मणिपुर: नॉर्थ ईस्ट क्रिश्चियन काउंसिल ने प्रधानमंत्री से शांति के लिए हस्तक्षेप का आग्रह किया

नॉर्थ ईस्ट इंडिया क्रिश्चियन काउंसिल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे पत्र में कहा है कि हिंसक संघर्षों का इतने लंबे समय तक जारी रहना राज्य प्रशासन और केंद्र सरकार के लिए भी शर्म की बात है. मणिपुर में बीते 3 मई से भड़की जातीय हिंसा में अब तक लगभग 140 लोग मारे जा चुके हैं और लगभग 60,000 लोग विस्थापित हुए हैं.

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी. (फाइल फोटो: पीटीआई)

नॉर्थ ईस्ट इंडिया क्रिश्चियन काउंसिल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे पत्र में कहा है कि हिंसक संघर्षों का इतने लंबे समय तक जारी रहना राज्य प्रशासन और केंद्र सरकार के लिए भी शर्म की बात है. मणिपुर में बीते 3 मई से भड़की जातीय हिंसा में अब तक लगभग 140 लोग मारे जा चुके हैं और लगभग 60,000 लोग विस्थापित हुए हैं.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी. (फाइल फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: मणिपुर में पिछले दो महीने से जारी जातीय हिंसा पर नॉर्थ ईस्ट इंडिया क्रिश्चियन काउंसिल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हस्तक्षेप करने और राज्य में सुलह कराने की अपील की है. संगठन ने कहा है, ‘हिंसक संघर्षों का इतने लंबे समय तक जारी रहना राज्य प्रशासन और केंद्र सरकार के लिए भी शर्म की बात है.’

द टेलीग्राफ की रिपोर्ट के मुताबिक, क्षेत्र में 55 ईसाई संप्रदायों के प्रभावशाली एकीकृत संगठन ने मणिपुर में मेईतेई और कुकी समुदायों के सह-अस्तित्व के इतिहास पर जोर दिया है. काउंसिल ने प्रधानमंत्री का ध्यान पूजा स्थलों, ज्यादातर चर्च भवनों के विनाश और धार्मिक स्वतंत्रता पर इसके प्रभाव की ओर आकर्षित करने की भी मांग की.

बीते सोमवार (3 जुलाई) को प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में काउंसिल ने लोगों और पूजा स्थलों की सुरक्षा के लिए तैनात सैनिकों की संख्या बढ़ाने की मांग की.

पत्र में कहा गया है, ‘संघर्ष में शामिल पक्षों के बीच सुलह समय की तत्काल आवश्यकता है. हम आपके (प्रधानमंत्री) कार्यालय से इस प्रक्रिया में तेजी लाने की अपील करते हैं. राज्य में सैकड़ों वर्षों से एक साथ रह रहे परस्पर विरोधी समुदायों के बीच सामंजस्य बिठाने में कोई कसर न छोड़ी जाए. राहत, पुनर्वास और पुनर्स्थापन का कार्य प्रभावी ढंग से करना बेहद महत्वपूर्ण है, यह ध्यान में रखते हुए कि सबसे बड़ी चुनौती हिंसक झड़पों से प्रभावित लोगों के मन से भय और अविश्वास को दूर करना है.’

बीते 3 मई से राज्य में आदिवासी कुकी-ज़ो और मेईतेई समुदायों के बीच जातीय हिंसा भड़कने के बाद हुई झड़पों में कम से कम 140 लोग मारे गए हैं. प्रधानमंत्री ने इस मुद्दे पर अभी तक चुप्पी साध रखी है.

प्रधानमंत्री को लिखे अपने पत्र में काउंसिल ने कहा, ‘हम आपका ध्यान मणिपुर की निराशाजनक स्थिति की ओर लाना चाहते हैं, जो भारत के प्रत्येक चिंतित नागरिक के लिए अत्यंत व्यथित करने वाला है.’

पत्र में कहा, ‘यह और भी अधिक परेशान करने वाली बात है कि पिछले 62 दिनों से स्थिति सुधरने के बजाय हर दिन बिगड़ती जा रही है, जिससे हजारों भारतीय नागरिक और इससे भी अधिक समाज के गरीब वर्ग गंभीर रूप से प्रभावित हो रहे हैं.’

यह बताते हुए कि दो महीने बीत जाने के बाद भी भयानक जातीय झड़पें अनियंत्रित रूप से जारी हैं, काउंसिल ने कहा, ‘आगजनी, लोगों पर अमानवीय हिंसक हमले और घरों और पूजा स्थलों का विनाश कम नहीं हुआ है. कानून व्यवस्था की स्थिति गंभीर चिंता का विषय है. इस समय यह पूरी तरह से विफल प्रतीत होता है.’

नॉर्थ ईस्ट इंडिया क्रिश्चियन काउंसिल ने चार तात्कालिक चिंताओं को सूचीबद्ध किया.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील करते हुए पत्र में कहा गया है, ‘हम इस संघर्षग्रस्त राज्य मणिपुर में शांति और सद्भाव की बहाली के लिए आपके माननीय कार्यालय और आपके हस्तक्षेप की ओर बड़ी उम्मीद और अपेक्षाओं के साथ देख रहे हैं. शांति की गंभीर प्रक्रिया में किसी भी उदासीन देरी के परिणामस्वरूप हर दिन हजारों लोगों को गंभीर पीड़ा झेलनी पड़ती है. पूर्वोत्तर भारत के लोग शांति और सुलह लाने और न्याय, समानता तथा एकता के सिद्धांतों के आधार पर प्रभावित समुदायों की रक्षा करने के लिए अत्यंत उत्सुकता से आपके निर्णायक संकल्प का इंतजार कर रहे हैं.’

रिपोर्ट के अनुसार, राज्य में अब करीब 40,000 सुरक्षाकर्मी तैनात हैं. मणिपुर में सोमवार (3 जुलाई) रात से गोलीबारी की दो घटनाएं सामने आई हैं, जिनमें किसी के हताहत होने की कोई खबर नहीं है.

समाचार एजेंसी पीटीआई ने बताया कि मंगलवार (2 जुलाई) रात पुलिस शस्त्रागार से हथियारलूटने के दंगाइयों के प्रयासों को विफल करने के बाद को थौबल जिले में भीड़ ने भारतीय रिजर्व बटालियन (आईआरबी) के एक अधिकारी के घर को आग लगा दी.

द प्रिंट के मुताबिक, आगजनी की यह घटना समाराम में मंगलवार रात रोनाल्डो नाम के एक 27 वर्षीय व्यक्ति की झड़प में मौत के बाद हुई. झड़प तब हुई जब 700-800 लोगों की भीड़ ने पुलिस शस्त्रागार से हथियार लूटने के लिए 4 किमी दूर वांगबल में तीसरे आईआरबी के शिविर पर हमला करने की कोशिश की थी.

अधिकारियों ने बताया कि झड़प में 10 अन्य लोग भी घायल हुए हैं, जिनमें से गंभीर रूप से छह घायलों को इंफाल में एक अस्पताल में भर्ती कराया गया है.

मणिपुर में दो महीने से ज्यादा समय से चल रही जातीय हिंसा के कारण बंद रहे स्कूलों को बुधवार को फिर से खोल दिया गया है.

हालांकि हिंसा का सिलसिला जारी है. पुलिस ने बताया कि राज्य में स्कूलों को फिर से शुरू होने के एक दिन बाद बृहस्पतिवार सुबह मणिपुर के इंफाल पश्चिम जिले में एक स्कूल के पास एक महिला की गोली मारकर हत्या कर दी गई. पुलिस ने बताया कि घटना सुबह करीब 8:40 बजे शिशु निष्ठा निकेतन स्कूल के पास हुई. महिला के शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया गया है.

उल्लेखनीय है कि बीते 3 मई से कुकी और मेईतेई समुदायों के बीच भड़की जातीय हिंसा में अब तक लगभग 140 लोग मारे जा चुके हैं और लगभग 60,000 लोग विस्थापित हुए हैं.

मणिपुर में अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मेईतेई समुदाय की मांग के विरोध में बीते 3 मई को पर्वतीय जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद झड़पें हुई थीं, हिंसा में बदल गई और अब भी जारी हैं.

मणिपुर की 53 प्रतिशत आबादी मेईतेई समुदाय की है और ये मुख्य रूप से इंफाल घाटी में रहते हैं. आदिवासियों- नगा और कुकी की आबादी 40 प्रतिशत है और ये पर्वतीय जिलों में रहते हैं.

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