मणिपुर हिंसा: राज्य की एकमात्र महिला मंत्री का सरकारी आवास हमलावरों ने जलाया

मणिपुर की एकमात्र महिला मंत्री नेमचा किपगेन के इंफाल पश्चिम ज़िले ​के लाम्फेल इलाके में स्थित आधिकारिक आवास को बुधवार शाम को जला दिया गया. घटना के समय वह घर पर नहीं थीं. भाजपा से संबद्ध किपगेन उन 10 कुकी विधायकों में से एक हैं, जिन्होंने हिंसा शुरू होने के बाद अलग प्रशासन की मांग उठाई है.

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मणिपुर की एकमात्र महिला मंत्री नेमचा किपगेन. (फोटो साभार: फेसबुक)

मणिपुर की एकमात्र महिला मंत्री नेमचा किपगेन के इंफाल पश्चिम ज़िले ​के लाम्फेल इलाके में स्थित आधिकारिक आवास को बुधवार शाम को जला दिया गया. घटना के समय वह घर पर नहीं थीं. भाजपा से संबद्ध किपगेन उन 10 कुकी विधायकों में से एक हैं, जिन्होंने हिंसा शुरू होने के बाद अलग प्रशासन की मांग उठाई है.

मणिपुर की एकमात्र महिला मंत्री नेमचा किपगेन. (फोटो साभार: फेसबुक)

नई दिल्ली: उत्तर पूर्व भारत के राज्य मणिपुर में मेईतेई और कुकी-ज़ो समुदायों के बीच करीब डेढ़ महीने से जातीय हिंसा जारी है. इस ​बीच राज्य की एकमात्र महिला मंत्री नेमचा किपगेन के आधिकारिक आवास को बुधवार (14 जून) की शाम को हमलावरों ने जला दिया.

उद्योग मंत्री किपगेन कांगपोकपी निर्वाचन क्षेत्र से विधायक हैं. घटना के समय वह घर पर नहीं थीं. उनका आधिकारिक आवास इंफाल पश्चिम जिले के लाम्फेल इलाके में स्थित है.

एनडीटीवी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, सुरक्षा बल के जवानों ने वरिष्ठ अधिकारियों के साथ घटनास्थल पर पहुंचकर छानबीन और तलाशी ली है.

किपगेन पिछले साल के विधानसभा चुनाव में आदिवासी बहुल कांगपोकपी विधानसभा सीट से चुनी गई थीं और मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह के नेतृत्व वाले 12 सदस्यीय मंत्रालय में वह एकमात्र महिला मंत्री हैं. वह उन 10 कुकी विधायकों में से एक हैं, जिन्होंने अलग प्रशासन की मांग उठाई है और भाजपा से संबद्ध हैं.

कांगपोकपी मुख्य रूप से आदिवासी समुदाय बहुसंख्यक रूप से बसा है. इस जिले में मंगलवार (13 जून) रात हुई हिंसा में कम से कम नौ लोगों की मौत हो गई थी. जिले के ऐगिजंग गांव जहां ये हत्याएं हुईं, कथित तौर पर एक कुकी (आदिवासी) गांव है, लेकिन जो शव बरामद हुए हैं, वे कथित तौर पर मेईतेई समुदाय के पुरुषों के हैं.

पुलिस ने दावा किया कि वे ‘स्थानीय स्वयंसेवक’ थे, यह एक ऐसा शब्द है, जिसका इस्तेमाल पिछले कुछ हफ्तों से सशस्त्र पुरुषों के लिए किया जा रहा है, जो अपने समुदायों की रक्षा करने का दावा करते हैं.

इंडिया टुडे ने एक रिपोर्ट में बताया है कि तमेंगलोंग जिले के खमेनलोक गांव में कई घरों को जला दिया गया और गोबाजंग में कई लोग घायल हुए हैं.

रिपोर्ट में कहा गया है कि मणिपुर के सुरक्षा सलाहकार कुलदीप सिंह ने खुलासा किया कि कुल 1040 हथियार, 13,601 गोला-बारूद और 230 विभिन्न प्रकार के बम बरामद किए गए हैं.

इससे पहले चूड़ाचांदपुर जिले के लैलोईफाई इलाके में बीते 12 जून को हुई गोलीबारी में एक व्यक्ति की मौत हो गई थी.

उल्लेखनीय है कि बीते 3 मई से कुकी और मेईतेई समुदायों के बीच भड़की जातीय हिंसा में अब तक 100 से अधिक लोग मारे गए हैं. लगभग 50,000 लोग विस्थापित हुए हैं और पुलिस शस्त्रागार से 4,000 से अधिक हथियार लूटे या छीन लिए गए हैं.

गौरतलब है कि मणिपुर में अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मेईतेई समुदाय की मांग के विरोध में तीन मई को पर्वतीय जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद झड़पें हुई थीं.

मणिपुर की 53 प्रतिशत आबादी मेईतई समुदाय की है और ये मुख्य रूप से इंफाल घाटी में रहते हैं. आदिवासियों- नगा और कुकी की आबादी 40 प्रतिशत है और ये पर्वतीय जिलों में रहते हैं.

बीते सप्ताह केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राज्य के विभिन्न जातीय समूहों के बीच शांति स्थापित करने के लिए शांति समिति का गठन किया है. हालांकि मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह के इसमें शामिल किए जाने का विरोध हो रहा है. कुकी समूहों के साथ अब मेईतेई संगठनों भी इसमें हिस्सा लेने से इनकार कर चुके हैं.

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