गुजरात हाईकोर्ट ने एक सदी पुरानी दरगाह का ध्वस्तीकरण रोकते हुए यथास्थिति बनाए रखने को कहा

अरावली ज़िले में क़रीब एक सदी पुरानी दरगाह पर ग्राम पंचायत ने चरागाह भूमि का अतिक्रमण करने का आरोप लगाया था और एक नोटिस जारी कर 28 जून को उसे गिराए जाने की बात कही थी.

गुजरात हाईकोर्ट. (फोटो साभार: फेसबुक)

अरावली ज़िले में क़रीब एक सदी पुरानी दरगाह पर ग्राम पंचायत ने चरागाह भूमि का अतिक्रमण करने का आरोप लगाया था और एक नोटिस जारी कर 28 जून को उसे गिराए जाने की बात कही थी.

गुजरात हाईकोर्ट. (फोटो साभार: फेसबुक)

नई दिल्ली: गुजरात हाईकोर्ट ने मंगलवार (27 जून) को अरावली जिले में करीब सौ साल पुरानी एक दरगाह के ध्वस्तीकरण पर रोक लगा दी.

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, एक ग्राम पंचायत ने आरोप लगाया था कि इसका निर्माण अवैध रूप से किया गया था और वह चरागाह भूमि पर अतिक्रमण कर रही है.

धनसुरा शहर के भेंसवाडा गांव की ग्राम पंचायत ने 19 जून को चांद पीर सैयद दरगाह के प्रभारी को ध्वस्तीकरण संबंधी एक नोटिस जारी किया. रिपोर्ट के अनुसार, नोटिस में कहा गया था कि 28 जून को सुबह 11 बजे दरगाह को ढहा दिया जाएगा.

रिपोर्ट के अनुसार, इसे लेकर ग्रामीणों ने स्थानीय अधिकारियों और उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया. अपनी याचिका में ग्रामीणों ने अदालत को बताया कि दरगाह का उल्लेख 1984-85 के राजस्व रिकॉर्ड में किया गया था और 2002 के दंगों के दौरान क्षतिग्रस्त हुई संरचना को 2012 में पुन: स्थापित किया गया था.

याचिकाकर्ता अब्बासभाई सिराजहुसेन मंसूरी ने तर्क दिया कि यह दरगाह वक्फ संपत्ति है और उपासना स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991 के तहत संरक्षित है.

डेक्कन हेराल्ड के अनुसार, ‘उन्होंने यह भी तर्क दिया कि दरगाह लंबे समय से राजस्व रिकॉर्ड में है और इसके पास उत्तर गुजरात विज कंपनी लिमिटेड द्वारा प्रदान किया गया वैध विद्युत कनेक्शन है.’

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट में कहा गया है कि मई 2022 से ग्राम पंचायत संरचना का रखरखाव करने वाले व्यक्ति से पक्का निर्माण हटाने के लिए कह रही थी और उससे जमीन के स्वामित्व के संबंध में दस्तावेज मांग रही थी.

अख़बार के मुताबिक, गांव के मुस्लिम निवासियों ने दरगाह को वक्फ संपत्ति के रूप में गुजरात राज्य वक्फ बोर्ड के साथ पंजीकृत करने की प्रक्रिया शुरू की, लेकिन पंचायत ने ध्वस्तीकरण का नोटिस जारी करते हुए कहा कि उसे जमीन के स्वामित्व के बारे में संतोषजनक प्रमाण नहीं मिले हैं और दरगाह अतिक्रमण है.

जस्टिस संगीता विशेन ने मामले की सुनवाई की और संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर 17 जुलाई तक जवाब मांगा है, तब तक कोर्ट ने यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया है.