कर्नाटक हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार के ब्लॉकिंग आदेशों के ख़िलाफ़ ट्विटर की याचिका ख़ारिज की

ट्विटर ने कर्नाटक हाईकोर्ट में आईटी अधिनियम की धारा 69ए के तहत केंद्र सरकार द्वारा जारी किए गए ब्लॉकिंग आदेशों को चुनौती दी थी. अदालत ने इस तथ्य का हवाला दिया कि ट्विटर ने नोटिस दिए जाने के बावजूद सरकार के ब्लॉकिंग आदेशों का पालन नहीं किया. ​इसके ‘आचरण’ को लेकर अदालत ने 50 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है.

(फोटो साभार: Flickr/Yuri Samoilov. CC BY 2.0)

ट्विटर ने कर्नाटक हाईकोर्ट में आईटी अधिनियम की धारा 69ए के तहत केंद्र सरकार द्वारा जारी किए गए ब्लॉकिंग आदेशों को चुनौती दी थी. अदालत ने इस तथ्य का हवाला दिया कि ट्विटर ने नोटिस दिए जाने के बावजूद सरकार के ब्लॉकिंग आदेशों का पालन नहीं किया. ​इसके ‘आचरण’ को लेकर अदालत ने 50 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है.

(फोटो साभार: Flickr/Yuri Samoilov. CC BY 2.0)

नई दिल्ली: कर्नाटक हाईकोर्ट ने सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) अधिनियम की धारा 69ए के तहत केंद्र सरकार द्वारा जारी किए गए ब्लॉकिंग आदेशों को चुनौती देने वाली ट्विटर द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया है और इसके ‘आचरण’ को लेकर 50 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है.

लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, जस्टिस कृष्णा एस. दीक्षित की एकल न्यायाधीश पीठ ने इस तथ्य का हवाला दिया कि ट्विटर ने नोटिस दिए जाने के बावजूद सरकार के ब्लॉकिंग आदेशों का पालन नहीं किया.

पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा, ‘आपके मुवक्किल (ट्विटर) को नोटिस दिया गया था और उन्होंने इसका पालन नहीं किया. आदेश का अनुपालन नहीं करने के लिए सजा 7 साल की कैद और असीमित जुर्माना है. इससे भी आपके मुवक्किल पर असर नहीं पड़ा. इसलिए आपने कोई कारण नहीं बताया कि आपने अनुपालन में देरी क्यों की, एक साल से अधिक की देरी. फिर अचानक आप अनुपालन करते हैं और अदालत का दरवाजा खटखटाते हैं. आप किसान नहीं, बल्कि अरबों डॉलर की कंपनी हैं.’

न्यायाधीश ने इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा जारी किए गए ब्लॉकिंग आदेशों के पीछे के कारणों से लेकर अधिकार क्षेत्र तक आठ मुद्दे तय किए.

पीठ ने ट्विटर के वकील मनु कुलकर्णी की मांग के अनुसार धारा 69ए के तहत अपनी शक्तियों के प्रयोग के लिए केंद्र को दिशानिर्देश जारी करने से भी इनकार कर दिया.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, अदालत ने यह भी कहा कि एक विदेशी कंपनी के रूप में ट्विटर भारत के संविधान के अनुच्छेद 19 और 21 के तहत भारत के नागरिकों को दी गई अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकारों का दावा नहीं कर सकता है.

जून 2022 में इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने ट्विटर को एक पत्र भेजकर ब्लॉकिंग आदेशों का अनुपालन न करने के परिणामों की चेतावनी दी थी, जिसमें ट्विटर के मुख्य अनुपालन अधिकारी के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही शुरू करना भी शामिल था.

नरेंद्र मोदी सरकार के साथ ट्विटर पर टकराव कोई नई बात नहीं है.

बीते जून महीने में ट्विटर के संस्थापक और पूर्व मालिक जैक डोर्सी ने एक ऑनलाइन इंटरव्यू में खुलासा किया था कि केंद्र सरकार ने किसानों के आंदोलन के दौरान आधिकारिक नीति की आलोचना करने वाले पत्रकारों की ट्वीट हटाने के लिए ट्विटर से ‘कई अनुरोध’ किए थे और भारत में ट्विटर को बंद करने और उसके कर्मचारियों के घरों पर छापेमारी करने की धमकी भी दी थी.

जून महीने में ही ट्विटर के नए मालिक और प्रमुख एलन मस्क ने कहा था कि कंपनी के पास किसी भी देश में स्थानीय कानूनों का पालन करने या बंद होने का जोखिम उठाने के अलावा कोई और विकल्प नहीं है.

उन्होंने कहा था, ‘ट्विटर के पास स्थानीय कानूनों का पालन करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है. अगर हम स्थानीय सरकार के कानूनों का पालन नहीं करते हैं तो हम बंद हो जाएंगे.’

मस्क ने कहा था, ‘हम जो सबसे अच्छा काम कर सकते हैं, वह है किसी भी देश के कानूनों का पालन करना. इससे अधिक करना असंभव है.’

बीते अप्रैल महीने में एलन मस्क ने बीबीसी को दिए एक इंटरव्यू में कहा था कि वह संभवत: भारत सरकार द्वारा जारी ब्लॉकिंग आदेशों का पालन करते हैं, क्योंकि वह ऐसे हालात का सामना करना नहीं चाहते हैं, जहां ट्विटर के कर्मचारियों को जेल भेजा जा रहा हो. उन्होंने कहा था कि भारत में सोशल मीडिया संबंधी नियम काफी सख्त हैं. जेल जाने से बेहतर है कि हम क़ानून मानेंगे.

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