मोदी सरकार पर प्रचार के लिए विभिन्न मंत्रालयों को आवंटित राशि का 40% ‘हथियाने’ का आरोप समेत अन्य ख़बरें

द वायर बुलेटिन: आज की ज़रूरी ख़बरों का अपडेट.

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(फोटो: द वायर)

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नई दिल्ली: कांग्रेस ने नरेंद्र मोदी सरकार पर प्रचार के लिए विभिन्न मंत्रालयों को आवंटित धनराशि का 40 प्रतिशत ‘हथियाने’ और इसे केंद्रीय संचार ब्यूरो (सीबीसी) को सौंपने का आरोप लगाया है. 19 मई 2023 को वित्त मंत्रालय के एक आदेश को साझा करते हुए कांग्रेस महासचिव तथा मीडिया और संचार प्रभारी जयराम रमेश ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तहत केंद्र सरकार एक ‘केंद्रीय (प्रचार) मशीन’ बन गई है. कांग्रेस द्वारा ट्विटर पर पोस्ट की गई और द वायर के साथ साझा किए गए आदेश की एक प्रति में कहा गया है, ‘सरकारी नीतियों और कार्यक्रमों के बारे में सबसे अधिक प्रभावी तरीके से जानकारी के प्रसार के लिए मंत्रालयों/विभागों/संगठनों (संलग्न सूची के अनुसार) के बजट आवंटन 2023-24 का 40 प्रतिशत तत्काल प्रभाव से केंद्रीय संचार ब्यूरो, सूचना और प्रसारण मंत्रालय को दिया जाता है.’ कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि इस पैसे का इस्तेमाल केंद्रीय संचार ब्यूरो द्वारा भाजपा के 2024 के आम चुनाव अभियान के लिए किया जाएगा.

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का चंद्रयान-3 मिशन की लॉन्चिंग बीते शुक्रवार (14 जुलाई) को दोपहर 2:35 बजे आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से सफलतापूर्वक हो गई. लैंडर को चंद्रमा तक अपनी यात्रा पूरी करने में लगभग 42 दिन लगेंगे. चंद्रमिशन के तहत चांद पर भेजा गया चंद्रयान-3 आगामी 5 अगस्त को चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश करेगा. चंद्रयान-3 में एक लैंडर, एक रोवर और एक प्रॉपल्सन मॉड्यूल लगा हुआ है. इसका कुल भार 3,900 किलोग्राम और लागत तकरीबन 615 करोड़ रुपये है. चंद्रयान-3 चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरेगा. अगर इसरो इस मिशन को सफलतापूर्वक पूरा करता है, तो भारत उन तीन देशों (अमेरिका, पूर्ववर्ती सोवियत संघ और चीन) की विशेष सूची में शामिल हो जाएगा, जो चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग करने में कामयाब रहे हैं. चंद्रमा पर सफलतापूर्वक उतरने से पहले अमेरिका और सोवियत संघ के कई अंतरिक्ष यान दुर्घटनाग्रस्त हुए थे. 2013 में चीन चांग’ई-3 मिशन के साथ अपने पहले प्रयास में सफल होने वाला एकमात्र देश है. साल 2019 में भारत ने चंद्रयान-2 और 2008 में चंद्रयान-1 को लॉन्च किया था.

मिजोरम भाजपा के उपाध्यक्ष आर. वनरामचुआंगा ने गुरुवार (13 जुलाई) को पड़ोसी राज्य मणिपुर में हिंसा के दौरान ईसाइयों के चर्चों के बड़े पैमाने पर विध्वंस के विरोध में अपने पद से इस्तीफा दे दिया. उन्होंने आरोप लगाया कि यह राज्य और केंद्र सरकार द्वारा समर्थित है. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, मिजोरम भाजपा अध्यक्ष वनलालहमुआका को संबोधित एक पत्र में वनरामचुआंगा ने कहा कि उनका इस्तीफा ‘ईसाइयों के प्रति आपराधिक अन्याय के इस कृत्य के विरोध में है’. वनरामचुआंगा ने आरोप लगाया कि मणिपुर की घटनाओं से भाजपा पर ‘ईसाई विरोधी पार्टी’ होने के आरोपों को बल मिलता है.

चीनी सेना ने कुछ दिन पहले पूर्वी लद्दाख में चुशुल के एक ‘बफर जोन’ (शत्रुतापूर्ण ताकतों या राष्ट्रों को अलग करने के लिए एक तटस्थ क्षेत्र) में चार टेंट लगा लिए थे, जिनमें से तीन को भारतीय सेना की आपत्ति जताने के बाद हटा दिया गया था और चौथे को हटाया जा रहा है. द हिंदू में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक, चुशुल के पार्षद कोंचोक स्टैनजिन ने बताया कि उन्हें ‘ग्रामीणों से जानकारी मिली है कि भारतीय सेना द्वारा उनकी उपस्थिति पर आपत्ति जताने के बाद तीन टेंट हटा दिए गए थे, चौथा तंबू हटाने की प्रक्रिया में था’.

सुप्रीम कोर्ट में बिहार सरकार ने गोपालगंज के तत्कालीन जिलाधिकारी जी. कृष्णैया की हत्या मामले में दोषी ठहराए और आजीवन कारवास की सजा काटने वाले पूर्व सांसद आनंद मोहन सिंह की रिहाई का बचाव किया. आनंद मोहन को रिहा करने के अपने फैसले को सही ठहराते हुए बिहार सरकार ने कहा कि हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे किसी दोषी को सिर्फ इसलिए छूट से इनकार नहीं किया जा सकता, क्योंकि मारा गया पीड़ित एक लोक सेवक था.

मानवाधिकार संस्था एमनेस्टी इंटरनेशनल ने बुधवार (12 जुलाई) को कहा कि वह मणिपुर में जातीय हिंसा और ‘क्षेत्र में मानवाधिकारों की रक्षा करने में भारतीय अधिकारियों की अक्षमता’ से ‘चिंतित’ है. संगठन ने शांति की बहाली के लिए सरकार से सिविल सोसायटी समूहों और सभी जातीय समूहों के सदस्यों के साथ मिलकर काम करने का आग्रह किया. एमनेस्टी ने अपने बयान में कहा, ‘भारतीय अधिकरणों को सिविल सोसायटी समूहों और सभी जातीय समूहों के समुदाय के सदस्यों के साथ मिलकर सार्थक रूप से काम करना चाहिए, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि मानवाधिकारों के अनुरूप शांति और सुरक्षा बहाल हो. हिंसा के पीड़ितों को सच्चाई, जवाबदेही और न्याय का अधिकार है.’

दिल्ली हाईकोर्ट ने बताया कि ओडिशा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस एस. मुरलीधर के खिलाफ साल 2018 में एक ट्वीट करने के मामले में चेन्नई की एक तमिल समाचार पत्रिका के ‘तुगलक’ के संपादक और आरएसएस विचारक स्वामीनाथन गुरुमूर्ति ने ‘खेद’ जाहिर किया है. हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार, जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल और जस्टिस गौरांग कंठ की पीठ ने कहा कि अदालत ने उनकी माफी स्वीकार कर ली है और 2018 में दिल्ली हाईकोर्ट बार एसोसिएशन (डीएचसीबीए) द्वारा दायर अवमानना मामले में गुरुमूर्ति को बरी कर दिया है.