मणिपुर के प्रभावशाली आदिवासी संगठन इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम ने कहा है कि मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ बैठक के बाद हितधारकों तक पहुंचने का विचार बहुत देर से व्यक्त किया, जब इतने सारे निर्दोष जीवन और संपत्तियों का नुकसान हो गया और कुकी-ज़ो आदिवासियों को कठिन दौर से गुज़रना पड़ा.
नई दिल्ली: मणिपुर के प्रभावशाली आदिवासी संगठन इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम (आईटीएलएफ) ने मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह के साथ ‘बातचीत के किसी भी प्रस्ताव’ को अस्वीकार कर दिया है और कहा है कि वह राज्य सरकार के साथ कोई बातचीत नहीं करेगा.
सोमवार (26 जून) को जारी एक बयान में आईटीएलएफ ने कहा कि मुख्यमंत्री ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ बैठक के बाद हितधारकों तक पहुंचने का विचार ‘बहुत देर से तब व्यक्त किया है, जब इतने सारे निर्दोष जीवन और संपत्तियों का नुकसान हो गया और कुकी-ज़ो आदिवासियों ने अनकही कठिनाइयों का सामना किया. इसलिए राजनीतिक समाधान के बिना शांति के बारे में बात करने का कोई मतलब नहीं है.’
The Indigenous Tribal Leaders’ Forum (ITLF) rejects any offer of dialogue with Manipur Chief Minister @NBirenSingh, and will not hold talks in any form with his government.#ManipurIsBurning @AmitShah @narendramodi @UN pic.twitter.com/xq9NL0BRaQ
— ITLFMediaCell (A) (@ITLFMedia_Cell) June 26, 2023
मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने गृह मंत्री अमित शाह के साथ बातचीत के बाद रविवार (25 जून) शाम को मणिपुर लौटने पर कहा था कि वह ‘कुकी समेत सभी समुदाय तक पहुंचेंगे.’
मुख्यमंत्री ने कहा था कि उन्होंने गृह मंत्री को ‘जमीनी हालात के बारे में’ जानकारी दी. उन्होंने यह भी दावा किया था कि केंद्र और राज्य दोनों सरकारें गृह मंत्री की ‘कड़ी निगरानी’ में राज्य में हिंसा को ‘काफी हद तक’ नियंत्रित करने में सक्षम रही हैं.
हालांकि, आदिवासी निकाय ने मुख्यमंत्री का हवाला देते हुए कहा कि वह ‘वर्तमान जातीय हिंसा के अपराधी’ की बातों पर विश्वास नहीं करेगा.
बयान में कहा गया है, ‘हम एक ऐसे बिंदु पर पहुंच गए हैं, जहां कुकी-ज़ो समुदाय अब मेईतेई के साथ नहीं रह सकता है. वर्तमान जातीय हिंसा के अपराधी एन. बीरेन सिंह, जिनकी कुकी-जो समुदाय के प्रति नफरत के परिणामस्वरूप समुदाय का नरसंहार हुआ, शांति के अग्रदूत नहीं हो सकते.’
बयान में कहा गया है, ‘सभी आदिवासी और उनके अपने ही मेईतेई समुदाय के एक बड़े वर्ग ने उनके नेतृत्व और उनकी सरकार पर विश्वास खो दिया है.’
आईटीएलएफ ने शाह सहित शीर्ष केंद्रीय मंत्रियों के साथ बातचीत की है, जहां कुकी-ज़ो आदिवासियों ने आवाज उठाई है कि उनकी मांगों में मणिपुर से पूर्ण विभाजन की राजनीतिक आकांक्षा शामिल है.
इसमें कहा गया है कि बातचीत के सभी रास्ते अब ‘समाप्त’ हो गए हैं, जिससे ‘भारत सरकार के लिए यह महत्वपूर्ण हो गया है कि वह मणिपुर में स्थायी शांति लाने के लिए जल्द से जल्द हमारी राजनीतिक मांग का समाधान खोजने पर ध्यान केंद्रित करे.’
यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि आईटीएलएफ 10 आदिवासी विधायकों (जिनमें से सात सत्तारूढ़ भाजपा से हैं) के साथ मिलकर आदिवासियों के लिए एक अलग प्रशासन (एक अलग राज्य के बराबर) की मांग कर रहा है.
बयान में कहा गया है, ‘हमारी राजनीतिक मांग हमारे 10 विधायकों और अन्य सिविल सोसायटी संगठनों की मांग के अनुरूप है.’
महिला प्रदर्शनकारी अभियानों में हस्तक्षेप कर रही हैं: सेना
इस बीच भारतीय सेना ने सोमवार (26 जून) को कहा कि मणिपुर में महिला प्रदर्शनकारी ‘सशस्त्र दंगाइयों’ को सहयोग और समर्थन दे रही है और राज्य में सुरक्षा बलों के अभियानों में हस्तक्षेप कर रही हैं.
स्पीयर कॉर्प्स ने ‘मणिपुर में महिलाओं के नेतृत्व में शांतिपूर्ण नाकाबंदी के मिथक से पर्दा उठाना’ नामक एक वीडियो जारी किया, जिसमें शनिवार (24 जून) को इथम में जवानों के इर्द-गिर्द महिलाओं के एक बड़े हुजूम को दिखाया गया.
इसमें कहा गया है कि यह घटना महिलाओं द्वारा ‘दंगाइयों को भागने में मदद करने’ का एक उदाहरण है.
वीडियो में भारी मशीनरी द्वारा सड़क के एक हिस्से को खोदने का दृश्य दिखाया गया है, जिसके चारों ओर बड़ी संख्या में महिलाएं हैं और कहा गया है कि यह असम राइफल्स बेस के प्रवेश और निकास द्वार हैं, जिन्हें इसलिए खोदा जा रहा है ताकि उन्हें पहुंचने में देर हो जाए.
Women activists in #Manipur are deliberately blocking routes and interfering in Operations of Security Forces. Such unwarranted interference is detrimental to the timely response by Security Forces during critical situations to save lives and property.
🔴 Indian Army appeals to… pic.twitter.com/Md9nw6h7Fx— SpearCorps.IndianArmy (@Spearcorps) June 26, 2023
इसमें कहा गया है, ‘सुरक्षा बलों की आवाजाही को रोकना न केवल गैरकानूनी है, बल्कि कानून-व्यवस्था बहाल करने के उनके प्रयासों के लिए भी नुकसानदेह है. भारतीय सेना समाज के सभी वर्गों से मणिपुर में शांति और स्थिरता लाने के लिए दिन-रात काम कर रहे सुरक्षा बलों के साथ सहयोग करने की अपील करती है.’
यह बयान उस घटना के दो दिन बाद आया है, जब सेना को इंफाल पूर्व में एक ऑपरेशन के दौरान पकड़े गए प्रतिबंधित उग्रवादी समूह कांगलेई यावोल कन्ना लुप के 12 कैडरों को 1,200-1,500 लोगों की महिला नेतृत्व वाली भीड़ के साथ गतिरोध के बाद रिहा करना पड़ा था.
वीडियो में 23 जून के इंफाल पूर्व के यिंगांगपोकपी के वो दृश्य भी थे, जिनमें उस दिन की गोलीबारी की घटनाएं थीं. दृश्य दिखाते हैं कि दो खुली वैन में बड़ी संख्या में महिलाओं को कुछ वाहनों के साथ ले जाया जा रहा है, जिनके बारे में सेना ने कहा है कि वे सशस्त्र दंगाइयों को ले जा रहे थे.
एक और दृश्य 13 जून का है, जिसमें बड़ी संख्या में लोगों को इंफाल पूर्व के नुनशुंग में एक सड़क को बाधित करते हुए दिखाया गया है. नुनशुंग खमेनलोक के करीब है. उस शाम, मेईतेई भीड़ ने खमेनलोक में आठ गांवों को जला दिया था. बाद में कुकी समुदाय द्वारा किए गए एक कथित जवाबी हमले में मेईतेई समुदाय के 9 लोग मारे गए थे.
सेना के सूत्रों ने तब कहा था कि घेराबंदी के कारण सेना आगजनी और गोलीबारी वाली जगह तक नहीं पहुंच पाई थी.
बीते 28 मई को हिंसा फिर से भड़कने के बाद से बड़ी संख्या में महिलाओं को घाटी के कस्बों और गांवों में सड़कों को अवरुद्ध करते देखा गया है. इन महिला प्रदर्शनकारियों को भारतीय सेना और असम राइफल्स पर कम विश्वास है.