पद्मावती का एक दिसंबर को रिलीज़ होना शांति व्यवस्था के हित में नहीं: उप्र सरकार

करणी सेना ने प्रधानमंत्री से मामले में हस्तक्षेप की मांग करते हुए एक दिसंबर को बंद का आह्वान किया. कोटा के सिनेमाघर में तोड़फोड़.

करणी सेना ने प्रधानमंत्री से मामले में हस्तक्षेप की मांग करते हुए एक दिसंबर को बंद का आह्वान किया. कोटा के सिनेमाघर में तोड़फोड़. छह लोग न्यायिक हिरासत में.

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पद्मावती फिल्म का पोस्टर. (फोटो साभार: फेसबुक)

लखनऊ: संजय लीला भंसाली की फिल्म पद्मावती को लेकर देश में जारी विरोध के बीच उत्तर प्रदेश सरकार ने बुधवार को केंद्र को पत्र लिखकर कहा है कि राज्य में स्थानीय निकाय चुनाव तथा बारावफात को देखते हुए आगामी एक दिसंबर को इस फिल्म का रिलीज होना शांति व्यवस्था के हित में नहीं होगा.

राज्य सरकार के एक प्रवक्ता के अनुसार गृह विभाग ने केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण सचिव को ख़त लिखकर बताया है कि पद्मावती फिल्म की कथावस्तु एवं ऐतिहासिक तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश किए जाने को लेकर व्याप्त जनाक्रोश एवं इसके सार्वजनिक चित्रण से शांति व्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की आशंका है.

विभिन्न संगठन फिल्म के प्रदर्शित होने पर सिनेमाघरों में तोड़फोड़, आगज़नी की चेतावनी दे रहे हैं. ऐसे में मंत्रालय से अनुरोध है कि वह इस बारे में सेंसर बोर्ड को बताए, जिससे फिल्म के प्रमाणन पर निर्णय लेते समय बोर्ड के सदस्य जनभावनाओं को जानते हुए विधि अनुसार निर्णय ले सकें.

पत्र में कहा गया है कि चूंकि प्रदेश में इस वक्त नगरीय निकायों के चुनाव की प्रक्रिया चल रही है. वोटों की गिनती एक दिसंबर को होगी. अगले दिन बारावफात का पर्व भी होना संभावित है, जिसमें पारंपरिक रूप से मुस्लिम समुदाय द्वारा व्यापक रूप से जुलूस निकाले जाते हैं.

ऐसे में अगर फिल्म के ख़िलाफ़ कोई प्रदर्शन होने पर प्रदेश में व्यापक पैमाने पर अशांति व कानून एवं व्यवस्था की स्थितियां उत्पन्न हो सकती हैं. ऐसे में आगामी एक दिसंबर को फिल्म का रिलीज़ होना शान्ति व्यवस्था के हित में नहीं होगा.

गृह विभाग ने अपने पत्र में यह उल्लेख भी किया है कि फिल्म फिल्म पद्मावती के प्रदर्शन पर रोक लगाने को लेकर कुछ संगठनों ने उच्चतम न्यायालय में याचिका दाख़िल की थी, जिसको न्यायालय द्वारा इस टिप्पणी के साथ नहीं सुना गया कि इसके लिए राहत का वैकल्पिक पटल उपलब्ध है. यानी इस फिल्म के संबंध में संबंधित पक्ष द्वारा सेंसर बोर्ड के समक्ष आपाियां उठाई जा सकती हैं.

संजय लीला भंसाली द्वारा निर्देशित और दीपिका पादुकोण, रणवीर सिंह व शाहिद कपूर की मुख्य भूमिकाओं वाली फिल्म पद्मावती एक दिसंबर को रिलीज़ होनी है. फिल्म के विरोध में क्षत्रिय तथा हिंदूवादी संगठन प्रदेश में जगह-जगह प्रदर्शन कर रहे हैं.

उत्तर प्रदेश में पुलिस महानिदेशक ने जारी किए निर्देश

फिल्म पद्मावती को लेकर उठे विवाद के बीच उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक ने फिल्म के ख़िलाफ़ कुछ संगठनों द्वारा विरोध प्रदर्शन के मद्देनज़र सभी ज़िला पुलिस प्रमुखों को कानून-व्यवस्था संबंधी निर्देश जारी किए.

बुधवार को पुलिस महानिदेशक सुलखान सिंह द्वारा प्रदेश के सभी वरिष्ठ पुलिस अधीक्षकों अथवा पुलिस अधीक्षकों को भेजे गये आदेश में कहा कि पद्मावती फिल्म पर रोक लगाए जाने की मांग को लेकर कुछ संगठनों द्वारा प्रदेश के विभिन्न ज़िलों में विरोध प्रदर्शन किए जाने की बात प्रकाश में आई है.

इन हालात में प्रदेश की कानून-व्यवस्था को बनाए रखने के लिए सभी सिनेमाहाल, माल और मल्टीप्लेक्स में विशेष सतर्कता एवं निगरानी रखी जाए तथा दंगा रोधी उपकरणों से लैस समुचित पुलिस प्रबंध सुनिश्चित किया जाए. पर्याप्त अतिरिक्त पुलिस बल रखा जाए ताकि आकस्मिकता की स्थिति में उसे तैनात किया जा सके.

इसके अलावा आपात स्थिति में पूर्व से ही एक कार्ययोजना तैयार की जाए और पुलिस बल की निरंतर पालीवार ड्यूटी लगाकर सतर्क एवं सजग रखा जाए. धरना, प्रदर्शन, ज्ञापन, मार्ग जाम, तोड़फोड़, आगजनी की आशंका के मद्देनज़र सतर्कता एवं पर्याप्त पुलिस प्रबन्ध सुनिश्चित किया जाए.

विरोध में एकजुट हुए राजनीतिक दल, पूर्व राजघराने और सामाजिक संगठन

जयपुर: इतिहास के साथ कथित छेड़छाड़ के विरोध में राजनीतिक दल, सामाजिक संगठन, राजस्थान के पूर्व राजघराने, हिंदू संगठन और सर्वसमाज समवेत स्वर में फिल्म पद्मावती में महारानी पद्मावती का गलत चित्रण किए जाने का कड़ा विरोध करते हुए केंद्र एवं राजस्थान सरकार से इसकी रिलीज़ पर रोक लगाने या विवादित अंशों को हटाने की मांग की है.

इस मामले में राजस्थान सरकार का कहना है कि उसने कला एवं संस्कृति विभाग से विवादित अंशों को लेकर रिपोर्ट देने को कहा है. रिपोर्ट आने पर सरकार उचित कार्रवाई करेगी, लेकिन इस संबंध में किसी को कानून अपने हाथ में लेने की अनुमति नहीं दी जाएगी.

भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अशोक परनामी का कहना है कि विभिन्न संगठन आदि आरोप लगा रहे हैं कि फिल्म में इतिहास के तथ्यों को गलत तरीके से पेश किया गया है, यदि ऐसा है तो सरकार इसे बर्दाश्त नहीं करेगी.

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट ने भी फिल्म पद्मावती में इतिहास के तथ्यों को कथित रूप से गलत ढंग से दिखाए जाने पर आपत्ति जताते हुए कहा कि सरकार को तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए. किसी भी व्यक्ति को इतिहास को विकृत रूप से दिखाने का हक नहीं है.

भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता देवी सिंह भाटी का कहना है, हालांकि फिल्म अभी रिलीज़ नहीं हुई है, लेकिन ट्रेलर में जो सीन दिखाये गये हैं वह आपत्तिजनक हैं, उन्हें बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.

उन्होंने कहा, फिल्म में रानी पद्मावती को पुरुषों के सामने नाचते हुए दिखाया जा रहा है, यह राजपूत समाज या राजनीति का प्रश्न नहीं है यह महिलाओं के सम्मान का मुद्दा है. अभी तो फिल्म रिलीज़ नहीं हुई है, सिर्फ ट्रेलर आया है. निर्माता संजय लीला भंसाली ने ना जाने फिल्म में क्या-क्या दिखाया होगा ऐसे में फिल्म पर बिना देरी किए रोक लगनी चाहिए ताकि अन्य लोग इतिहास के साथ छेड़छाड़ ना करें.

मेवाड़ उदयपुर से आने वाले राजस्थान के गृहमंत्री गुलाब चंद कटारिया का कहना है कि राज्य के कला और संस्कृति विभाग से कहा गया है कि वह इतिहासकारों और विषय विशेषज्ञों के साथ मिलकर इस संबंध में तथ्यात्मक रिपोर्ट दे. रिपोर्ट आने पर सरकार विचार करेगी.

उन्होंने कहा, किसी को कानून हाथ में लेने की इजाज़त नहीं दी जाएगी. इस मामले में कानून अपना काम करेगा. कानून से बड़ा कोई नहीं है.

जयपुर के पूर्व राजघराने की सदस्य और भाजपा विधायक दीया कुमारी और उदयपुर के पूर्व राजघराने के सदस्य लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ ने पद्मावती फिल्म में इतिहास के साथ घिनौनी हरकत करने का आरोप लगाते हुए कहा है कि किसी भी फिल्म निर्माता की ऐसी कोशिश बर्दाश्त नहीं की जाएगी. केन्द्र सरकार, सेंसर बोर्ड और राजस्थान सरकार को बिना समय गंवाये फिल्म के प्रदर्शन पर रोक लगानी चाहिए.

मुसलमानों को फिल्म का विरोध करना चाहिए: दरगाह दीवान

राजस्थान के अजमेर स्थित सूफी संत हज़रत ख़्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह के दीवान ने मुसलमानों से पद्मावती फिल्म का विरोध करने की अपील करते हुए फिल्म निर्माता संजय लीला भंसाली की तुलना विवादित लेखक सलमान रुश्दी, तस्लीमा नसरीन तथा तारिक फतह से की।

हज़रत ख़्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती के वंशज एवं वंशानुगत सज्जादानशीं दरगाह के आध्यात्मिक प्रमुख दीवान सैयद जैनुल आबेदीन अली ख़ान ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से फिल्म पद्मावती के प्रदर्शन पर रोक लगाने की मांग भी की.

खान ने कहा कि फिल्म के विरोध में देश के मुसलमानों को राजपूतों का समर्थन करना चाहिए.

ख़ान ने बृहस्पतिवार को जारी बयान में कहा कि भंसाली का किरदार वैसा ही है जैसा विवादित लेखक सलमान रुश्दी, तस्लीमा नसरीन और तारिक फतह का है. जिस तरह भंसाली ने इतिहास को तोड़-मरोड़ कर पद्मावती फिल्म का निर्माण किया है और देश के राजपूत समुदाय की भावनाओं को आहत किया है, उसी तरह अभिव्यक्ति की आजादी का सहारा लेकर रुश्दी और तस्लीमा ने इस्लाम धर्म के ख़िलाफ़ अनर्गल बयानबाज़ी करके मुसलमानों की धार्मिक भावनाओं के साथ खिलवाड़ करने की कोशिश की है.

उन्होंने कहा कि पद्मावती फिल्म में अलाउद्दीन खिलजी और रानी पद्मावती के प्रस्तुत किए गए कथित चित्रण से राजपूत समुदाय की भावनाओं को ठेस पहुंचना स्वाभाविक है.

करणी सेना ने एक दिसंबर को बंद का आह्वान किया

जयपुर/बेंगलुरु: फिल्म पद्मावती का विरोध करने वालों में बुधवार को राजस्थान की मंत्री किरण माहेश्वरी भी शामिल हो गईं जबकि श्री राजपूत करणी सेना ने फिल्म की रिलीज़ के ख़िलाफ़ एक दिसंबर को देशव्यापी बंद का आह्वान किया. फिल्म एक दिसंबर को रिलीज़ होने वाली है.

राजस्थान भाजपा अध्यक्ष अशोक परनामी, उदयुपर के पूर्व शाही परिवार लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ और कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य संजय सिंह उन लोगों में शामिल थे जिन्होंने कहा कि ऐतिहासिक तथ्यों से छेड़छाड़ करने की कोई भी कोशिश बर्दाश्त नहीं की जाएगी.

कांग्रेस ने कहा कि अगर पद्मावती में भावनाएं आहत करने वाले कोई भी दृश्य हैं तो उनकी समीक्षा की जानी चाहिए.

केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) के अध्यक्ष प्रसून जोशी ने कहा है कि उन्होंने अब तक संजय लीला भंसाली की फिल्म पद्मावती नहीं देखी है और उनके फिल्म देखने की ख़बरें बिल्कुल निराधार और गलत है.

मीडिया में ऐसी खबरे थीं कि सेंसर बोर्ड के प्रमुख ने पद्मावती देख ली है और उन्होंने फिल्म में कुछ भी आपत्तिजनक नहीं पाया.

राजस्थान राज्य महिला आयोग आरएससीडब्ल्यू ने भी सेंसर बोर्ड को पत्र लिखकर कानून और व्यवस्था को लेकर भंसाली की फिल्म से जुड़े संशय को ख़त्म करने की मांग की है.

दक्षिण भारत में भी फिल्म के ख़िलाफ़ प्रदर्शन शुरू हो गया है. करणी सेना के सदस्यों ने बेंगलुरु में प्रदर्शन किया.

जयपुर में करणी सेना के नेता लोकेंद्र सिंह काल्वी ने कहा कि अभिनेत्री दीपिका पादुकोण का कथित बयान भड़काऊ है, जिसमें उन्होंने कहा है कि फिल्म को रिलीज़ होने से कोई नहीं रोक सकता. अभिनेत्री फिल्म में रानी पद्मावती की भूमिका में नज़र आएंगी.

काल्वी ने कहा, दीपिका पादुकोण का बयान उकसाने वाला है और मैं इसे चुनौती के रूप में लेता हूं इसलिए मैंने राष्ट्रव्यापी बंद का आह्वान किया है.

उन्होंने धमकी के लहज़े में कहा, ये जौहर की ज्वाला है. रोकना है तो पद्मिनी को रोक लो.

राजस्थान की वसुंधरा राजे सरकार में मंत्री माहेश्वरी ने कहा कि वह फिल्म का कड़ा विरोध करती हैं और दावा किया कि यह पूरी तरह से रुपये बनाने और मनोरंजन की कोशिश है.

अपने सोशल मीडिया पोस्ट में उन्होंने लिखा कि रानी पद्मिनी ने 16,000 महिलाओं के साथ जौहर किया था. उन्होंने लिखा, रानी पद्मिनी महिलाओं के शौर्य व स्वाभिमान की प्रतीक हैं. उनका अपमान किसी को भी स्वीकार नहीं होगा.

प्रदेश भाजपा अध्यक्ष परनामी ने भी कहा कि किसी को भी इतिहास के साथ छेड़छाड़ करने की मंज़ूरी नहीं दी जाएगी.
जारी भाषा

नई दिल्ली में कांग्रेस प्रवक्ता आरपीएन सिंह ने कहा कि उन्होंने हालांकि फिल्म नहीं देखी है, फिल्म को मंज़ूरी देने का काम सेंसर बोर्ड का है और यदि उसमें भावनाएं आहत करने वाले दृश्य हैं तो उनकी समीक्षा की जानी चाहिए.

इसी बीच राजस्थान महिला आयोग की प्रमुख सुमन शर्मा ने सेंसर बोर्ड को पत्र लिखकर शांति-व्यवस्था को बनाए रखने के लिए फिल्म से जुड़ी शंकाएं दूर करने का अनुरोध किया.

केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड के प्रमुख प्रसून जोशी को पत्र लिखकर सुमन ने कहा है कि उसे यह देखने की ज़रूरत है कि फिल्म से किसी महिला की गरिमा को ठेस ना पहुंचे.

राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र में प्रदर्शनों का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि इस तरह की घटनाओं से कानून-व्यवस्था प्रभावित हो रही है.

श्री राजपूत करणी सेना के सदस्यों ने दावा किया कि राजपूत समुदाय या हिंदू संगठन ही नहीं बल्कि मुस्लिम नेता भी फिल्म के विरोध में आ गए हैं.

प्रधानमंत्री पद्मावती विवाद में हस्तक्षेप करें: करणी सेना

करणी सेना के नेता लोकेंद्र सिंह काल्वी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मामले में हस्तक्षेप करने की मांग करते हुए कहा कि केंद्र सरकार के पास फिल्म की रिलीज़ तीन महीने के लिए रोकने का अधिकार है.

मेवाड़ राजघराने के सदस्य लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ ने पद्मावती फिल्म के निर्माता-निदेशक संजय लीला भंसाली और इस फिल्म के कलाकारों की कार्यशैली पर प्रश्न खड़े करते हुए कहा है कि क्या ऐसे विषय को एक मनोरंजन के रूप में पेश करना किसी निर्देशक की ज़िम्मेदाराना कार्यशैली है साथ ही फिल्म के कलाकारों ने क्या मर्यादा में रहकर एक सच्चे कलाकार होने का फ़र्ज़ निभाया है.

उन्होंने कहा कि पैसा ही सब कुछ नहीं होता है. मेवाड़ के इतिहास को तोड़-मरोड़ कर पेश करने की कोशिश बर्दाश्त योग्य नहीं है. उन्होंने भविष्य में इस तरह की कोशिशों को रोकने के लिए सरकार से सख़्त कानून बनाने की मांग की है ताकि मनोरंजन के नाम पर कोई इतिहास और संस्कृति व जनमानस की भावनाओं के साथ खिलवाड़ नहीं कर सके.

दूसरी ओर, भाजपा के वरिष्ठ नेता देवी सिंह भाटी ने पद्मावती फिल्म में भारतीय महिलाओं को गलत ढंग से पेश किए जाने को घिनौना बताते हुए कहा कि फिल्म के निर्माता संजय लीला भंसाली आग से खेल रहे है.

भाटी ने बीकानेर में संवाददाताओं से बातचीत करते हुए कहा कि फिल्म पद्मावती में जिस तरह के दृश्य दिखाए जाने की तैयारी है, ऐसा तो भारतीय इतिहास में कभी नहीं हुआ.

उन्होंने कहा कि पद्मावती को मर्दों के सामने नाचते हुए दिखाया जाना विकृत भारतीय संस्कृति होगी, इस फिल्म पर तुरंत रोक लगनी चाहिए.

कोटा में सिनेमा हॉल में तोड़फोड़: छह आरोपी न्यायिक हिरासत में

कोटा/राजस्थान: कोटा में एक सिनेमा हॉल में तोड़फोड़ करने के सिलसिले में गिरफ्तार छह आरोपियों को बुधवार को 19 नवम्बर तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया.

पुलिस ने बताया कि सिनेमा हॉल में तोड़फोड़ करने को लेकर हिरासत में लिए गए आठ लोगों में से छह लोगों को मंगलवार देर रात गिरफ्तार कर लिया गया था जबकि दो अन्य को पूछताछ के बाद रिहा कर दिया गया था.

छह आरोपियों को बुधवार को एक अदालत के समक्ष पेश किया गया जहां से उन्हें 19 नवंबर तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया.

एक अधिकारी ने बताया कि पुलिस ने इस संबंध में 30 से 40 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है.

गुमानपुरा पुलिस थाना क्षेत्र में आकाश मॉल में एक सिनेमा हॉल में मंगलवार को श्री राजपूत करणी सेना के 50 से अधिक कार्यकर्ताओं ने तोड़फोड़ की.

पुलिस को सिनेमा हॉल से कार्यकर्ताओं को तितर-बितर करने के लिए बल का इस्तेमाल करना पड़ा था.

पद्मावती देखने के बाद तय करेंगे अपना रुख़ : मनसे

मुंबई: महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) का कहना है कि विवादित फिल्म पद्मावती को देखने के बाद ही वह फिल्म को लेकर अपना रुख तय करेंगे.

राज ठाकरे के नेतृत्व वाली मनसे की फिल्म शाखा चित्रपट सेना के अध्यक्ष अमेय खोपकर ने फिल्म पर संगठन का रुख़ स्पष्ट करते हुए बृहस्पतिवार को एक वीडियो जारी किया था. फिल्म एक दिसंबर को रिलीज़ होने वाली है.

इसके अनुसार, हमारा विचार है कि हम बगैर देखे फिल्म का विरोध नहीं करेंगे. हम लोग इसे उस तरीके से नहीं करने जा रहे हैं. मुझे जानकारी मिली है कि कुछ सामाजिक संगठन और राजनीतिक दल फिल्म का विरोध कर रहे हैं लेकिन हम सबसे पहले फिल्म देखना चाहेंगे.

पार्टी ने वीडियो में कहा, अगर हमें कुछ अंश आपत्तिजनक लगते हैं तो हम निर्देशक भंसाली के साथ बैठक कर सकते हैं.
बहरहाल मुंबई से भाजपा विधायक राम कदम ने कहा कि फिल्म का ट्रेलर लोगों के एक वर्ग की भावनाएं आहत करता है.

बृहस्पतिवार को यहां एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, किसी को भी इतिहास से छेड़छाड़ का अधिकार नहीं है. ट्रेलर ने कुछ लोगों की भावनाएं आहत की हैं और भंसाली को उनकी भावनाओं का सम्मान करना होगा.

इससे पहले फिल्म स्टूडियोज सेटिंग एंड अलायड मजदूर संघ के अध्यक्ष रहे तथा घाटकोपर पश्चिम विधानसभा खंड से विधायक ने कहा कि इसके विरोध में उनका संगठन भंसाली की अगली फिल्म में उनके साथ काम नहीं करेगा.

 (समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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