दिल्ली की एक अदालत ने भाजपा सांसद और भारतीय कुश्ती महासंघ के निवर्तमान अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के ख़िलाफ़ कथित यौन उत्पीड़न, मारपीट और छह महिला पहलवानों का पीछा करने के आरोप में दायर आरोप-पत्र पर संज्ञान लेने के बाद शुक्रवार को उन्हें समन जारी किया है.
नई दिल्ली: दिल्ली की एक अदालत ने भाजपा सांसद और भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के निवर्तमान अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ कथित यौन उत्पीड़न, मारपीट और छह महिला पहलवानों का पीछा करने के आरोप में दायर आरोप-पत्र पर संज्ञान लेने के बाद शुक्रवार (7 जुलाई) को उन्हें समन जारी किया.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, सिंह और एक अन्य आरोपी डब्ल्यूएफआई के पूर्व सहायक सचिव विनोद तोमर को 18 जुलाई को अदालत में पेश होने का निर्देश दिया गया है.
राउज एवेन्यू डिस्ट्रिक्ट कोर्ट के अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट (एसीएमएम) हरजीत सिंह जसपाल ने अपने आदेश में कहा, ‘पुलिस रिपोर्ट और सीआरपीसी की धारा 164 के तहत दर्ज किए गए पीड़ितों के बयानों को पढ़ने से पता चलता है कि आरोप विशिष्ट हैं, जो भारतीय दंड संहिता के प्रावधानों के तहत अपराध का संकेत देते हैं. अभियोजन पक्ष के गवाहों की सूची दाखिल कर दी गई है.’
आदेश में कहा गया है, ‘दलीलें सुनने और पुलिस रिपोर्ट के साथ इसके संलग्न दस्तावेजों, जिसमें धारा 161 सीआरपीसी के तहत दर्ज किए गए पीड़ितों के बयान, अन्य गवाहों के बयान, अन्य मौखिक और दस्तावेजी साक्ष्य आदि भी शामिल हैं, पर ध्यानपूर्वक विचार करने के बाद यह न्यायालय किए गए अपराधों के लिए संज्ञान लेती है और आरोपी व्यक्तियों बृजभूषण शरण सिंह और विनोद तोमर को तलब करती है.’
18 जुलाई को अदालत में मौजूद रहने का निर्देश देते हुए एसीएमएम के आदेश में कहा गया, ‘नजदीक की ही तारीख तय की गई है, क्योंकि दोनों आरोपी व्यक्तियों का वर्तमान पता दिल्ली का ही बताया गया है.’
एक नाबालिग सहित सात महिला पहलवानों ने इस साल अप्रैल में सिंह के खिलाफ यौन उत्पीड़न और आपराधिक धमकी की अलग-अलग शिकायतें दर्ज कराई थीं.
हालांकि नाबालिग और उसके पिता, जो शिकायतकर्ता थे, ने बाद में मजिस्ट्रेट के सामने एक ताजा बयान में सिंह के खिलाफ अपने आरोप वापस ले लिए थे. आरोप है कि ऐसा उसने लगातार मिल रहीं धमकियों के चलते किया है.
रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले महीने पुलिस ने छह महिला पहलवानों के कथित यौन उत्पीड़न, हमला और पीछा करने के आरोप में सिंह के खिलाफ 1500 पन्नों का आरोप-पत्र दायर किया था.
पुलिस ने बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ पॉक्सो अधिनियम को रद्द करने की रिपोर्ट भी दायर की, क्योंकि नाबालिग शिकायतकर्ता एक मजिस्ट्रेट के सामने अपने बयान से मुकर गई थी.
आरोप-पत्र छह पहलवानों की गवाही, गवाहों के बयान और तकनीकी साक्ष्य जैसे फोटो, वीडियो और कॉल डिटेल रिकॉर्ड का संकलन है. पुलिस ने शिकायतों की पुष्टि के लिए फोटो और वीडियो साक्ष्य का हवाला दिया.
बीते 21 अप्रैल को 7 महिला पहलवानों ने दिल्ली पुलिस में बृजभूषण के खिलाफ शिकायत दी थी, लेकिन पुलिस द्वारा मामला दर्ज न किए जाने पर पहलवान जंतर-मंतर पर धरने पर बैठ गए थे और अपनी एफआईआर दर्ज कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था.
शीर्ष अदालत ने भी आरोपों को गंभीर माना था और दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया था. जिसके बाद पुलिस ने बृजभूषण के खिलाफ दो एफआईआर दर्ज की थीं, जिनमें एक नाबालिग पहलवान की शिकायत पर पॉक्सो के तहत दर्ज किया गया मामला भी है.
बीते जनवरी महीने में पहलवानों ने भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष और भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए दिल्ली के जंतर मंतर पर प्रदर्शन शुरू किया था.
कई हफ्तों के विरोध के बाद बीते 23 जनवरी को मामले की जांच के लिए केंद्रीय खेल मंत्रालय के आश्वासन और ओलंपिक पदक विजेता मुक्केबाज मैरी कॉम की अध्यक्षता में छह सदस्यीय समिति का गठन के बाद पहलवानों ने अपना धरना खत्म कर दिया था.
इस दौरान बृजभूषण को महासंघ के अध्यक्ष पद की जिम्मेदारियों से अलग कर दिया गया था. हालांकि कोई कार्रवाई न होने के बाद बीते 23 अप्रैल को बजरंग पुनिया, विनेश फोगाट और साक्षी मलिक समेत अन्य पहलवानों ने अपना प्रदर्शन दोबारा शुरू कर दिया था.
मालूम हो कि 28 मई को जंतर मंतर से हटाए जाने के बाद पहलवानों की खेल मंत्री अनुराग ठाकुर से मुलाकात हुई थी, जिसके बाद उन्होंने 15 जून तक के लिए विरोध प्रदर्शन स्थगित कर दिया था, क्योंकि ठाकुर ने इसी तारीख तक बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ आरोप-पत्र पेश किए जाने की बात कही थी. साथ ही आश्वासन दिया था कि बृजभूषण के परिवार का किसी भी सदस्य को डब्ल्यूएफआई का चुनाव लड़ने की अनुमति नहीं दी जाएगी.
इसके बाद बीते 25 जून को प्रदर्शनकारी पहलवानों ने कहा था कि बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ लड़ाई सड़कों पर नहीं, बल्कि अदालत में लड़ी जाएगी.