बीते क़रीब डेढ़ महीने से मणिपुर में जातीय संघर्ष जारी है. पुलिस के अनुसार, मंगलवार को कांगपोकपी ज़िले के ऐगिजंग गांव में देर रात हुई फायरिंग में नौ लोगों की मौत हुई है. ये सभी मेईतेई समुदाय से हैं.
नई दिल्ली: मणिपुर में जारी जातीय हिंसाके बीच मंगलवार रात कम से कम नौ लोगों के मारे जाने की खबर है. ये मौतें मणिपुर के कांगपोकपी जिले के ऐगिजंग गांव में गोलीबारी और आगजनी की घटनाओं के दौरान हुईं.
द हिंदू की एक रिपोर्ट में मरने वालों की संख्या 11 बताई गई है.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, इंफाल पूर्व के एसपी ने बताया कि यह घटना मंगलवार रात करीब 10:30 बजे हुई.
ऐगिजंग एक कुकी गांव है, लेकिन बरामद शव कथित तौर पर नौ मेईतेई पुरुषों के हैं. पुलिस ने कहा है कि वे ‘स्थानीय वालंटियर’ थे.
ऐगजांग कांगकोपी और इंफाल पूर्वी जिलों की सीमा पर स्थित है. बताया गया है कि पिछले कई दिनों से हिंसा जारी है, जिस बीच कई मेईतेई पुरुष कथित तौर पर इस सीमा क्षेत्र के मेईतेई बहुल हिस्सों को ‘बचाने’ करने के लिए आस-पास के इलाकों से आए हैं.
इंफाल पूर्व के एसपी के. शिवाकांत सिंह ने बताया, ‘रात करीब 10-10.30 बजे गांव में फायरिंग हुई और नौ लोगों की मौत हो गई और 10 अन्य घायल हो गए. सभी घायलों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जहां एक की हालत गंभीर बताई जा रही है.’
द हिंदू के अनुसार, पुलिस ने कहा कि कुकी उग्रवादियों ने मंगलवार देर रात खमेनलोक में कई बम फेंके. खबर के मुताबिक, ‘खमेनलोक कुकी आदिवासी उग्रवादियों और गैर-आदिवासी मेईतेई के बीच भिड़ंत की मुख्य जगह रहा है. पिछले कुछ दिनों में कई अत्याधुनिक हथियारों से लैस आतंकवादी समूहों के साथ झड़पों में कई लोग मारे गए और घायल हुए हैं.’
इससे पहले चूड़ाचांदपुर ज़िले के लैलोईफाई इलाके में बीते सोमवार को हुई गोलीबारी में एक व्यक्ति की मौत हुई है.
उल्लेखनीय है कि बीते 3 मई से कुकी और मेईतेई समुदायों के बीच भड़की जातीय हिंसा में अब तक 100 से अधिक लोग मारे गए हैं. लगभग 50,000 लोग विस्थापित हुए हैं और पुलिस शस्त्रागार से 4,000 से अधिक हथियार लूटे या छीन लिए गए हैं.
गौरतलब है कि मणिपुर में अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मेईतेई समुदाय की मांग के विरोध में तीन मई को पर्वतीय जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद झड़पें हुई थीं.
मणिपुर की 53 प्रतिशत आबादी मेईतई समुदाय की है और ये मुख्य रूप से इंफाल घाटी में रहते हैं. आदिवासियों- नगा और कुकी की आबादी 40 प्रतिशत है और ये पर्वतीय जिलों में रहते हैं.
बीते सप्ताह केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राज्य के विभिन्न जातीय समूहों के बीच शांति स्थापित करने के लिए शांति समिति का गठन किया है. हालांकि मुख्यमंत्री के इसमें शामिल किए जाने का विरोध हो रहा है. कुकी समूहों के साथ अब मेईतेई संगठनों भी इसमें हिस्सा लेने से इनकार कर चुके हैं.