, जिसमें आखिरी तारीख भी शामिल है.

शिकायतकर्ता के वकील, जो अपनी पहचान गुप्त रखना चाहते हैं, ने कहा कि यह दावा झूठा है और बिश्नोई के वकील निर्धारित तारीखों पर कोर्ट में नहीं आते. उन्होंने यह भी कहा कि जिस दिन उन्होंने अपना बयान दिया था उसी दिन उन्होंने उनसे सवाल-जवाब किए जाने को कहा था, लेकिन दूसरा पक्ष इस बात पर जोर दे रहा था कि वह एक दिन अपना बयान दें और बाद की तारीख में उनसे सवाल-जवाब किए जाएं.

बिश्नोई के वकील राजीव मोहन ने भी कहा कि यह मामला दो समूहों के बीच प्रतिद्वंद्विता से उपजा था. यही दावा बिश्नोई ने भी द वायर  से किया.

लंबी बातचीत में बिश्नोई ने कहा कि मामले के पीड़ित वो हैं और उनके खिलाफ लगे सभी आरोप झूठे हैं. उन्होंने कहा, ‘… [हटाए गए विभाग का नाम] का कोच होने के नाते मुझे चार लड़कियों को चुनना था और इस खेल के लिए उन्हें (शिकायतकर्ता को) ट्रेनिंग देनी थी. लेकिन उन्होंने मुझे सूचित किए बिना शादी कर ली और फिर गर्भवती भी हो गई. उसने मुझे मेडिकल लीव मांगीं और आखिरकार मुझे उसे टीम छोड़ने के लिए कहना पड़ा.’

यह पूछे जाने पर कि क्या टीम में शामिल गर्भवती महिलाओं के लिए छुट्टियों का प्रावधान है, बिश्नोई ने बताया कि उन्हें ढाई साल का मातृत्व अवकाश मिलता है.

बिश्नोई ने दावा किया कि महिला द्वारा उनके खिलाफ दायर की गई विभागीय शिकायत के कारण उन्हें निलंबित कर दिया गया और उन्हें ‘एक-दो प्रमोशन’ भी नहीं मिले.

उन्होंने कहा, ‘हालांकि विभागीय इन्क्वायरी में मैं बेदाग पाया गया लेकिन आखिरकार मुझे वो नौकरी छोड़कर साई (स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया) में आना पड़ा. मैं विभाग का अकेला कोच था, जिसे द्रोणाचार्य अवॉर्ड मिला था और उन्होंने मेरे साथ ये किया.’

बिश्नोई ने कहा कि उनका अनुभव रहा है कि पिछले दो दशकों में महिलाओं द्वारा दर्ज उत्पीड़न के 20 मामलों में से 18 झूठे साबित हुए हैं. यह पूछे जाने पर कि जिन महिलाओं को लगता है कि वे लैंगिक अपराधों की शिकार हैं, उन्हें कहां जाना चाहिए, बिश्नोई ने कहा कि देश के कुश्ती इंफ्रास्ट्रक्चर में इसका एक मजबूत सिस्टम है.

इसके बाद उन्होंने कहा, ‘कुश्ती में पुरुष महिलाओं से डरते हैं. महिलाओं को अधिकार चाहिए, यह सच है, लेकिन पुरुषों को भी कुछ अधिकार चाहिए. आप नहीं जानते, लेकिन पुरुष खुदकुशी करते रहे हैं. मैं खुद ऐसे मामलों से वाकिफ हूं. मेरे विभाग ने मुझे निलंबित कर दिया लेकिन उन्हें इसके बजाय महिला को निलंबित करना चाहिए था.’

बिश्नोई ने यह कहते हुए कि उन्होंने अपनी टीम के खिलाड़ियों में कभी जाति नहीं देखी, यह दावा किया कि उन्हें और प्रताड़ित करने के लिए एससी/एसटी अधिनियम के आरोप जोड़े गए.

महिला के वकील का कहना है कि बिश्नोई प्रतिद्वंद्विता वाली बात मामले के मुख्य पहलू से ध्यान भटकाने के लिए कर रहे हैं- लेकिन यह कोई हैरानी की बात नहीं है. उन्होंने जोड़ा, ‘वे ऐसे ही करते हैं. या तो आप उनकी मांगों के आगे झुक जाते हैं या आप खेल से बाहर हो जाते हैं.’

मामले की अगली सुनवाई 24 जुलाई को होनी है.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)

pkv games bandarqq dominoqq pkv games parlay judi bola bandarqq pkv games slot77 poker qq dominoqq slot depo 5k slot depo 10k bonus new member judi bola euro ayahqq bandarqq poker qq pkv games poker qq dominoqq bandarqq bandarqq dominoqq pkv games poker qq slot77 sakong pkv games bandarqq gaple dominoqq slot77 slot depo 5k pkv games bandarqq dominoqq depo 25 bonus 25 bandarqq dominoqq pkv games slot depo 10k depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq slot77 pkv games bandarqq dominoqq slot bonus 100 slot depo 5k pkv games poker qq bandarqq dominoqq depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq bandarqq dominoqq pkv games slot pulsa pkv games pkv games bandarqq bandarqq dominoqq dominoqq bandarqq pkv games dominoqq