भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका की राजकीय यात्रा के दौरान वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्टर सबरीना सिद्दीक़ी ने उनसे भारत में मानवाधिकार के मुद्दों को लेकर सवाल पूछा था, जिसके बाद हिंदुत्ववादी समूहों और भाजपा से जुड़े लोगों द्वारा उन पर ऑनलाइन हमले शुरू हो गए थे. ह्वाइट हाउस कोरेस्पॉन्डेंट्स एसोसिएशन ने इसकी निंदा की है.
नई दिल्ली: ह्वाइट हाउस और अमेरिकी राष्ट्रपति को कवर करने वाले पत्रकारों के संगठन ह्वाइट हाउस कोरेस्पॉन्डेंट्स एसोसिएशन (डब्ल्यूएचसीए) ने वॉल स्ट्रीट जर्नल अखबार की रिपोर्टर सबरीना सिद्दीकी के ऑनलाइन उत्पीड़न की निंदा की है. सिद्दीकी ने प्रधानमंत्री मोदी की अमेरिकी राजकीय यात्रा के दौरान उनसे भारत में मानवाधिकारों के मसले पर सवाल पूछा था.
डब्ल्यूएचसीए अध्यक्ष तमारा कीथ ने मंगलवार (27 जून) को एसोसिएशन की ओर से एक बयान जारी कर सिद्दीकी के ऑनलाइन उत्पीड़न की निंदा की.
बयान में कहा गया है, ‘(सिद्दीकी) ने ह्वाइट हाउस प्रेस कॉर्प्स का अविश्वसनीय रूप से अच्छी तरह प्रतिनिधित्व किया और वे प्रश्न पूछे जो हममें से कई लोगों की सूची में सबसे ऊपर थे. दुर्भाग्य से तब से उन्हें भारी ऑनलाइन उत्पीड़न का शिकार होना पड़ा है, उत्पीड़न करने वालों में प्रधानमंत्री के राजनीतिक दल से जुड़े लोग भी शामिल हैं, जो उनके इरादों, धर्म और विरासत पर सवाल उठा रहे हैं.’
डब्ल्यूएचसीए ने कहा, ‘यह अस्वीकार्य है. डब्ल्यूएचसीए सबरीना और उनके द्वारा पूछे जाने वाले प्रश्नों के साथ खड़ा है. लोकतंत्र में पत्रकारों को सिर्फ अपना काम करने और ऐसे सवाल पूछने के लिए निशाना नहीं बनाया जाना चाहिए, जो पूछे जाने चाहिए.’
सोमवार (26 जून) को ह्वाइट हाउस ने सिद्दीकी के खिलाफ चले ऑनलाइन उत्पीड़न अभियान को स्वीकारते हुए इसकी निंदा की थी और इसे ‘अस्वीकार्य’ बताया था.
राष्ट्रीय सुरक्षा मुद्दों पर ह्वाइट हाउस के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने संवाददाताओं से कहा था, ‘हम उस उत्पीड़न की खबरों से अवगत हैं. यह अस्वीकार्य है और हम किसी भी परिस्थिति में कहीं भी पत्रकारों के उत्पीड़न की निंदा करते हैं.’ इस संबंध में उनसे एनबीसी न्यूज रिपोर्टर केली ओ’डॉनेल ने सवाल किया था, जो डब्ल्यूएचसीए उपाध्यक्ष भी हैं.
किर्बी ने कहा था, ‘यह बिल्कुल अस्वीकार्य है और यह लोकतंत्र के सिद्धांतों के विपरीत है, जो पिछले सप्ताह राजकीय यात्रा के दौरान प्रदर्शित किए गए थे.’
मोदी ने आधिकारिक तौर पर 21 जून से 23 जून तक अमेरिका का दौरा किया था. हालांकि, भारतीय अधिकारियों ने शुरू में पत्रकारों द्वारा मोदी से सवाल पूछे जाने के विचार का विरोध किया था.
अंततः अमेरिकी अधिकारियों द्वारा इस बात पर जोर देने के बाद कि मीडिया से सवाल लेना ह्वाइट हाउस की राजकीय यात्राओं का एक मानक हिस्सा है, वे मान गए थे.
उन्होंने एक भारतीय और एक अमेरिकी रिपोर्टर के एक-एक सवाल का जवाब दिया था. आखिरी बार एक खुली प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने नवंबर 2015 में लंदन में पत्रकारों के सवालों के जवाब दिए थे, उसके बाद यह पहली बार था.
वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्टर सबरीना सिद्दीकी को मोदी से सवाल करने वाली अमेरिकी पत्रकार के रूप में चुना गया था. उन्होंने विशेष रूप से भारत के अल्पसंख्यकों के संबंध में मोदी के मानवाधिकार रिकॉर्ड पर सवाल किया था.
जवाब में मोदी ने ‘आश्चर्य’ व्यक्त किया था कि लोगों को लगता है कि उनके शासन में अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव किया जा रहा है.
उन्होंने कहा था, ‘लोकतंत्र हमारी आत्मा है. लोकतंत्र हमारी रगों में दौड़ता है. हम लोकतंत्र में रहते हैं. हमारी सरकार ने लोकतंत्र के बुनियादी सिद्धांतों को अपनाया है. हमने हमेशा साबित किया है कि लोकतंत्र नतीजे दे सकता है और जब मैं नतीजे देने की बात करता हूं तो यह जाति, पंथ, धर्म, लिंग की परवाह किए बिना होता है. भेदभाव के लिए बिल्कुल भी जगह नहीं है.’
तब से सिद्दीकी विशेष रूप से ट्विटर पर हिंदुत्व और भाजपा समर्थक सोशल मीडिया यूजर्स के निशाने पर आ गई थीं.
सिद्दीकी पर ऑनलाइन हमले का नेतृत्व भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने किया था. ट्विटर पर मालवीय ने सबरीना के सवाल को ‘भड़काने’ वाला बताया और कहा था कि उन्हें मोदी द्वारा ‘उचित उत्तर’ दिया गया था, जो उनके अनुसार ‘टूलकिट गैंग’ के लिए एक ‘झटका’ था.
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