आंध्र प्रदेश सीआईडी ने रामोजी राव के स्वामित्व वाली मार्गदर्शी चिट फंड प्राइवेट लिमिटेड पर वित्तीय अनियमितताओं का आरोप लगाया है. राव सबसे अधिक प्रसार वाले तेलुगू अख़बार ‘ईनाडु’ के भी मालिक हैं.
नई दिल्ली: मार्गदर्शी चिट फंड्स प्राइवेट लिमिटेड (एमसीएफपीएल) के संचालन में कथित अनियमितताओं के संबंध में आंध्र प्रदेश आपराधिक जांच विभाग (सीआईडी) द्वारा दर्ज सात एफआईआर में मीडिया दिग्गज रामोजी राव का नाम भी शामिल है.
एफआईआर में एमसीएफपीएल के अध्यक्ष राव पर धोखाधड़ी, विश्वासघात और जालसाजी का आरोप लगाया गया है. एफआईआर में राव की बहू और कंपनी की प्रबंध निदेशक शैलजा किरण और अन्य का भी नाम है.
राव सबसे अधिक प्रसार वाले तेलुगू अखबार ‘ईनाडु’ के मालिक हैं, जो वाईएस जगन मोहन रेड्डी के नेतृत्व वाली वाईएसआर कांग्रेस सरकार के निशाने पर रहा है. राव के ईनाडु समूह और रेड्डी परिवार के बीच झगड़ा जगन के पिता वाईएस राजशेखर रेड्डी के दिनों से है, जब वह तत्कालीन संयुक्त आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री थे.
सत्तारूढ़ वाईएसआर कांग्रेस पार्टी जगन सरकार के खिलाफ कथित तौर पर प्रोपेगेंडा फैलाने के लिए राव के स्वामित्व वाले मीडिया संस्थानों को ‘येलो (पीत) मीडिया (Yellow Media)’ के रूप में संदर्भित करती है.
‘येलो मीडिया’ शब्द का इस्तेमाल वाईएसआर कांग्रेस के समर्थकों द्वारा विपक्षी तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) के साथ इसके कथित संबंधों का जिक्र करते हुए भी किया जाता है. गौरतलब है कि टीडीपी का झंडा भी पीले रंग का है.
नवीनतम मामले के संबंध में आंध्र प्रदेश सीआईडी ने कहा कि अपनी जांच के दौरान उसने पाया था कि मार्गदर्शी मनी लॉन्ड्रिंग, धन की हेराफेरी, कॉरपोरेट धोखाधड़ी, बेनामी लेनदेन में शामिल अदृश्य ग्राहकों (Ghost Subscribers) की मदद करने और आयकर चोरी जैसी अवैध गतिविधियों में शामिल रहा है.
आंध्र प्रदेश सीआईडी के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक ने मंगलवार (20 जून) को जारी एक प्रेस नोट में कहा, ‘चूंकि ये उल्लंघन केंद्रीय प्रवर्तन एजेंसियों के क्षेत्र से संबंधित हैं, इसलिए हमने दिल्ली और हैदराबाद में संबंधित एजेंसियों से मुलाकात की है और उनसे कंपनी के खिलाफ समय पर कार्रवाई करने का अनुरोध किया है.’
जांच एजेंसी ने मार्गदर्शी द्वारा अपनाई जा रही वित्तीय प्रथाओं की तुलना उन वित्तीय प्रथाओं से की है, जिनके परिणामस्वरूप सत्यम कंप्यूटर घोटाला, सहारा इंडिया परिवार निवेशक धोखाधड़ी मामला और शारदा चिट फंड घोटाला जैसे हाई-प्रोफाइल मामले सामने आए.
एजेंसी ने दावा किया, ‘हम अशक्त और भोले-भाले ग्राहकों का शोषण करके चिट-फंड संचालन के नाम पर अब तक देखी गई सबसे बड़ी वित्तीय धोखाधड़ी में से एक को रोकने की प्रक्रिया में हैं.’
एजेंसी ने कहा, ‘सभी आरोपियों (आरोपी नंबर एक से पांच तक) से एक बार पूछताछ की गई है. हालांकि वे गोल-मोल जवाब दे रहे हैं और चिट रजिस्ट्रार या सीआईडी के सामने आवश्यक जानकारी या दस्तावेज प्रस्तुत नहीं कर रहे हैं.’
मामले में जहां राव को आरोपी-1 नाम दिया गया है, वहीं एमडी किरण को आरोपी-2 नाम दिया गया है. एफआईआर में संबंधित शाखा प्रबंधकों को आरोपी-3, एमसीएफपीएल कंपनी को आरोपी-4 और इसके प्रमुख लेखा परीक्षक के. श्रवण को आरोपी-5 बनाया गया है.
आरोपियों पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 420 (धोखाधड़ी), 409 (आपराधिक विश्वासघात), 120बी (आपराधिक साजिश), 477ए (खातों का फर्जीवाड़ा), आंध्र प्रदेश वित्तीय प्रतिष्ठानों के जमाकर्ताओं का संरक्षण अधिनियम-1999 की धारा 5 और चिट फंड अधिनियम-1982 की धारा 76 व 79 के तहत मामला दर्ज किया गया है.
सीआईडी ने अपनी प्रारंभिक जांच में खुलासा किया है, ‘मार्गदर्शी समूह ने देश के स्थापित कानूनों का उल्लंघन करते हुए ग्राहकों के पैसे को एचयूएफ (हिंदू अविभाजित परिवार) नियंत्रित संस्थाओं और म्युचुअल फंड जैसे उच्च जोखिम वाले शेयर बाजार में लगा दिया है.’
जांच एजेंसी ने मार्गदर्शी ग्रुप पर चिट फंड अधिनियम के तहत अनिवार्य अपनी बैलेंस शीट और खाते प्रस्तुत नहीं करने का भी आरोप लगाया. सीआईडी ने कहा, ‘इसके बजाय, वे यह दलील दे रहे हैं कि कंपनी अधिनियम के अनुसार वित्तीय विवरण तैयार करना पर्याप्त है जो पूरी तरह से गलत है.’
सीआईडी ने यह भी आरोप लगाया कि मार्गदर्शी समूह जांच में सहयोग नहीं कर रहा है और इसके बजाय विभिन्न माध्यमों से जांच एजेंसी को बदनाम करने और दोषारोपण करने की कोशिश कर रहा है.
सीआईडी ने एमसीएफपीएल की 1035.53 करोड़ रुपये से अधिक की चल संपत्ति कुर्क की है. सीआईडी ने खुलासा किया कि वर्ष 2021-22 के लिए आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में एमसीएफपीएल का वार्षिक कारोबार 9,677 करोड़ रुपये था.
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