केंद्र सरकार के कर्मचारियों के विभिन्न संगठनों ने हाल ही में वित्त सचिव को दिए गए एक ज्ञापन में नई पेंशन योजना को वापस लेने की मांग की. इन संगठनों ने इस योजना की समीक्षा के लिए केंद्र द्वारा नियुक्त समिति के सुझाओं को अस्वीकार कर दिया है.
नई दिल्ली: केंद्र सरकार के कर्मचारियों के विभिन्न संगठनों ने नई पेंशन योजना (एनपीएस) की समीक्षा के लिए केंद्र द्वारा नियुक्त समिति के सुझावों को अस्वीकार कर दिया है.
द हिंदू बिजनेस लाइन की एक रिपोर्ट के अनुसार, बीते 9 जून को वित्त सचिव को सौंपे गए ज्ञापन में इन संगठनों ने नई पेंशन योजना हटाने के साथ मांग की कि पुरानी पेंशन योजना को बहाल किया जाए.
स्टाफन्यूज डॉट इन की एक रिपोर्ट के अनुसार, कर्मचारी संगठनों सरकार के समक्ष दो मांग रखी है.
पहली मांग, 1 जनवरी, 2004 या उसके बाद भर्ती हुए कर्मचारियों के लिए लागू नई पेंशन योजना को वापस लेना और उन सभी को सीसीएस (पेंशन) नियम, 1972 के तहत पुरानी पेंशन योजना के दायरे में लाना है.
दूसरी मांग 1 जनवरी, 2004 को या उसके बाद भर्ती हुए कर्मचारियों को उनके जीपीएफ खाते में रिटर्न के साथ संचित योगदान जमा करके जनरल पेंशन फंड (जीपीएफ) योजना लागू करना है.
ज्ञापन में यह भी कहा गया है कि नई पेंशन योजना कर्मचारियों की पेंशन को ‘बाजार की अनिश्चितताओं’ पर छोड़ सकता है.
कर्मचारी संगठनों की ओर से कहा गया है, ‘पेंशन वृद्धावस्था के दौरान सुरक्षा और निर्वाह के लिए मजदूरी है. इसके अलावा तत्कालीन सरकार ने राष्ट्रीय परिषद के कर्मचारी पक्ष (जेसीएम) सहित केंद्र सरकार के कर्मचारियों के ट्रेड यूनियनों/संघों के साथ किसी भी परामर्श के बिना अंशदायी पेंशन योजना की शुरुआत की थी.’
उन्होंने कहा कि उन्होंने 2003 में शुरू की गई नई पेंशन योजना का विरोध किया है.
उन्होंने यह भी कहा कि नई पेंशन योजना के कार्यान्वयन के 20 वर्षों ने ‘सेवानिवृत्त होने वाले कर्मचारियों को सामाजिक सुरक्षा/वृद्धावस्था सुरक्षा से वंचित कर दिया और राष्ट्रीय परिषद (जेसीएम) की स्थायी समिति की 14 दिसंबर, 2007 को हुई बैठक में भारत सरकार द्वारा दिए गए लिखित आश्वासन का उल्लंघन किया है.’
2007 में केंद्र सरकार ने आश्वासन दिया था कि जो लोग 2004 से पहले सरकारी सेवाओं में प्रवेश कर चुके है, वे नई पेंशन योजना से प्रभावित नहीं होंगे.
नई पेंशन योजना के अनुसार, कर्मचारी और नियोक्ता (सरकार) दोनों पेंशन कोष में धन का योगदान करेंगे. हालांकि, पुरानी पेंशन योजना के तहत पूरा योगदान सरकार द्वारा किया जाता था.
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