सुप्रीम कोर्ट दो याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है, एक मणिपुर ट्राइबल फोरम दिल्ली और दूसरी मणिपुर विधानसभा की हिल एरिया कमेटी के अध्यक्ष द्वारा दायर की गई है. अदालत ने कहा कि स्थिति रिपोर्ट में पुनर्वास शिविरों, हथियारों की बरामदगी, क़ानून व्यवस्था समेत अन्य उठाए जा रहे क़दमों को शामिल किया जाना चाहिए.
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बीते सोमवार (3 जुलाई) को मणिपुर सरकार को राज्य में पिछले दो महीने से जारी जातीय हिंसा के मद्देनजर ‘जमीनी स्थिति’ के बारे में ‘विस्तृत स्थिति रिपोर्ट’ (Status Report) दाखिल करने का आदेश दिया है.
भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली तीन-न्यायाधीशों की पीठ ने कहा कि वह मामले की अगली सुनवाई 10 जुलाई को होगी.
लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, अदालत दो याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है, एक मणिपुर ट्राइबल फोरम दिल्ली और दूसरी मणिपुर विधानसभा की हिल एरिया कमेटी के अध्यक्ष द्वारा दायर की गई है.
पहले याचिकाकर्ता ने कुकी समुदाय के लिए सुरक्षा की मांग की है, वहीं दूसरे याचिकाकर्ता ने मेईतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति श्रेणी के तहत शामिल करने पर विचार करने के मणिपुर हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, सीजेआई ने मौखिक रूप से कहा, ‘सॉलिसिटर जनरल से एक अपडेटेड स्थिति रिपोर्ट चाहिए. हम इसे लंबे समय तक टाल नहीं रहे हैं. इसलिए हम जानना चाहते हैं कि जमीन पर क्या कदम उठाए गए हैं. हमें एक विस्तृत स्थिति रिपोर्ट दें.’
सीजेआई ने कहा कि स्थिति रिपोर्ट में पुनर्वास शिविरों, हथियारों की बरामदगी, कानून व्यवस्था समेत अन्य उठाए जा रहे कदमों को शामिल किया जाना चाहिए.
अदालत ने सॉलिसिटर जनरल को ‘इंटरनेशनल मेईतेई ऑर्गनाइजेशन’ के आरोपों पर ‘विशिष्ट निर्देश लेने’ का भी निर्देश दिया कि ‘उन उग्रवादी संगठनों के सदस्य जिनके साथ केंद्र ने अभियानों को निलंबित (Suspension of Operations) करने का समझौता किया है, वे भी हिंसा में शामिल हो सकते हैं और इस्तेमाल की जा रही असॉल्ट और स्नाइपर राइफलें इन आतंकवादियों की जरिये आ रही होंगी.’
इस पर सॉलिसिटर जनरल ने कहा, वह इसे अपनी रिपोर्ट में शामिल कर सकते हैं या नहीं भी कर सकते हैं, लेकिन आश्वासन दिया कि वह निर्देश लेंगे. मेहता ने कहा, ‘क्योंकि मेईतेई संगठन के वकील द्वारा बताए गए स्रोत के अलावा (हथियारों के लिए) कुछ अन्य स्रोत की संभावना है.’
उन्होंने यह भी कहा कि केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) की 114 कंपनियां, सेना की 184 टुकड़ियां और मणिपुर राइफल्स कमांडो के कई जवान शांति सुनिश्चित करने के लिए राज्य में तैनात हैं. उन्होंने कहा कि राज्य में 355 राहत शिविर चल रहे हैं.
अपने बयान के बचाव में कि स्थिति में सुधार हो रहा है, उन्होंने कहा कि कर्फ्यू के समय को घटाकर प्रतिदिन केवल पांच घंटे कर दिया गया है और ‘इसलिए स्थिति में सुधार हुआ है.’
सॉलिसिटर जनरल ने कुकी संगठनों की ओर से पेश वकील से राज्य में स्थिति को कोई ‘सांप्रदायिक मोड़’ न देने का भी अनुरोध किया.
उल्लेखनीय है कि बीते 3 मई से कुकी और मेईतेई समुदायों के बीच भड़की जातीय हिंसा में अब तक लगभग 140 लोग मारे जा चुके हैं और लगभग 50,000 लोग विस्थापित हुए हैं.
मणिपुर में अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मेईतेई समुदाय की मांग के विरोध में बीते 3 मई को पर्वतीय जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद झड़पें हुई थीं, हिंसा में बदल गई और अब भी जारी हैं.
मणिपुर की 53 प्रतिशत आबादी मेईतई समुदाय की है और ये मुख्य रूप से इंफाल घाटी में रहते हैं. आदिवासियों- नगा और कुकी की आबादी 40 प्रतिशत है और ये पर्वतीय जिलों में रहते हैं.
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