एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, उत्तराखंड धार्मिक स्वतंत्रता (संशोधन) अधिनियम, 2022 को ध्यान में रखते हुए उत्तराखंड पुलिस ने निर्णय लिया है कि वह 2018 में क़ानून के लागू होने से अब तक हुए अंतरधार्मिक विवाहों की जांच करके पता लगाएगी कि कहीं कोई उल्लंघन तो नहीं हुआ.
देहरादून: उत्तराखंड पुलिस ने फैसला किया है कि वह पिछले पांच सालों में राज्य में हुए सभी अंतरधार्मिक विवाहों की जांच करेगी और पता लगाएगी कि कहीं उत्तराखंड धार्मिक स्वतंत्रता (संशोधन) अधिनियम- 2022 का कोई उल्लंघन तो नहीं हुआ है.
टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, इसकी पुष्टि करते हुए एडीजी (लॉ एंड ऑर्डर) वी. मुरुगेशन ने बताया, ‘हमने इस कदम के बारे में सभी 13 जिलों के एसएसपी और एसपी को लिखा है.’
उन्होंने कहा, ‘क़ानून का कोई उल्लंघन पाए जाने की स्थिति में उल्लंघनकर्ता के मूल धर्म और परिवर्तित धर्म की परवाह किए बिना संबंधित जिला पुलिस द्वारा उचित कार्रवाई की जाएगी.’
उच्च स्तरीय सूत्रों ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि इस कवायद में ऐसी सभी शादियों को शामिल किया जाएगा जो 2018 में कानून के लागू होने के बाद हुईं.
पांच साल पहले जब यह कानून लागू हुआ था तो यह अनिवार्य किया गया था कि धर्मांतरण करने वाले व्यक्ति को धर्मांतरण से कम से कम एक माह पहले क्षेत्र के जिला मजिस्ट्रेट (डीएम) या कार्यकारी मजिस्ट्रेट को इसकी सूचना देनी होगी. व्यक्ति के धर्मांतरण के अलावा, अधिनियम में धर्मांतरण कराने वाले धार्मिक व्यक्ति के लिए भी समान प्रावधान अनिवार्य थे.
पिछले साल 21 दिसंबर को कानून में किए गए संशोधन ने जबरन धर्मांतरण के लिए सजा को और भी कठोर बना दिया था और इसे संज्ञेय व गैर जमानती अपराध बना दिया था, जिसमें 10 साल तक कारावास और 50,000 रुपये जुर्माने की बात थी.
मामले के जानकार राज्य के गृह विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ‘इस कवायद के एक हिस्से के तौर पर पुलिस यह जांचेगी कि क्या किसी अन्य धर्म के व्यक्ति के साथ शादी करने वाले व्यक्ति ने अपना धर्म बदला है. अगर हां, तो क्या उन्होंने कानून के तहत तय मापदंडों का पालन किया या फिर उन पर उनके साथी ने धर्म परिवर्तित करने का दबाव बनाया?’
उन्होंने कहा, ‘अगर ऐसा पाया जाता है कि प्रक्रिया का पालन नहीं हुआ था, तो पुलिस आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई करेगी, बिना यह विचार किए कि वह कितने समय से शादीशुदा हैं. साथ ही, अगर ऐसा पाया जाता है कि जबरन धर्मांतरण हुआ था तो उन लोगों के खिलाफ जरूरी कानूनी कार्रवाई की जाएगी जो इसके पीछे रहे.’
अधिकारी ने इस ओर भी संकेत किया कि 2018 में कानून के लागू होने के बाद से इसके उल्लंघन के लिए इस साल के 15 जून तक 18 मामले दर्ज किए गए हैं.