असम: चुनाव आयोग ने परिसीमन प्रस्ताव का ड्राफ्ट जारी किया, आरक्षित सीटों में वृद्धि की गई

चुनाव आयोग ने मसौदा प्रस्ताव में अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित विधानसभा सीटों की संख्या आठ से बढ़ाकर नौ और अनुसूचित जनजाति के लिए 16 से बढ़ाकर 19 करने का सुझाव दिया है. साथ ही, लोकसभा के लिए अनुसूचित जनजातियों के लिए दो और अनुसूचित जातियों के लिए एक सीट आरक्षित करने का सुझाव दिया है.

(फोटो: पीटीआई)

चुनाव आयोग ने मसौदा प्रस्ताव में अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित विधानसभा सीटों की संख्या आठ से बढ़ाकर नौ और अनुसूचित जनजाति के लिए 16 से बढ़ाकर 19 करने का सुझाव दिया है. साथ ही, लोकसभा के लिए अनुसूचित जनजातियों के लिए दो और अनुसूचित जातियों के लिए एक सीट आरक्षित करने का सुझाव दिया है.

(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: चुनाव आयोग ने मंगलवार को असम में परिसीमन के लिए अपना मसौदा प्रस्ताव जारी किया, जिसमें अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षित सीटों को आठ से नौ और अनुसूचित जनजातियों के लिए 16 से बढ़ाकर 19 करने का सुझाव दिया है.

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, चुनाव आयोग ने 11 जुलाई तक जनता से सुझाव और आपत्तियां आमंत्रित कीं और घोषणा की है कि तीन सदस्यीय पैनल जुलाई में जनसुनवाई के लिए राज्य का दौरा करेगा.

संविधान के अनुच्छेद 170 और 82 के अनुसार, 2026 को पहली जनगणना प्रकाशित होने तक किसी भी राज्य में विधानसभा सीटों और लोकसभा सीटों की संख्या में बदलाव नहीं किया जा सकता है. नतीजतन, असम में विधानसभा सीटों और लोकसभा सीटों की संख्या क्रमशः 126 और 14 रहेगी.

रिपोर्ट के अनुसार, परिसीमन 2001 की जनगणना के आधार पर किया गया है, जो 1976 के बाद से असम में इस तरह का पहला अभ्यास है. लोकसभा सीटों में से दो सीटों को एसटी के लिए और एक को एससी के लिए आरक्षित करने का प्रस्ताव दिया गया है.

एक बयान में चुनाव आयोग ने कहा कि उसने पश्चिम कार्बी आंगलोंग में स्वायत्त जिलों में एक सीट बढ़ाई है और बोडोलैंड जिलों में विधानसभा सीटों की संख्या 16 से बढ़ाकर 19 कर दी है. दीफू और कोकराझार संसदीय सीटों को एसटी के लिए आरक्षित रखा गया, जबकि लखीमपुर सीट अनारक्षित रखा गया है.

दीफू संसदीय निर्वाचन क्षेत्र में तीन स्वायत्त जिलों के छह विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं. बराक घाटी जिलों- कछार, हैलाकांडी और करीमगंज के लिए दो संसदीय सीट प्रस्तावित की गई हैं. आयोग ने एक संसदीय सीट का नाम काजीरंगा रखने का प्रस्ताव दिया है.

चुनाव आयोग ने कहा कि 2001 की जनगणना के अलावा मसौदा प्रस्ताव प्रशासनिक इकाइयों- ग्रामीण क्षेत्रों में विकास खंडों, पंचायतों और गांवों और शहरी क्षेत्रों में नगरपालिका वार्डों पर आधारित है.

चुनाव आयोग ने कहा, ‘सभी निर्वाचन क्षेत्रों को यथासंभव भौगोलिक रूप से सघन क्षेत्र बनाने का प्रयास किया गया है और उनके परिसीमन में भौतिक विशेषताओं, जनसंख्या के घनत्व, प्रशासनिक इकाइयों की मौजूदा सीमाओं, संचार की सुविधाओं और सार्वजनिक सुविधा को ध्यान में रखा गया है.’

इसमें कहा गया है कि पिछले परिसीमन से अब तक जिलों की संख्या 10 से बढ़कर 31 हो गई है. चुनाव आयोग ने कहा कि उसे असमान जनसंख्या वृद्धि के बारे में कई अभ्यावेदन मिले थे.

आयोग ने कहा, ‘पिछले परिसीमन के बाद से जहां कुछ जिलों में अधिक जनसंख्या वृद्धि हुई है, वहीं कुछ जिलों में कम जनसंख्या वृद्धि देखी गई है. यह देखा गया है कि राज्य के जिलों में जनसंख्या घनत्व दीमा हसाओ जिले में 38 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी से लेकर कामरूप (मेट्रोपॉलिटन) जिले में 1,096 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी तक है.’

मसौदा प्रस्ताव में राज्य के औसत जनसंख्या घनत्व (338 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी) पर 10 प्रतिशत मार्जिन के आधार पर जिलों को तीन श्रेणियों में विभाजित किया गया है. प्रत्येक जिले में सीटों की संख्या तीन श्रेणियों पर आधारित हैं.

चुनाव आयोग को 11 राजनीतिक दलों और 71 अन्य संगठनों से प्रतिनिधित्व मिला था. सरकार द्वारा परिसीमन शुरू करने के लिए लिखे जाने के बाद चुनाव आयोग ने दिसंबर 2022 में परिसीमन प्रक्रिया शुरू की थी.

हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, विपक्षी दल कांग्रेस ने प्रस्ताव की आलोचना की. विधानसभा में विपक्ष के नेता कांग्रेस विधायक देवव्रत सैकिया ने कहा, ‘परिसीमन प्रक्रिया 2024 के लोकसभा चुनावों और असम में 2026 के विधानसभा चुनावों में सत्तारूढ़ भाजपा को लाभ पहुंचाने के लिए एक राजनीतिक कदम है.’

उन्होंने कहा, ‘हम मसौदा प्रस्ताव के विवरण का अध्ययन करेंगे और चुनाव आयोग को अपनी आपत्तियां प्रस्तुत करेंगे.’

भारतीय जनता पार्टी ने भी कहा कि वह मसौदा प्रस्ताव पढ़ने के बाद इस पर टिप्पणी करेगी. भाजपा नेता और असम के संसदीय मामलों के मंत्री पीयूष हजारिका ने कहा, ‘हम विवरण का अध्ययन किए बिना मसौदा प्रस्ताव पर टिप्पणी नहीं कर सकते.’