मणिपुर हिंसा को सरकार प्रायोजित बताने पर फैक्ट-फाइंडिंग टीम पर दर्ज केस रद्द करने की मांग

नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन वुमेन की एक फैक्ट-फाइंडिंग टीम ने हिंसा प्रभावित मणिपुर का दौरा किया था. हिंसा को सरकार प्रायोजित बताने पर टीम में शामिल एनी राजा, निशा सिद्धू और दीक्षा द्विवेदी के ख़िलाफ़ राज्य के विरुद्ध युद्ध छेड़ने, उकसाने और मानहानि से संबंधित धाराओं में केस दर्ज किया गया है.

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मणिपुर में भड़की हिंसा के दौरान कई वाहनों को आग के हवाले कर दिया गया था. (फाइल फोटो साभार: एएनआई)

नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन वुमेन की एक फैक्ट-फाइंडिंग टीम ने हिंसा प्रभावित मणिपुर का दौरा किया था. हिंसा को सरकार प्रायोजित बताने पर टीम में शामिल एनी राजा, निशा सिद्धू और दीक्षा द्विवेदी के ख़िलाफ़ राज्य के विरुद्ध युद्ध छेड़ने, उकसाने और मानहानि से संबंधित धाराओं में केस दर्ज किया गया है.

मणिपुर में भड़की हिंसा के दौरान कई वाहनों को आग के हवाले कर दिया गया था. (फाइल फोटो साभार: एएनआई)

नई दिल्ली: अधिकार संगठन पीपुल्स यूनियन ऑफ सिविल लिबर्टीज (पीयूसीएल) ने तीन सदस्यीय एक फैक्ट-फाइंडिंग टीम के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के लिए मणिपुर पुलिस की निंदा की है. इस टीम ने मणिपुर के विभिन्न हिस्सों का दौरा कर हिंसा के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराया था.

इस टीम में नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन वुमेन (एनएफआईडब्ल्यू) की एनी राजा और निशा सिद्धू और वकील दीक्षा द्विवेदी शामिल थीं थी.

अब उन पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 121ए (भारत या देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने के अपराध की साजिश रचने), 124ए (राजद्रोह), 153/153ए/153बी (दंगा भड़काने के इरादे से उकसाना, विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना और राष्ट्रीय एकता के लिए प्रतिकूल आरोप लगाना), 499 (मानहानि), 504 और 505(2) (विभिन्न वर्गों के बीच शत्रुता पैदा करने के इरादे से शांति भंग करने के लिए अपमान, झूठे बयान, अफवाह आदि फैलाना), और धारा 34 (सामान्य इरादा) के तहत मामला दर्ज किया गया है.

राज्य के विभिन्न हिस्सों की अपनी यात्रा के समापन के बाद उन्होंने बीते 8 जुलाई को इंफाल में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित किया, जहां उन्होंने राज्य में संकट को ‘सरकार प्रायोजित हिंसा’ बताया था.

उन्होंने कहा था कि इसमें ‘भूमि, संसाधनों और कट्टरपंथियों एवं उग्रवादियों की उपस्थिति के प्रश्न शामिल हैं. सरकार ने अपने छिपे हुए कॉरपोरेट समर्थक एजेंडे को साकार करने के लिए चतुराई से रणनीति अपनाई, जिसके कारण मौजूदा संकट खड़ा हुआ है.’

मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह के इस्तीफे के खिलाफ मीरा पैबिस (बहुसंख्यक मेईतेई हिंदू समुदाय की महिलाओं) के विरोध प्रदर्शन को ‘नाटक’ बताने के लिए भी उन पर मुकदमा चलाया गया है.

पीयूसीएल ने एक बयान में कहा, ‘पीयूसीएल 8 जुलाई को दर्ज तुच्छ एफआईआर को मणिपुर पुलिस द्वारा शक्ति के क्रूर, दुर्भावनापूर्ण और निर्लज्ज दुरुपयोग के रूप में देखता है. पुलिस कानून का उपयोग उन नागरिकों को डराने और धमकाने के लिए आतंक के एक उपकरण के रूप में कर रही है, जो संघर्ष क्षेत्रों में व्यक्तिगत दौरे के माध्यम से सच्चाई का पता लगाना चाहते हैं.’

संगठन ने द वायर को एक साक्षात्कार देने के लिए हैदराबाद विश्वविद्यालय में राजनीति विज्ञान विभाग के प्रमुख प्रोफेसर खाम खान सुआन हाउजिंग के खिलाफ इंफाल सीजेएम कोर्ट के समक्ष दायर एक आपराधिक शिकायत पर भी अपनी ‘गहरी चिंता’ व्यक्त की.

पीयूसीएल ने कहा, ‘फैक्ट-फाइंडिंग रिपोर्ट प्रकाशित करना, लेख लिखना, प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित करना, मीडिया को साक्षात्कार देना जैसे व्यापक रूप से स्वीकृत मानवाधिकार उपकरणों को अपराधीकरण करने के ऐसे कृत्य स्पष्ट रूप से भारतीय लोगों के संवैधानिक रूप से संरक्षित मौलिक अधिकारों (1) भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता (जिसमें सरकार से सवाल करने, असहमति जताने और जवाबदेही मांगने का अधिकार शामिल है), (2) कहीं आने-जाने की स्वतंत्रता और (3) सभा की स्वतंत्रता और अन्य अधिकार का उल्लंघन है.’

पीयूसीएल ने केंद्र सरकार से सभी राज्यों और पुलिस को मानवाधिकार कार्य, अकादमिक लेखन और इसी तरह की गतिविधियों के दौरान लोगों को अपराधी बनाने के कृत्यों के खिलाफ परामर्श जारी करने का भी आह्वान किया है.

लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, इसी बीच सुप्रीम कोर्ट ने दर्ज मणिपुर पुलिस द्वारा दर्ज एफआईआर के संबंध में फैक्ट-फाइंडिंग टीम में शामिल वकील दीक्षा द्विवेदी को गिरफ्तारी से अंतरिम सुरक्षा प्रदान की.

दीक्षा द्विवेदी की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ दवे ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता को अभी तक एफआईआर की प्रति नहीं मिली है. इसके बाद शीर्ष अदालत ने शुक्रवार शाम 5 बजे तक याचिकाकर्ता के खिलाफ कोई दंडात्मक कदम नहीं उठाने का निर्देश दिया.

इस रिपोर्ट को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.

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