केंद्रीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि हमने पहले ही अपने साथी देशों जैसे कनाडा, अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया से अनुरोध किया है कि वे खालिस्तानियों को जगह न दें, क्योंकि उनकी कट्टरपंथी, चरमपंथी सोच न तो हमारे लिए अच्छी है, न उनके लिए और न ही हमारे संबंधों के लिए.
नई दिल्ली: भारत ने कनाडा में सामने आए खालिस्तान समर्थक पोस्टर में भारत के शीर्ष राजनयिकों की तस्वीरों और नामों का मुद्दा कनाडा सरकार के समक्ष उठाया है. कनाडा की विदेश मंत्री मेलनी जॉली ने कहा है कि प्रचार सामग्री ‘अस्वीकार्य’ है और कहा है कि ‘कुछ लोगों की हरकतें पूरे समुदाय या कनाडा के बारे में नहीं बताती हैं.’
मीडिया में आईं खबरों के अनुसार, जून महीने हुई आतंकी संगठन खालिस्तान टाइगर फोर्स (केटीएफ) के प्रमुख हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के विरोध में टोरंटो और वैंकूवर स्थित भारतीय मिशनों तक 8 जुलाई को निकाले जाने वाले एक मार्च के लिए खालिस्तान समर्थक पोस्टर लगाए गए थे.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, कनाडा में खालिस्तान समर्थक नेताओं द्वारा जारी एक पोस्टर में भारतीय उच्चायुक्त संजय कुमार वर्मा और टोरंटो में भारत की महावाणिज्यदूत अपूर्वा श्रीवास्तव पर खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या का आरोप लगाया गया है, जिससे कनाडा में प्रवासी पंजाबियों में व्यापक आक्रोश फैल गया है.
खालिस्तान टाइगर फोर्स (केटीएफ) प्रमुख 45 वर्षीय हरदीप सिंह निज्जर की बीते 18 जून को कनाडा के एक गुरुद्वारा परिसर में दो अज्ञात लोगों द्वारा गोली मारकर हत्या कर दी थी.
प्रतिबंधित सिख्स फॉर जस्टिस (एसएफजे) के साथ निकटता से जुड़े निज्जर ने कनाडा के ब्रैम्पटन में तथाकथित खालिस्तान जनमत संग्रह के आयोजन में प्रमुख भूमिका निभाई थी. उसने इस साल की शुरुआत में एसएफजे के जनमत संग्रह अभियान के लिए ऑस्ट्रेलिया की यात्रा भी की थी.
समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, बीते सोमवार को पत्रकारों से बात करते हुए भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि यह मामला कनाडा के सामने उठाया जा रहा है.
भाजपा के एक कार्यक्रम के इतर उन्होंने कहा, ‘हम पोस्टरों का मुद्दा उस सरकार के समक्ष उठाएंगे. मुझे लगता है कि यह अब तक हो चुका होगा, क्योंकि यह दो से तीन दिन पहले हुआ था.’
उन्होंने यह भी दावा किया कि ‘कट्टरपंथी, चरमपंथी खालिस्तानी विचारधारा’ भारत या उसके सहयोगी देशों जैसे अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया के लिए अच्छी नहीं है.
विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा, ‘हमने पहले ही अपने साथी देशों जैसे कनाडा, अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया से अनुरोध किया है कि वे खालिस्तानियों को जगह न दें, क्योंकि उनकी (खालिस्तानियों की) कट्टरपंथी, चरमपंथी सोच न तो हमारे लिए अच्छी है, न उनके लिए और न ही हमारे संबंधों के लिए.’
कनाडा की विदेश मंत्री ने मंगलवार (4 जुलाई) की सुबह ट्वीट किया कि देश राजनयिकों की सुरक्षा के संबंध में वियना कन्वेंशन के तहत अपने दायित्वों को बहुत गंभीरता से लेता है.
उन्होंने लिखा, ‘8 जुलाई को प्रस्तावित विरोध प्रदर्शन के संबंध में ऑनलाइन प्रसारित हो रही कुछ प्रचार सामग्री के मद्देनजर कनाडा भारतीय अधिकारियों के साथ निकट संपर्क में है, जो अस्वीकार्य है. हम जानते हैं कि कुछ लोगों की हरकतें पूरे समुदाय या कनाडा के बारे में नहीं बताती हैं.’
पिछले महीने कनाडा के ब्रैम्पटन में एक झांकी के दृश्य सोशल मीडिया पर सामने आने के बाद भारत ने कनाडा की आलोचना की थी, जिसमें कथित तौर पर पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या का जश्न मनाया गया था.
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने बार-बार दावा किया है कि ‘वोटबैंक की मजबूरियों’ के कारण कनाडा को खालिस्तानी मुद्दे से निपटने में रोका गया था.
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