मणिपुर हिंसा: मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने इस्तीफ़ा देने की अटकलों पर विराम लगाया

ख़बर थी कि हिंसाग्रस्त मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह शुक्रवार को राज्यपाल से मुलाकात करने वाले हैं. इसके बाद उनके इस्तीफ़े की अटकलें तेज़ हो गई थीं. मई की शुरुआत से राज्य में शुरू हुई जातीय हिंसा से निपटने के अपने तरीके को लेकर मुख्यमंत्री को काफी आलोचना का सामना करना पड़ रहा है.

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एन. बीरेन सिंह. (फाइल फोटो: पीटीआई)

ख़बर थी कि हिंसाग्रस्त मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह शुक्रवार को राज्यपाल से मुलाकात करने वाले हैं. इसके बाद उनके इस्तीफ़े की अटकलें तेज़ हो गई थीं. मई की शुरुआत से राज्य में शुरू हुई जातीय हिंसा से निपटने के अपने तरीके को लेकर मुख्यमंत्री को काफी आलोचना का सामना करना पड़ रहा है.

एन. बीरेन सिंह. (फाइल फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: मणिपुर के कांगपोकपी जिले में हुई गोलीबारी में एक पुलिसकर्मी सहित कम से कम तीन लोगों की मौत के एक दिन बाद राज्य में एक बार फिर से तनाव पैदा हो गया है. इस बीच मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह की शुक्रवार को राज्यपाल के साथ कथित मुलाकात ने उनके संभावित इस्तीफे की अटकलों को जन्म दे दिया है. हालांकि अब इन अटकलों पर विराम लग गया है.

मई की शुरुआत से राज्य में शुरू हुई हिंसा से निपटने के अपने तरीके को लेकर मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह को काफी आलोचना का सामना करना पड़ रहा है.

बीरेन सिंह ने एक ट्वीट कर कहा, ‘इस महत्वपूर्ण मोड़ पर, मैं स्पष्ट करना चाहता हूं कि मैं मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा नहीं दूंगा.’

समाचार एजेंसी एएनआई ने बताया है कि इस बीच शुक्रवार को राजधानी इंफाल में मुख्यमंत्री के आवास के पास उनका समर्थन करने के लिए तमाम महिलाएं जमा हो गई हैं.

इन लोगों का कहना है, ‘हम नहीं चाहते कि मुख्यमंत्री इस्तीफा दें, उन्हें इस्तीफा नहीं देना चाहिए. वह हमारे लिए बहुत काम कर रहे हैं. हम मुख्यमंत्री को समर्थन दे रहे हैं.’

इससे पहले खबर आई थी कि शुक्रवार दिन में 3 बजे उनकी राज्यपाल से मुलाकात होगी, जिससे उनके संभावित इस्तीफे की अटकलें लगने लगी थीं.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, लगभग 2:20 बजे वह लगभग 20 विधायकों के एक प्रतिनिधिमंडल के साथ राज्यपाल के आवास की ओर जाने के लिए अपने आवास से बाहर निकले, लेकिन बाहर भीड़ से उनका सामना हुआ और उन्हें वापस लौटना पड़ा.

कुछ समय बाद पीडब्ल्यूडी मंत्री के नेतृत्व में कुछ मंत्री सभा को संबोधित करने के लिए बाहर आए. मंत्री सुसिंद्रो मेईतेई ने इस्तीफा पत्र पढ़ा, जिसे राज्यपाल को सौंपा जाना था. इसके बाद वहां एकत्रित कुछ महिलाओं को यह पत्र दे दिया गया, जिन्होंने उसे फाड़ दिया.

सरकारी प्रवक्ता और मंत्री सपम रंजन सिंह ने कहा, ‘मुख्यमंत्री आवास पर वापस आने के बाद हमने उनसे लोगों की इच्छा को देखते हुए इस्तीफे पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया. मुख्यमंत्री को समझाने के बाद कुछ मंत्री लोगों को यह बताने के लिए बाहर गए कि वह इस्तीफा नहीं देने के लिए सहमत हो गए हैं.’

ताजा ​​हिंसा में तीन लोगों की जान गई

द हिंदू की एक रिपोर्ट के अनुसार, पुलिस और सेना के अधिकारियों ने बीते गुरुवार 29 जून को कहा कि मणिपुर के कांगपोकपी जिले में सुरक्षा बलों और पहाड़ी गांवों पर हमला कर रहे सशस्त्र बदमाशों के बीच गोलीबारी के बाद एक पुलिसकर्मी सहित कम से कम तीन लोगों की मौत हो गई है.

हेड कॉन्स्टेबल लेंग्लाम डिम्न्गेल (Lenglam Dimngel) पहाड़ी क्षेत्र में बसे हरओथेल गांव में ड्यूटी पर थे, जब उनकी हत्या कर दी गई. इंडियन एक्सप्रेस ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया है कि इसी गांव में मरने वाले दो अन्य नागरिक मेईतेई समुदाय के सदस्य थे. यह गांव पहाड़ों पर बसा कुकी बहुल गांव है.

द हिंदू के अनुसार, हिंसा प्रभावित मणिपुर में लगभग 16 दिनों की शांति के बाद मौत की ये घटनाएं सामने आई हैं. हालांकि इस बीच आगजनी और बर्बरता की छिटपुट घटनाएं हुईं, लेकिन 13 जून के बाद से किसी हत्या की सूचना नहीं मिली थी.

कुकी और बहुसंख्यक मेईतेई समुदाय के बीच बीते 3 मई को भड़की जातीय हिंसा में अब तक कम से कम 133 लोगों की जान जा चुकी है.

सुरक्षा बलों को इनपुट मिले हैं कि हिंसा पूर्व नियोजित थी.

द इंफाल फ्री प्रेस ने बताया है कि उपरोक्त हत्या के बाद राजधानी इंफाल में महिला कार्यकर्ताओं और मणिपुर पुलिस के बीच झड़पें हुईं.

राजधानी इंफाल में तनाव बढ़ा

मणिपुर में अपेक्षाकृत दो सप्ताहों की शांति के बाद गुरुवार सुबह गोलीबारी में तीन लोगों की मौत के बाद इंफाल में तनाव बढ़ गया और लोग सड़कों पर उतर आए.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, गुरुवार शाम को इंफाल शहर के मध्य में ताजा तनाव पैदा हो गया, जब सैकड़ों लोग इन मौतों की निंदा करने के लिए सड़क पर उतर आए थे.

शाम को एक शव को शहर के मध्य में ख्वायरमबंद ‘महिला बाजार’ में ले जाने के बाद तनाव बढ़ गया. इसके बाद इंफाल के अलग-अलग हिस्सों से बड़ी संख्या में लोग वहां जमा हो गए. इकट्ठा हुईं महिलाओं ने हिंसा को रोकने में असमर्थता के लिए बीरेन सिंह सरकार के खिलाफ नारे लगाए.

लोगों की संख्या बढ़ने पर स्थिति को संभालने के लिए बड़ी संख्या में पुलिस और आरएएफ जवानों को तैनात किया गया. शव को बरामद करने और उसे सौंपने की मांग करने की पुलिस की कोशिशों के कारण प्रदर्शनकारियों और सुरक्षा बलों के बीच टकराव हुआ.

इसके चलते अंतत: सेना को भीड़ को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस का इस्तेमाल करना पड़ा, जबकि प्रदर्शनकारियों ने पत्थरों और गुलेल से जवाबी कार्रवाई की. रात 9:30 बजे भी आंसू गैस का गोलाबारी जारी थी, लेकिन सुरक्षा बल रात में ही बाजार से शव बरामद करने में सफल रहे.

उल्लेखनीय है कि बीते 3 मई से कुकी और मेईतेई समुदायों के बीच भड़की जातीय हिंसा में अब तक 100 से अधिक लोग मारे गए हैं. लगभग 50,000 लोग विस्थापित हुए हैं.

मणिपुर में अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मेईतेई समुदाय की मांग के विरोध में बीते 3 मई को पर्वतीय जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद झड़पें हुई थीं, हिंसा में बदल गई और अब भी जारी हैं.

मणिपुर की 53 प्रतिशत आबादी मेईतई समुदाय की है और ये मुख्य रूप से इंफाल घाटी में रहते हैं. आदिवासियों- नगा और कुकी की आबादी 40 प्रतिशत है और ये पर्वतीय जिलों में रहते हैं.

केंद्र की मोदी सरकार ने बीते 10 जून को राज्यपाल अनुसुइया उइके के नेतृत्व में 51 सदस्यीय शांति समिति का गठन किया था.

तब मेईतेई और कुकी-ज़ोमी दोनों समुदायों का प्रतिनिधित्व करने वाले समूहों ने कहा था कि वे शांति समिति में भाग नहीं लेंगे.

दरअसल इस समिति में मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह को शामिल किया गया है, जिनका विरोध किया जा रहा है. कई संगठनों पर राज्य में वर्तमान में जारी हिंसा के लिए उन्हें जिम्मेदार ठहराया है.