अधिकारियों ने बताया कि बिष्णुपुर ज़िले में शुक्रवार को हुईं अलग अलग घटनाओं में संदिग्ध उग्रवादियों के साथ मुठभेड़ में मणिपुर पुलिस कमांडो की मौत हो गई, चुराचांदपुर ज़िले की सीमा से लगे तीन गांवों में किशोर समेत तीन लोगों की जान चली गई है.
नई दिल्ली: मणिपुर में बीते दो महीने से हिंसा जारी है. अधिकारियों ने कहा कि शुक्रवार (7 जुलाई) को बिष्णुपुर जिले में हुईं अलग-अलग घटनाओं में मणिपुर पुलिस कमांडो और एक किशोर लड़के सहित चार लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी गई और कई अन्य घायल हो गए.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, शुक्रवार शाम को मोइरंग तुरेल मापन में संदिग्ध उग्रवादियों के साथ मुठभेड़ में एक पुलिसकर्मी की मौत हो गई, वहीं सुबह के समय बिष्णुपुर और चुराचांदपुर जिलों की सीमा से लगे कांगवई, सोंगडो और अवांग लेखई गांवों में अन्य तीन लोग मारे गए.
पुलिस के अनुसार, मारे गए लोगों में से दो कुकी समुदाय से हैं और तीसरा 17 वर्षीय एम. रिकी मेईतेई समुदाय से है. सूत्रों ने कहा कि रिकी को एक गोली तब लगी, जब वह प्रतिद्वंद्वी समूहों के बीच गोलीबारी के कारण अपने गांव से भागने की कोशिश कर रहा था.
रिपोर्ट के अनुसार, मारे गए कुकी समुदाय के दोनों लोगों की पहचान अभी तक नहीं हो पाई है.
पुलिस कमांडो की पहचान पुखरामबम रणबीर के रूप में हुई है, जिनके सिर पर गोलीबारी के दौरान गोली लगी थी, उन्हें पहले जिला अस्पताल ले जाया गया, जहां से उन्हें इंफाल के एक अस्पताल में रेफर कर दिया गया. अधिकारियों ने बताया कि रास्ते में ही उन्होंने दम तोड़ दिया.
रिपोर्ट के अनुसार, इस बीच, भीड़ ने इलाके में सुरक्षा बलों की आवाजाही को रोकना जारी रखा. अधिकारियों ने कहा कि स्थिति से निपटने के लिए वैकल्पिक मार्गों से अतिरिक्त टुकड़ियां तैनात की गई हैं.
राज्य में जब से झड़पें शुरू हुई हैं कांगवई क्षेत्र एक संवेदनशील क्षेत्र रहा है.
सुरक्षा बलों ने इलाके में एक बफर जोन बनाया है और हिंसा को रोकने के लिए कर्मचारियों को तैनात किया है. हालांकि, दोनों पक्षों के उपद्रवियों द्वारा एक-दूसरे पर हमला और गोलीबारी जारी है.
सुरक्षा बल दोनों समुदायों को शामिल करके क्षेत्र में शांति बहाल करने के लिए चौबीसों घंटे काम कर रहे हैं.
हिंसा को नियंत्रित करने और राज्य में सामान्य स्थिति वापस लाने के लिए मणिपुर पुलिस के अलावा लगभग 40,000 केंद्रीय सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया गया है.
उल्लेखनीय है कि बीते 3 मई से कुकी और मेईतेई समुदायों के बीच भड़की जातीय हिंसा में अब तक लगभग 100 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं और 3000 से अधिक लोग घायल हुए हैं. लगभग 60,000 लोग विस्थापित हुए हैं.
मणिपुर में अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मेईतेई समुदाय की मांग के विरोध में बीते 3 मई को पर्वतीय जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद झड़पें हुई थीं, हिंसा में बदल गई और अब भी जारी हैं.
मणिपुर की 53 प्रतिशत आबादी मेईतेई समुदाय की है और ये मुख्य रूप से इंफाल घाटी में रहते हैं. आदिवासियों- नगा और कुकी की आबादी 40 प्रतिशत है और ये पर्वतीय जिलों में रहते हैं.