मणिपुर: कुछ यूज़र्स के इस्तीफ़ा देने की बात कहने पर ​कथित रूप से ट्विटर पर उलझते नज़र आए सीएम

मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिं​ह के आधिकारिक हैंडल से बीते 30 जून को कुछ ट्वीट किए गए थे, जिसमें वह कुछ ट्विटर उपयोगकर्ताओं के साथ उलझते हुए नज़र आते हैं, जिन्होंने उन्हें ‘कुकी’ और ‘म्यांमार से संबंधित’ कहने के लिए मुख्यमंत्री की आलोचना की थी. बाद में ये ट्वीट हटा दिए गए थे.

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एन. बीरेन सिंह. (फोटो साभार: फेसबुक)

मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिं​ह के आधिकारिक हैंडल से बीते 30 जून को कुछ ट्वीट किए गए थे, जिसमें वह कुछ ट्विटर उपयोगकर्ताओं के साथ उलझते हुए नज़र आते हैं, जिन्होंने उन्हें ‘कुकी’ और ‘म्यांमार से संबंधित’ कहने के लिए मुख्यमंत्री की आलोचना की थी. बाद में ये ट्वीट हटा दिए गए थे.

एन. बीरेन सिंह. (फोटो साभार: फेसबुक)

नई दिल्ली: जिस दिन मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने घोषणा की कि वह पद से इस्तीफा नहीं देंगे, ऐसा प्रतीत होता है कि वह उन ट्विटर उपयोगकर्ताओं के साथ उलझ गए हैं, जिन्होंने उन्हें ‘कुकी’ और ‘म्यांमार से संबंधित’ कहने के लिए उनकी (मुख्यमंत्री) आलोचना की और फिर ट्वीट हटा दिए.

ये ट्वीट बीते शुक्रवार (30 जून) की शाम को हुई और इसके तुरंत बाद हटा दिए गए. इंडियन एक्सप्रेस ने बताया है कि मुख्यमंत्री की सोशल मीडिया टीम के एक सदस्य ने इस बात से इनकार किया कि ट्वीट उनके या उनकी टीम द्वारा किए गए थे, जिससे यह सवाल उठता है कि उनका आधिकारिक ट्विटर हैंडल कौन चला रहा है.

समाचार वेबसाइट स्क्रॉल डॉट इन तीन ट्वीट्स के स्क्रीनशॉट प्रकाशित किए हैं, जिनमें एन. बीरेन सिंह अपने आलोचकों से उलझते हुए नजर आ रहे हैं.

स्क्रॉल डाट इन द्वारा साझा किए गए ट्वीट के स्क्रीनशॉट.

एक व्यक्ति जिसका नाम ट्विटर पर ‘थांग कुकी’ है, उनसे कहता है, ‘आपको बहुत पहले ही इस्तीफा दे देना चाहिए था.’, इस पर एक ट्वीट में वे (मुख्यमंत्री) कथित तौर पर लिखते हैं, ‘तुम भारत से हो या म्यांमार से?’

एक अन्य व्यक्ति जो उन्हें बताता है कि म्यांमार में भी मेईतेई लोगों की एक बड़ी आबादी है, मुख्यमंत्री कथित तौर पर कहते हैं, ‘म्यांमार में मेईतेई कभी भी देश में अपनी मातृभूमि के बारे में नहीं पूछते.’

एक अन्य व्यक्ति, जिसने उनसे इस्तीफा देने की बात कहते हुए कहा कि ‘मणिपुर पिछले 60 दिनों से जल रहा है’, मुख्यमंत्री के ट्विटर हैंडल पर कहा गया है, ‘जमीनी वास्तविकताओं को जाने बिना भौंकें नहीं, म्यांमार भारतीय राज्य की जटिलता को नहीं समझेगा.’

इंडियन एक्सप्रेस ने एक अन्य उदाहरण पर भी रिपोर्ट किया.

जब एक ट्विटर यूजर ने लिखा, ‘इस महत्वपूर्ण मोड़ पर मैं स्पष्ट करना चाहता हूं कि मैं अब ज़ेलेंगम का नागरिक हूं’, तब मुख्यमंत्री के एकाउंट से लिखा गया, ‘म्यांमार में हो सकता है.’

ज़ेलेंगम विभिन्न देशों में कुकी-आबाद क्षेत्रों के प्रस्तावित कुकी राष्ट्र के नाम का संदर्भ है.

इसके अतिरिक्त जब एक ट्विटर उपयोगकर्ता ने कहा कि अगर मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने तुरंत कार्रवाई की होती तो मणिपुर में स्थिति अलग होती, इस पर उनके आधिकारिक हैंडल से कहा गया, ‘कैसे? क्या एटीएसयूएम (ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन मणिपुर) ने घोषणा की थी कि वे रैलियों के दौरान मेईतेई पर हमला करेंगे?’

इस बीच इंडियन एक्सप्रेस ने खबर दी है कि रक्षा सचिव गिरिधर अरमाने ने सीमा क्षेत्र में शांति बनाए रखने के मुद्दों पर चर्चा करने के लिए अपने वरिष्ठ नेतृत्व से मिलने के लिए म्यांमार की दो दिवसीय यात्रा की.

मालूम हो कि मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह कथित तौर पर बीते 30 जून को इस्तीफा देने वाले थे, लेकिन कथित जनता के दबाव में उन्होंने इस कदम से पीछे हटने का फैसला किया. सोशल मीडिया पर उनका फटा हुआ त्याग पत्र सामने आया था.

उल्लेखनीय है कि बीते 3 मई से कुकी और मेईतेई समुदायों के बीच भड़की जातीय हिंसा में अब तक लगभग 140 लोगों की मौत हो गई और 50,000 से अधिक लोग विस्थापित हुए हैं. हिंसा से निपटने के अपने तरीके को लेकर मुख्यमंत्री को काफी आलोचना का सामना करना पड़ रहा है.

मणिपुर में अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मेईतेई समुदाय की मांग के विरोध में बीते 3 मई को पर्वतीय जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद झड़पें हुई थीं, हिंसा में बदल गई और अब भी जारी हैं.

मणिपुर की 53 प्रतिशत आबादी मेईतई समुदाय की है और ये मुख्य रूप से इंफाल घाटी में रहते हैं. आदिवासियों- नगा और कुकी की आबादी 40 प्रतिशत है और ये पर्वतीय जिलों में रहते हैं.

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