डिजिटल इंडिया विधेयक में फैक्ट-चेकर्स का केंद्र के साथ पंजीकरण अनिवार्य हो सकता है: रिपोर्ट

सरकारी स्रोतों के हवाले से एक रिपोर्ट बताती है कि आगामी डिजिटल इंडिया विधेयक में ऑनलाइन फैक्ट-चेक करने वाले मंच केंद्र सरकार के साथ पंजीकरण कराने के लिए बाध्य होंगे.

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(प्रतीकात्मक तस्वीर साभार: पिक्साबे)

सरकारी स्रोतों के हवाले से एक रिपोर्ट बताती है कि आगामी डिजिटल इंडिया विधेयक में ऑनलाइन फैक्ट-चेक करने वाले मंच केंद्र सरकार के साथ पंजीकरण कराने के लिए बाध्य होंगे.

(प्रतीकात्मक तस्वीर साभार: पिक्साबे)

नई दिल्ली: फैक्ट-चेक करने वाले मंचों को अब केंद्र सरकार से पंजीकरण प्राप्त करने की आवश्यकता हो सकती है. यह उनसे अधिक जवाबदेही मांगने की सरकारी योजना का हिस्सा है.

इंडियन एक्सप्रेस ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया है कि आगामी डिजिटल इंडिया विधेयक के तहत एक महत्वपूर्ण प्रावधान के रूप में वर्तमान में इस पर विचार किया जा रहा है, यह भारत के वर्तमान इंटरनेट कानून की जगह लेगा.

एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा कि पंजीकरण योजना को विभिन्न चरणों में अंजाम दिया जा सकता है, जिसमें पुरानी और प्रतिष्ठित मीडिया कंपनियों की फैक्ट-चेक इकाइयों को पहले चरण में पंजीकरण की अनुमति दी जाएगी.

इससे पहले इंडियन एक्सप्रेस ने बताया था कि डिजिटल इंडिया विधेयक में फैक्ट-चेकिंग पोर्टल समेत विभिन्न प्रकार के ऑनलाइन मध्यस्थों को वर्गीकृत करने की संभावना है.

वर्गीकरण के पीछे एक प्रमुख कारण यह है कि केंद्र विभिन्न प्रकार के मध्यस्थों के लिए विशिष्ट नियम निर्धारित करना चाहता है. ऐसा समझा जाता है कि फैक्ट-चेकिंग मंचों के लिए, उन नियमों में से एक सरकारी निकाय से पंजीकरण प्राप्त करना हो सकता है.

आगामी कानून ऑनलाइन स्पेस के लिए सरकार द्वारा तैयार किए जा रहे ‘व्यापक कानूनी ढांचे’ का एक प्रमुख घटक है. इसमें डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक 2022 का मसौदा, प्रस्तावित भारतीय दूरसंचार विधेयक 2022 और गैर-व्यक्तिगत डेटा के प्रशासन और प्रबंधन के लिए एक नीति भी शामिल है.

अधिकारी ने बताया, ‘मंत्रालय विधेयक का मसौदा तैयार करने के अंतिम चरण में है. तथ्य की जांच करने वालों के लिए, यह विचार है कि उन्हें सरकार के साथ पंजीकृत होना चाहिए. नॉन-लीगेसी मीडिया (पारंपरिक मीडिया से अलग) की फैक्ट-चेकिंग बॉडी को पंजीकृत नहीं करने की भी योजना है.’

अधिकारी ने बताया कि डिजिटल इंडिया बिल का मसौदा जून के अंत या जुलाई की शुरुआत में जारी किया जा सकता है. यह विधेयक कुछ मूलभूत सिद्धांतों को भी समाप्त कर सकता है, जो वर्तमान में ऑनलाइन मंचों को नियंत्रित करते हैं.

बता दें कि पिछले कुछ महीनों में केंद्र सरकार ने ऑनलाइन सामग्री की फैक्ट-चेकिंग पर शिकंजा कसने का प्रयास किया है.

सबसे पहले, सरकार ने इस साल अप्रैल में सूचना प्रौद्योगिकी नियम-2023 को अधिसूचित किया, जिसने सरकारी फैक्ट-चैकिंग इकाई के निर्माण के लिए जमीन तैयार की, जिसे केंद्र सरकार से संबंधित सामग्री को ‘फर्जी’ या ‘भ्रामक’ ठहराने का अधिकार होगा. फिर उस सामग्री को ऑनलाइन मध्यस्थों को अपने मंच से हटाना होगा. इस प्रावधान का व्यापक विरोध हुआ है. मामला अदालत में भी पहुंचा और प्रावधान को वापस लेने की मांग की जाती रही है.

सरकारी फैक्ट-चेक इकाई के खिलाफ बॉम्बे हाईकोर्ट में चल रहे मामले में केंद्र सरकार ने कहा है कि वह 5 जुलाई तक इस पर आगे नहीं बढ़ेगी.

इसके अलावा, केंद्र सरकार इस क्षेत्र की कंपनियों के साथ भी इस चर्चा में शामिल है कि वे सरकार से संबंध न रखने वाली सूचनाओं की फैक्ट-चेकिंग के लिए एक स्व-नियामक संगठन विकसित करें.

इंडियन एक्सप्रेस ने ही पहले बताया था कि मेटा और गूगल समेत शीर्ष सोशल मीडिया मंचों ने केंद्र को एक प्रस्ताव भेजा है, जिसमें फैक्ट-चेक करने वालों का एक नेटवर्क बनाने की उनकी योजना का विवरण दिया गया है, जिसे ‘मिसइंफॉर्मेशन कॉम्बैट अलायंस’ कहा गया है, जो उनके मंचों पर पोस्ट की गई संदिग्ध सामग्री की पहचान करेगा.