सितंबर 2022 में उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल स्थित एक रिज़ॉर्ट में काम करने वाली 19 वर्षीय अंकिता भंडारी की हत्या कर दी गई थी. आरोप है कि रिज़ॉर्ट के मालिक और स्थानीय भाजपा नेता के बेटे ने अंकिता पर वीआईपी मेहमान को ‘विशेष सेवाएं’ देने का दबाव बनाया था, जिससे मना करने पर उनकी हत्या कर दी गई.
नई दिल्ली: पिछले साल उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल में एक रिसॉर्ट में एक वीआईपी मेहमान को ‘विशेष सेवाएं’ प्रदान करने से कथित तौर पर इनकार करने पर रिसेप्शनिस्ट अंकिता भंडारी की हत्या कर दी गई थी. अब उनके परिवार ने राज्य की भाजपा सरकार पर न्याय सुनिश्चित करने में उदासीनता का आरोप लगाते हुए मामले में अभियोजन पक्ष (सरकारी) के वकील जितेंद्र रावत को नहीं हटाए जाने पर आत्महत्या की धमकी दी है.
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, बीते बृहस्पतिवार (29 जून) को जारी एक वीडियो में रिसेप्शनिस्ट की मां ने कथित उदासीनता की निंदा करते हुए कहा कि अगर उन्हें आत्महत्या करने के लिए मजबूर किया गया तो सरकार जिम्मेदार होगी.
उन्होंने कहा कि वे असहाय महसूस करते हैं और उनके पास कोई उम्मीद नहीं बची है. मां ने कहा कि वे न्याय सुनिश्चित करने के लिए दर-दर भटक रहे हैं.
अखबार के मुताबिक, बुधवार (28 जून) को परिवार ने कहा था कि प्रशासन ने मामले को कमजोर करने के लिए सरकारी वकील रावत को बरी कर दिया है. पौडी गढ़वाल के जिला मजिस्ट्रेट आशीष कुमार चौहान ने पुष्टि के लिए कॉल का जवाब नहीं दिया.
बता दें कि 19 वर्षीय अंकिता भंडारी पौड़ी गढ़वाल के एक रिजॉर्ट में काम करती थीं और सितंबर 2022 में उनकी इसलिए हत्या कर दी गई थी, क्योंकि कथित तौर पर उन्होंने किसी वीआईपी मेहमान को ‘विशेष सेवाएं’ (सेक्स वर्क के लिए इस्तेमाल होने वाला शब्द) देने से इनकार कर दिया था.
रिसॉर्ट के मालिक और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के निष्कासित नेता विनोद आर्य के बेटे पुलकित आर्य और उनके स्टाफ सदस्यों- सौरभ भास्कर और अंकित गुप्ता को पिछले साल सितंबर में अंकिता की हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. अंकिता की हत्या के छह दिन बाद उसका शव एक नहर से बरामद किया गया था.
सरकारी वकील रावत ने हिंदुस्तान टाइम्स को बताया कि उन्हें प्रशासन से फोन आया था कि उन्हें मामले में वकील बने रहने की अनुमति दे दी गई है. उन्होंने कहा, ‘यह मेरे खिलाफ एक साजिश है.’ उन्होंने कहा कि कुछ लोग युवती (अंकिता) के माता-पिता को गुमराह कर रहे हैं.
अंकिता की मां ने कहा कि उन्हें न्याय की कोई उम्मीद नहीं है और वे असहाय महसूस करती हैं.
उन्होंने कहा, ‘हमने जिला मजिस्ट्रेट और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से वकील को हटाने का अनुरोध किया था, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. वे उन्हें हटाना नहीं चाहते. जब तक उन्हें हटाया नहीं जाएगा, हम कोर्ट नहीं जाएंगे. मैं सभी गवाहों से ऐसा करने का अनुरोध करती हूं.’
उन्होंने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से सवाल किया कि वह न्याय क्यों नहीं चाहते.
उन्होंने कहा, ‘क्या वह मेरी अकेली बेटी थी, राज्य की नहीं? मैं आपसे अभियोजन पक्ष के वकील को हटाने का अनुरोध करती हूं. क्या आप उन माता-पिता की बात भी नहीं सुन सकते जिन्होंने अपनी बेटी खो दी?’
बाद में मां ने हिंदुस्तान टाइम्स से कहा कि सरकार गंभीर नहीं दिख रही है. उन्होंने कहा, ‘अगर हमारी बेटी को न्याय नहीं मिलेगा, तो यह एक गलत मिसाल कायम होगी. इससे अपराधियों को खुलेआम ऐसे कृत्य करने की इजाजत मिल जाएगी.’
बीते 1 जून को पौढ़ी गढ़वाल के जिला मजिस्ट्रेट आशीष कुमार चौहान को लिखे पत्र में अंकिता के पिता ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री रावत जान-बूझकर अदालत के सामने महत्वपूर्ण तथ्य न लाकर आरोपियों को बचाने की कोशिश कर रहे हैं.
उन्होंने पत्र में कहा, ‘अभियोजन पक्ष के गवाह संख्या 8 विवेक आर्य ने अदालत के समक्ष अपने बयान में कहा कि आरोपी ने मेरी बेटी के साथ बलात्कार करने का प्रयास किया. अभियोजन पक्ष के वकील ने इतना महत्वपूर्ण तथ्य अदालत के संज्ञान में नहीं लाया और छेड़छाड़ के आरोप के तहत विवेक आर्य का बयान अदालत में दर्ज किया गया.’
उन्होंने कहा कि जितेंद्र रावत (सरकारी वकील) एक यूट्यूब चैनल पर मामले के संबंध में ‘आपत्तिजनक वीडियो’ अपलोड कर रहे हैं, जिससे पता चलता है कि वह न्याय सुनिश्चित करने के प्रति गंभीर नहीं हैं.
उन्होंने कहा, ‘सरकारी वकील मामले के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी साझा नहीं करते हैं. यह पूरी तरह से न्याय के लिए सरकार की प्रतिज्ञा के खिलाफ है.’