मणिपुर में पचास दिनों से जारी हिंसा के बीच पांगेई गांव में मणिपुर पुलिस प्रशिक्षण कॉलेज के शस्त्रागार से हथियार और गोला-बारूद लूटने का मामला दर्ज किया था. हालांकि, इसकी पड़ताल के लिए पहुंची सीबीआई की टीम को ग्रामीणों ने परिसर में नहीं जाने दिया.
नई दिल्ली: मणिपुर से छिटपुट हिंसा की खबरें के साथ सुरक्षा बलों और कानून प्रवर्तन एजेंसियों/अधिकारियों के प्रति स्थानीय लोगों का अविश्वास एक मुद्दा बनकर उभर रहा है.
इंफाल फ्री प्रेस के अनुसार, पांगेई गांव के 2,000 निवासियों, जिनमें ज्यादातर महिलाएं शामिल थीं, ने गुरुवार को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की टीम, जो मणिपुर पुलिस प्रशिक्षण कॉलेज (एमपीटीसी ) के शस्त्रागार से हथियारों और गोला-बारूद के बड़े जखीरे की लूट की जांच करने पहुंची थी, को परिसर में घुसने नहीं दिया.
हेनगांग थाने में पांगेई से चुराए गए हथियारों को बरामद करने के लिए मामला दर्ज किया था. द वायर के पास एफआईआर की जो कॉपी है, उसमें लिखा है कि 5,000 लोगों की भीड़ ने शस्त्रागार में ड्यूटी पर मौजूद लोगों पर हमला किया, चार कमरों के ताले तोड़ दिए और कई हथियार और गोला-बारूद ले गए.
परिसर में 7वीं इंडिया रिजर्व बटालियन के शस्त्रागार से लिए गए सूचीबद्ध हथियारों में 157 इंसास राइफलें, 54 एसएलआर, 34 9 मिमी कार्बाइन, 22 इंसास एलएमजी और 19 9 मिमी पिस्तौल शामिल हैं. एमपीटीसी द्वारा बनाए गए दो कमरों से, उठाए गए हथियारों में 18 इंसास राइफलें, एक एके -47, 44 एसएलआर, पांच जेवीपीसी, एक 51 मोटर और 91 0.303 राइफलें शामिल हैं.
दोपहर करीब 3.30 बजे पहुंची सीबीआई टीम महिलाओं में कॉलेज के मुख्य द्वार पर धरने के चलते अंदर न जा पाने के बाद वहां से चली गई.
राज्य में पचास दिनों से अधिक जारी हिंसा के बीच लूटे गए हथियार और गोला-बारूद राज्य में शांति के लिए खतरा बने हुए हैं. अब तक यहां सौ से अधिक लोग मारे गए हैं और हजारों लोगों के घर नष्ट हो गए हैं. विस्थापितों की संख्या 50,000 से ज्यादा मानी जा रही है.
मणिपुर सरकार ने दुर्लभ आरबीआई प्रावधान बहाल किया
इस बीच, मणिपुर की एन. बीरेन सिंह के नेतृत्व वाली सरकार ने भारतीय रिज़र्व बैंक के एक दुर्लभ प्रावधान को लागू किया है जो कर्ज (लोन) के पुनर्गठन और पुनर्निर्धारण (रीशेड्यूलिंग) की अनुमति देता है. वर्तमान में रुकी हुई आर्थिक गतिविधियों के मद्देनजर मौजूदा ऋणों पर अस्थायी रोक लगाने की भी अनुमति देता है.
द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, मणिपुर सरकार ने ऋणकर्ताओं को राहत देने वाले एक क्लॉज़ को लागू करने के लिए हाल की हिंसा का हवाला दिया है. यह धारा अब तक केवल प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित जगहों पर ही इस्तेमाल की जाती थी.
क्लॉज़ के नियमों में से एक यह कहता है कि ‘केवल वास्तविक व्यक्तियों, जिन्हें राज्य प्रशासन द्वारा दंगों/उपद्रवों से प्रभावित माना जाएगा को ही सहायता प्रदान की जाती है. यह आगे कहता है कि यदि प्रशासन ‘वास्तविक व्यक्तियों’ की पहचान करने की स्थिति में नहीं है, तो यह राज्य के बैंकों पर निर्भर करेगा.
इंफाल फ्री प्रेस ने इस महीने की शुरुआत में बताया कि राज्य में उथल-पुथल के कारण महिला विक्रेताओं और छोटे व्यवसाय मालिकों सहित दिहाड़ी श्रमिकों को अपने ऋण चुकाने में भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा था.
राज्य भर में कर्फ्यू है और हाईकोर्ट के कुछ स्थानों पर प्रतिबंध को आंशिक रूप से हटाने के लिए आदेश के बावजूद इंटरनेट अब भी निलंबित है.
रिपोर्ट में मणिपुर के मुख्य सचिव विनीत जोशी के 21 जून के आदेश का हवाला दिया गया है, जिसमें कहा गया है कि रिपोर्ट से संकेत मिलता है कि हिंसा में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से निवासियों की कई संपत्तियां और व्यवसाय प्रभावित हुए हैं. इसके कारण, जिन कर्जदारों ने ऋण लिया था, वे उन्हें चुकाने की स्थिति में नहीं हैं और एसएलबीसी (राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति) से प्रभावित व्यक्तियों को राहत देने का अनुरोध किया है.
एसएलबीसी मणिपुर में बैंकरों का सर्वोच्च निकाय है.
जारी हैं धमाके और गोलीबारी
इस बीच, भारतीय सेना की स्पीयर कोर ने ट्वीट में बताया है कि ‘सशस्त्र बदमाशों’ ने 22 जून की सुबह इंफाल पश्चिम जिले के एन. बोलजांग गांव में बिना उकसावे के गोलीबारी की. गोलीबारी में असम राइफल्स के दो सैनिक मामूली रूप से घायल हो गए और सेना ने सुव्यवस्थित तरीके से जवाब दिया.
कोर के एक अन्य ट्वीट में कहा गया कि गोलीबारी के बाद तलाशी अभियान के दौरान एक इंसास राइफल बरामद की गई.