मणिपुर में फिर हिंसा भड़की, भीड़ ने भाजपा नेताओं के घर जलाने की कोशिश की

पुलिस और सेना के सूत्रों ने बताया है कि शुक्रवार को मणिपुर के बिष्णुपुर ज़िले के क्वाकटा और चूड़ाचांदपुर ज़िले के कांगवई से स्वचालित हथियारों से गोलीबारी की गई. उधर, असम राइफल्स को हालिया हिंसा का ज़िम्मेदार बताने वाला लेख लिखने के लिए मेईतेई संगठन के एक नेता पर राजद्रोह का केस दर्ज किया गया है.

(फोटो साभार: इंफाल फ्री प्रेस)

पुलिस और सेना के सूत्रों ने बताया है कि शुक्रवार को मणिपुर के बिष्णुपुर ज़िले के क्वाकटा और चूड़ाचांदपुर ज़िले के कांगवई से स्वचालित हथियारों से गोलीबारी की गई. उधर, असम राइफल्स को हालिया हिंसा का ज़िम्मेदार बताने वाला लेख लिखने के लिए मेईतेई संगठन के एक नेता पर राजद्रोह का केस दर्ज किया गया है.

(फोटो साभार: इंफाल फ्री प्रेस)

नई दिल्ली: रैपिड एक्शन फोर्स (आरएएफ) द्वारा 16 जून को शहर के पैलेस कंपाउंड क्षेत्र में आगजनी का प्रयास करने वाली 1,000 की भीड़ पर रबर की गोलियां और आंसू गैस के गोले दागे जाने के बाद इंफाल में कम से कम दो नागरिक घायल हो गए.

द हिंदू ने इस संबंध में जानकारी दी है. इंफाल में बीती कुछ रातों से व्याप्त तनावपूर्ण माहौल शुक्रवार और शनिवार की दरम्यानी रात को भी जारी रहा. भीड़ के जुटने और तोड़-फोड़ के प्रयास और आगजनी की कई घटनाओं की भी सूचना मिली है.

एनडीटीवी के मुताबिक, पुलिस और सेना के सूत्रों ने कहा है कि कल रात (शुक्रवार) संघर्षग्रस्त मणिपुर के बिष्णुपुर जिले के क्वाकटा और चूड़ाचांदपुर जिले के कांगवई से स्वचालित हथियारों से गोलीबारी की गई और शनिवार सुबह तक रुक-रुककर गोलीबारी की खबरें आ रही थीं.

इंफाल पूर्वी जिले में सेना, असम राइफल्स, आरएएफ और राज्य पुलिस के संयुक्त बलों ने आधी रात तक फ्लैग मार्च किया.

आरएएफ ने भाजपा विधायक बिस्वजीत सिंह के घर में तोड़फोड़ की कोशिश में शुक्रवार रात करीब 10:40 बजे थोंगजू के पास इकट्ठा हुई लगभग 100 लोगों की भीड़ को तितर-बितर कर दिया.

इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, पुलिस ने यह भी कहा कि इरिंगबाम पुलिस थाने को आधी रात के करीब भीड़ द्वारा लूटने का प्रयास किया गया था, जिसे आरएएफ ने रोक दिया.

लगभग 300 लोगों की एक और भीड़ हमला करने के लिए आधी रात के बाद सिंगामेई में भाजपा कार्यालय पहुंची. इंफाल पश्चिम में भाजपा मणिपुर अध्यक्ष ए. शारदा देवी के आवास पर तोड़फोड़ की कोशिश की गई. इन दोनों ही मौकों पर सुरक्षा बलों ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए बल प्रयोग किया.

इससे पहले बुधवार शाम को एक और भाजपा विधायक और राज्य के कैबिनेट मंत्री नेमचा किपगेन के इंफाल पश्चिम स्थित सरकारी क्वार्टर में आग लगा दी गई थी. इसी तरह, इंफाल पूर्वी जिले में केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री राजकुमार सिंह के घर पर भीड़ ने आग लगा दी थी.

असम राइफल्स की शिकायत के बाद मेईतेई नेता के ख़िलाफ़ राजद्रोह का मामला

इंफाल के एक नेता के खिलाफ एक ओपिनियन कॉलम (Opinion Column) लिखने के चलते एक आपराधिक मामला दर्ज किया गया है. कॉलम में उनके द्वारा आरोप लगाया गया था कि मणिपुर में वर्तमान संकट मंत्रीपुखरी की असम राइफल्स इकाई द्वारा पैदा किया गया है.

द हिंदू के मुताबिक, इंफाल के एक समाचार-पत्र द फ्रंटियर मणिपुर और समाचार पोर्टलों पर 31 मई को प्रकाशित कॉलम में आरोप लगाया गया है कि म्यांमार के ‘कुकी आतंकवादी संगठनों’ को असम राइफल्स द्वारा संरक्षण प्रदान किया जा रहा है.

12 जून को इंफाल पश्चिम पुलिस थाने में इंडिजिनियस पीपुल्स फ्रंट नाम के एक मेईतेई संगठन के सलाहकार जगत थौदाम के खिलाफ एक एफआईआर दर्ज की गई थी.

द हिंदू के मुताबिक, एफआईआर में उन पर राजद्रोह से संबंधित भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 124(ए)और धारा 153(ए) [धर्म, जाति, जन्मस्थान, निवास, भाषा आदि के आधार पर विभिन्न समुदायों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देने से संबंधित धारा] लगाई गई हैं. शिकायत इंफाल के मंत्रीपुखरी के असम राइफल्स (दक्षिण) के महानिरीक्षक मुख्यालय द्वारा दर्ज कराई गई है.

बता दें कि 30 मई को मणिपुर सरकार ने एक आदेश जारी किया था कि राज्य में चल रहे जातीय संघर्षों के बारे में गलत सूचना फैलाने वाले लोगों पर राजद्रोह का आरोप लगाया जाएगा.

3 मई को मणिपुर में जातीय हिंसा भड़कने के बाद से कई मेईतेई समूहों ने दावा किया है कि असम राइफल्स कुकी विद्रोही समूहों की मदद कर रहा है.

एक सरकारी सूत्र ने कहा कि कई सोशल मीडिया पोस्ट और समाचार लेख जो राज्य में हिंसा और अराजकता फैलाने के लिए फर्जी खबरें फैला रहे थे, ऐसी सामग्री की पहचान करने और उन्हें चिन्हित करने के लिए एक समर्पित टीम बनाई गई है. मणिपुर में 3 मई से इंटरनेट बंद है.

सूत्र ने बताया कि असम राइफल्स के 97 कॉलम वर्तमान में मणिपुर में तैनात हैं, जिसमें 48 कॉलम मेईतेई बहुल क्षेत्रों में तैनात हैं और 49 कॉलम कुकी प्रभुत्व वाले क्षेत्रों में तैनात हैं.

स्रोत ने बताया कि हिंसा की पहली लहर में असम राइफल्स शिविरों में 15,910 से अधिक विस्थापित लोग थे, जिनमें से 9,236 या लगभग 58 फीसदी मेईतेई समुदाय के थे.