त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक साहा ने कहा है कि राज्य के युवाओं को रोज़गार प्रदान करने के सरकार के चल रहे प्रयास के एक हिस्से के रूप में कैबिनेट ने फैसला किया है कि सरकारी और अर्द्ध-सरकारी नौकरियों के लिए आवेदन करते समय स्थायी निवासी प्रमाण-पत्र की आवश्यकता होगी.
नई दिल्ली: कांग्रेस द्वारा राज्य के युवाओं के लिए सरकारी नौकरी में जगह बनाने की बात कहने के कुछ ही दिनों मुख्यमंत्री माणिक साहा ने कहा कि उनकी सरकार ने सभी राज्य सरकारी विभागों और अर्द्ध-सरकारी निकायों में नौकरियों के लिए आवेदन करने के लिए ‘त्रिपुरा का स्थायी निवासी प्रमाण-पत्र’ (पीआरटीसी) अनिवार्य कर दिया है.
साहा ने कहा कि इस फैसले को उनकी कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है. समाचार एजेंसी पीटीआई की एक रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने कहा, ‘यह कदम राज्य के युवाओं को रोजगार के अधिक अवसर प्रदान करने के लिए है. यह पहले से लागू अन्य आवश्यकताओं के अतिरिक्त होगा.’
साहा ने एक फेसबुक पोस्ट में कहा, ‘त्रिपुरा राज्य के युवाओं को रोजगार प्रदान करने के राज्य सरकार के चल रहे प्रयास के एक हिस्से के रूप में कैबिनेट ने फैसला किया है कि सरकारी और अर्द्ध-सरकारी नौकरियों के लिए आवेदन करते समय स्थायी निवासी प्रमाण-पत्र की आवश्यकता होगी.’
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, पर्यटन मंत्री सुशांत चौधरी ने मंगलवार (4 जुलाई) को कहा था कि कैबिनेट ने राज्य सरकार की नौकरियों के लिए सभी सीधी भर्तियों के लिए त्रिपुरा के स्थायी निवासी प्रमाण-पत्र को अनिवार्य बनाने का फैसला किया है.
चौधरी ने अगरतला में सिविल सचिवालय में मीडियाकर्मियों से कहा था, ‘अगर हमें किसी पद के लिए कोई उपयुक्त उम्मीदवार नहीं मिलता है, तो हम त्रिपुरा के बाहर के आवेदकों के लिए स्थायी निवासी प्रमाण-पत्र में छूट देंगे.’
सीधी भर्तियां तब होती हैं, जब संबंधित विभाग सीधे रिक्तियों को भरते हैं.
मई में कांग्रेस विधायक और राज्य के वरिष्ठ नेता सुदीप रॉय बर्मन ने राज्य लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष कुश कुमार शर्मा को पत्र लिखकर राज्य की सभी सरकारी नौकरियों के लिए स्थायी निवासी प्रमाण-पत्र को अनिवार्य बनाने के लिए दबाव डाला था.
पत्र में कहा गया था कि राज्य की दो स्थानीय भाषाओं बंगाली और कोकबोरोक के ज्ञान को राज्य सरकार की नौकरियों के लिए पात्रता सूची का हिस्सा बनाया जाना चाहिए.
रॉय बर्मन ने विशेष रूप से इस साल जनवरी में राज्य कृषि विभाग द्वारा जारी एक विज्ञापन का हवाला देते हुए कहा था, ‘मैं इस तथ्य से चकित हूं कि बंगाली या कोकबोरोक के ज्ञान के साथ स्थायी निवासी प्रमाण-पत्र का प्रावधान पात्रता मानदंड के रूप में प्रदान/प्रकाशित नहीं किया गया है.’
पिछले साल अरुणाचल प्रदेश सरकार ने ऑल न्यीशी स्टूडेंट्स यूनियन की मांग के बाद राज्य लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित परीक्षाओं में उपस्थित होने के लिए प्रदेश के स्थायी निवासी प्रमाण पत्र को आवश्यक बनाने के सुझाव की व्यवहार्यता की जांच करने के लिए एक ‘उच्चस्तरीय’ समिति का गठन किया था.
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