कांग्रेस सहित दस विपक्षी दलों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर मणिपुर में जातीय हिंसा को हल करने के लिए हस्तक्षेप करने की मांग की. विपक्षी दलों ने हिंसा को रोकने में विफल रहने के लिए केंद्र और राज्य में भाजपा सरकार की ‘बांटो और राज करो की राजनीति’ को ज़िम्मेदार ठहराया है.
नई दिल्ली: मणिपुर को लेकर कांग्रेस सहित कुल 10 राजनीतिक दलों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखा है जिसमें जातीय हिंसा को हल करने के लिए उनके तत्काल हस्तक्षेप की मांग की गई है. राज्य में अब तक 110 से अधिक लोग मारे गए हैं, लाखों रुपये की संपत्ति का नुकसान हुआ है और हजारों लोग विस्थापित हुए हैं.
इंडियन एक्सप्रेस के रिपोर्ट के मुताबिक, 19 जून को लिखे पत्र में विपक्षी दलों ने मणिपुर में हिंसा को रोकने में विफल रहने के लिए केंद्र और राज्य में भाजपा सरकार की ‘बांटो और राज करो की राजनीति’ को जिम्मेदार ठहराया.
उन्होंने मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह को वर्तमान जातीय हिंसा के लिए जिम्मेदार ठहराया और कहा कि यदि उन्होंने निवारक उपाय और त्वरित कार्रवाई की होती तो संघर्ष को टाला जा सकता था.
पत्र में माननीय प्रधानमंत्री की चुप्पी की भी आलोचना की और कहा कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की राज्य की यात्रा के बावजूद शांति बहाली में कोई फर्क नहीं आया है.
तत्काल गोलीबारी को बंद करवाने का आह्वान करते हुए विपक्षी दलों ने कहा कि सभी सशस्त्र समूहों को तुरंत निरस्त्र किया जाना चाहिए और पर्याप्त सुरक्षा उपाय किए जाने चाहिए.
पत्र में आगे कहा गया है, एसओओ के तहत कुकी उग्रवादियों द्वारा ऑपरेशन के निलंबन के जमीनी नियमों का कड़ाई से पालन सुनिश्चित किया जाना चाहिए.
विपक्षी दलों ने कहा कि वे मणिपुर की एकता और क्षेत्रीय अखंडता के लिए खड़े हैं और इस प्रकार कुकी जनजाति से संबंधित दो मंत्रियों सहित दस विधायकों द्वारा कुकी के लिए ‘अलग प्रशासन’ की मांग के खिलाफ हैं.
केंद्र सरकार द्वारा घोषित 101.75 करोड़ रुपये के राहत पैकेज पर अपनी निराशा व्यक्त करते हुए पार्टियों ने राज्य सरकार से डेटा एकत्र करके प्रभावित लोगों के लिए अधिक पुनर्वास और पुनर्वास पैकेज की मांग की.
उन्होंने राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 2 को खोलने का भी आह्वान किया, जो इंफाल को दीमापुर से जोड़ता है. मणिपुर की जीवन रेखा मानी जाने वाली इंफाल को दीमापुर से जोड़ने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 2 को 3 मई से राजमार्ग के किनारे रहने वाले कुछ कुकी संगठनों द्वारा अवरुद्ध कर दिया गया है.
पत्र में कहा गया है कि आवश्यक वस्तुओं और अन्य सामानों की आवाजाही पूरी तरह से बाधित हो गई है, जिसके परिणामस्वरूप उनकी अनुपलब्धता और कीमतों में वृद्धि हुई है.
पार्टियों ने राज्य में अशांत स्थितियों के कारण अवैध प्रवासियों की आमद को रोकने के लिए मणिपुर-म्यांमार सीमा पर कड़ी निगरानी रखने का भी आह्वान किया.
पत्र पर कांग्रेस के अलावा जद (यू), सीपीआई, सीपीएम, तृणमूल कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, शिवसेना (यूबीटी), रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी ने हस्ताक्षर किए हैं.
राज्य सरकार ने इंटरनेट पर प्रतिबंध बढ़ाया
एनडीटीवी के अनुसार, मणिपुर सरकार ने इंटरनेट पर प्रतिबंध को तत्काल प्रभाव से पांच दिनों के लिए 25 जून तक बढ़ा दिया है.
राज्य में जारी अशांति को देखते हुए डेटा सेवाओं पर तीन मई से लगातार प्रतिबंध लगाया गया है. राज्य सरकार द्वारा मंगलवार को जारी आदेश में कहा गया है कि राज्य में इंटरनेट सेवाओं के निलंबन को पांच और दिनों के लिए यानी 25 जून को दोपहर 3 बजे तक बढ़ाया जाएगा.
राज्य आयुक्त (गृह) टी. रंजीत सिंह द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि मणिपुर के पुलिस महानिदेशक ने 19 जून के पत्र में कहा है कि अब भी घरों और परिसरों में आगजनी जैसी घटनाओं की खबरें आ रही हैं.
आदेश में आगे कहा गया है कि ऐसी आशंका है कि कुछ असामाजिक तत्व जनता को भड़काने के लिए तस्वीरें, अभद्र भाषा और अभद्र वीडियो संदेशों के प्रसारण के लिए बड़े पैमाने पर सोशल मीडिया का उपयोग कर सकते हैं, जिसका राज्य की कानून-व्यवस्था की स्थिति पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है.
आदेश में कहा गया है, ‘मोबाइल फोन आदि पर विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म जैसे वॉट्सऐप, फेसबुक, इंस्टाग्राम, ट्विटर, बल्क एसएमएस आदि के माध्यम से फर्जी सूचनाएं और झूठी अफवाहों के प्रसार को रोककर जनहित में कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए पर्याप्त उपाय करना अभी भी आवश्यक है.’
इससे पहले मणिपुर हाईकोर्ट ने एक अंतरिम आदेश में मंगलवार (20 जून) को राज्य के अधिकारियों को आदेश दिया था कि वह अपने नियंत्रण में कुछ निर्दिष्ट स्थानों पर जनता को सीमित इंटरनेट सेवा प्रदान करें.