पिछले डेढ़ महीने से मणिपुर में जातीय हिंसा का दौर जारी है. बीते बुधवार को बिष्णुपुर ज़िले में एक आईईडी विस्फोट में एक आठ वर्षीय लड़का और दो किशोर घायल हो गए. वहीं, कांगपोकपी ज़िले के दो गांवों में भी अंधाधुंध गोलीबारी हुई. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने स्थिति पर चर्चा के लिए 24 जून को एक सर्वदलीय बैठक बुलाई है.
नई दिल्ली: मणिपुर में जारी जातीय हिंसा के दौर के बीच केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस पर चर्चा के लिए नई दिल्ली में 24 जून को एक सर्वदलीय बैठक बुलाई है. वहीं कांग्रेस नेता सोनिया गांधी ने एक वीडियो संदेश जारी कर मणिपुर में शांति की अपील की है. उन्होंने कहा कि हिंसा ने राष्ट्र की अंतरात्मा पर गहरा आघात किया है.
उनका बयान ऐसे समय में आया है, जब कांग्रेस भाजपा शासित राज्य में हिंसा पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुप्पी को लेकर उन पर हमला कर रही है. मणिपुर के विपक्षी दलों के नेता इस सप्ताह प्रधानमंत्री से मिलने के लिए दिल्ली में थे, लेकिन उन्होंने दावा किया कि उनके अमेरिका रवाना होने से पहले उन्हें उनसे मिलने का मौका नहीं मिला.
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, प्रधानमंत्री को दिए ज्ञापन में उन्होंने आरोप लगाया कि मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह उस जातीय हिंसा के सूत्रधार हैं, जिसने राज्य को तबाह कर दिया है. हालांकि, सोनिया गांधी अपने बयान में सरकार पर हमला करने या आरोप-प्रत्यारोप में शामिल होने से बचती रहीं.
#WATCH | Congress Parliamentary Party Chairperson Sonia Gandhi releases a video message; says, "…The unprecedented violence that has devastated the lives of people in your state (Manipur) and uprooted thousands has left a deep wound in the conscience of our nation…Our choice… pic.twitter.com/RW8LDI6XCT
— ANI (@ANI) June 21, 2023
उन्होंने कहा, ‘लगभग 50 दिनों से हमने मणिपुर में एक बड़ी मानवीय त्रासदी देखी है. अभूतपूर्व हिंसा, जिसने आपके राज्य में लोगों के जीवन को तबाह कर दिया है और हजारों लोगों को बेघर कर दिया है, ने हमारे राष्ट्र की अंतरात्मा पर गहरा आघात किया है.’
उन सभी लोगों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए जिन्होंने हिंसा में अपने प्रियजनों को खो दिया है, उन्होंने कहा, ‘मुझे यह देखकर गहरा दुख होता है कि लोग उस एकमात्र जगह से भागने को मजबूर हैं, जिसे वे अपना घर कहते हैं और अपने पीछे वह सब कुछ छोड़ रहे हैं जो उन्होंने जीवन भर बनाया है.’
उन्होंने कहा, ‘यह देखना हृदयविदारक है कि हमारे भाई-बहन जो शांतिपूर्वक सह-अस्तित्व में थे, एक-दूसरे के खिलाफ हो गए. मणिपुर का इतिहास सभी जातियों, धर्मों और पृष्ठभूमि के लोगों को गले लगाने की उनकी क्षमता और विविध समाज की असंख्य संभावनाओं का प्रमाण है.’
उन्होंने कहा, ‘भाईचारे की भावना को बढ़ावा देने के लिए जबरदस्त विश्वास और सद्भावना की जरूरत होती है और नफरत और विभाजन की आग को भड़काने के लिए एक ही गलती की जरूरत होती है.’
उन्होंने आगे कहा, ‘मैं मणिपुर के लोगों, विशेषकर अपनी बहादुर बहनों से अपील करती हूं कि वे इस खूबसूरत भूमि में शांति और सद्भाव लाने का नेतृत्व करें. एक मां के रूप में मैं आपका दर्द समझती हूं और आपके अच्छे विवेक से मार्गदर्शन करने की अपील करती हूं.’
अमित शाह ने 24 जून को सर्वदलीय बैठक बुलाई
इस बीच गृह मंत्रालय के प्रवक्ता के हैंडल से 21 जून (बुधवार) की देर रात ट्वीट किया गया कि बैठक में ‘मणिपुर की स्थिति’ पर चर्चा की जाएगी. प्रवक्ता ने ट्वीट किया, ‘केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मणिपुर की स्थिति पर चर्चा करने के लिए 24 जून को अपराह्न तीन बजे नई दिल्ली में सर्वदलीय बैठक बुलाई है.’
Union Home Minister Shri @AmitShah has convened an all party meeting on 24th June at 3 PM in New Delhi to discuss the situation in Manipur.@PIB_India @DDNewslive @airnewsalerts
— Spokesperson, Ministry of Home Affairs (@PIBHomeAffairs) June 21, 2023
उसी दिन असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा, जो भाजपा के नॉर्थ ईस्ट डेमोक्रेटिक अलायंस के प्रमुख हैं, ने शाह से मुलाकात की.
यह कदम नेताओं के तीन प्रतिनिधिमंडलों के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ बातचीत करने में विफल रहने के बाद सामने आया है, जिनमें दो भारतीय जनता पार्टी के भी शामिल हैं – जो केंद्र और राज्य दोनों में सत्ता में है.
मणिपुर बीते 3 मई से जातीय हिंसा की गिरफ्त में है और राज्य के निवासियों ने बार-बार केंद्र सरकार से हिंसा को रोकने में अधिक सक्रिय भूमिका निभाने का अनुरोध किया है.
डेक्कन हेराल्ड की रिपोर्ट के मुताबिक, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अब तक मणिपुर मामले को लेकर चुप्पी साधे हुए हैं और वर्तमान में अमेरिका के दौरे पर हैं. वहां रह रहे कुकी और मेईतेई समुदाय के लोग वॉशिंगटन में अलग-अलग प्रदर्शन करेंगे.
नॉर्थ अमेरिकन मणिपुर ट्राइबल एसोसिएशन, जिसमें कुकी-ज़ोमी लोग शामिल हैं और अमेरिका में मेईतेई एसोसिएशन, दोनों ने राज्य में हिंसा और कानून व्यवस्था की स्थिति के खिलाफ अखबार से बात की है.
न्यू इंडियन एक्सप्रेस ने बताया कि मणिपुर के थौबल जिले में ‘थौबल अपुनबा लूप’ नामक एक सामाजिक संगठन के तहत प्रदर्शनकारियों ने अंतरराष्ट्रीय योग दिवस का बहिष्कार किया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पुतले जलाए, जिन्होंने इस दिन को संयुक्त राष्ट्र में मनाया.
संगठन ने दुख जताया कि प्रधानमंत्री संयुक्त राष्ट्र में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मना रहे हैं और शांति तथा सद्भाव का संदेश फैला रहे हैं, जबकि मणिपुर में अनियंत्रित हिंसा और लोगों का नरसंहार हो रहा है.
संगठन के सचिव जिबन कुमार ने कहा, ‘5,000 से अधिक घर जला दिए गए हैं, 100 से अधिक लोगों ने अपना बहुमूल्य जीवन खो दिया है और 50,000 लोग हिंसा से विस्थापित हो गए हैं और अपनी मातृभूमि में राहत शिविरों में शरण ले रहे हैं, लेकिन प्रधानमंत्री ने प्रभावित परिवारों को सांत्वना देने के लिए एक भी शब्द नहीं कहा है.’
उन्होंने कहा, ‘क्या प्रधानमंत्री को मणिपुर केवल चुनाव के समय ही याद आता है? कृपया कुछ कहें प्रिय प्रधानमंत्री. मणिपुर का जीवन मायने रखता है. हम मणिपुर के लोग, आपकी चुप्पी पर आपसे स्पष्टीकरण चाहते हैं.’
आईईडी विस्फोट में तीन घायल, दो गांवों में गोलीबारी हुई
टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, बुधवार को ही बिष्णुपुर जिले में एक आईईडी विस्फोट में एक आठ वर्षीय लड़का और दो किशोर घायल हो गए. कांगपोकपी जिले के दो गांवों में भी अंधाधुंध गोलीबारी हुई.
इस बीच, राज्य में छिटपुट हिंसा जारी है, जहां विपक्षी नेता और निवासियों का एक वर्ग इस बात पर जोर दे रहा है कि मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह हिंसा को संभालने में असमर्थ हैं. वहीं, मुख्यमंत्री ने जारी हिंसा के लिए ‘म्यांमार के घुसपैठियों’ को जिम्मेदार ठहराया है.
टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्य सरकार द्वारा हिंसा के बीच 6 जून को प्रस्तुत एक आधिकारिक सर्वेक्षण में राज्य के चार जिलों में अवैध रूप से रहने वाले 2,000 म्यांमार प्रवासियों की पहचान की गई है. म्यांमार में लोग दमनकारी जुंटा सैन्य शासन से भाग रहे हैं और सीमावर्ती भारतीय राज्यों में प्रवेश कर रहे हैं.
रिपोर्ट के अनुसार, यह स्पष्ट नहीं है कि आईजीपी द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट यह कैसे साबित करती है कि राज्य में जातीय हिंसा म्यांमार से विस्थापित लोगों द्वारा की गई है.