मणिपुर सरकार का यह फैसला क्वैरमबैंड इमा कीथल जॉइंट कोऑर्डिनेटिंग कमेटी फॉर पीस द्वारा सभी से ‘मदर्स प्रोटेस्ट’ रैली को सफल बनाने की अपील के बाद आया है. इसे देखते हुए राजधानी इंफाल शहर में भी सुरक्षा उपाय बढ़ा दिए गए हैं. राज्य में बीते 3 मई से जातीय हिंसा जारी है.
नई दिल्ली: हिंसाग्रस्त मणिपुर राज्य की सरकार ने बुधवार को एक रैली के मद्देनजर घाटी के पांच जिलों में सुबह 5 बजे से शाम 6 बजे तक दैनिक कर्फ्यू में छूट हटा दी है और पूर्ण कर्फ्यू लगा दिया है.
द टेलीग्राफ में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, सरकार का यह फैसला क्वैरमबैंड इमा कीथल जॉइंट कोऑर्डिनेटिंग कमेटी फॉर पीस द्वारा सभी से ‘मदर्स प्रोटेस्ट’ रैली को सफल बनाने की अपील के बाद आया है. यह कमेटी इंफाल शहर के मेन बाजार की महिलाओं का प्रतिनिधित्व करता है.
कमेटी की सह-संयोजक के. धनेशोरी ने हर इलाके की सभी माताओं से सुबह 11 बजे से दोपहर 1 बजे के बीच अपने घरों से बाहर आने और अलग प्रशासन को अस्वीकार करने, एनआरसी लागू करने और आपातकालीन विधानसभा सत्र बुलाने की मांग करते हुए नारे लगाने का आग्रह किया.
उन्होंने सभी से राज्य में जारी हिंसा के खिलाफ विरोध प्रदर्शन का समर्थन करने की भी अपील की.
इसे देखते हुए राजधानी इंफाल शहर में भी सुरक्षा उपाय बढ़ा दिए गए हैं.
इंफाल फ्री प्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि मणिपुर सरकार ने बुधवार (19 जुलाई) को कर्फ्यू में ढील हटा दी है और सभी घाटी और कुकी-बहुल पहाड़ी जिलों में पूर्ण कर्फ्यू लगा दिया गया है.
राज्य में कुकी-प्रभुत्व वाले पहाड़ी जिलों में कांगपोकपी और चुराचांदपुर जिले शामिल हैं, जबकि घाटी जिलों में इंफाल पूर्व, इंफाल पश्चिम, थौबल और बिष्णुपुर शामिल हैं.
मणिपुर: भीड़ ने आईपीएस अधिकारी पर हमला किया, 30 लोग गिरफ्तार
इस बीच मणिपुर के इंफाल पश्चिम जिले में सोमवार (17 जुलाई) की देर रात भीड़ ने एक भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) अधिकारी पर हमला किया और उनके काफिले के एक वाहन में आग लगा दी. पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े.
द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, मणिपुर पुलिस ने कहा कि 30 लोगों को गिरफ्तार किया गया है और अन्य संदिग्धों को पकड़ने के लिए छापेमारी जारी है.
पुलिस ने कहा कि 2005 बैच के आईपीएस अधिकारी पुलिस महानिरीक्षक कबीब के. और उनकी एस्कॉर्ट टीम का हिस्सा रहे एक अन्य पुलिसकर्मी पर भी हमला किया गया.
राज्य पुलिस ने एक ट्वीट में कहा कि वह कबीब के. आईपीएस आईजीपी (जेड-II) और उनके एस्कॉर्ट कर्मचारियों के खिलाफ कल क्वाकीथेल (इंफाल पश्चिम) में हुए कायरतापूर्ण हमले की निंदा करती है.
*Condemning the Attack on Manipur Police :*
The Manipur Police condemns the dastardly attack meted out against Shri Kabib K, IPS IGP (Z-II) and his escort personnel yesterday at Kwakeithel, Imphal West. It is hereby appealed to the public not to indulge in such
1/n
— Manipur Police (@manipur_police) July 18, 2023
इसमें कहा गया, ‘जनता से अपील की जाती है कि वे ऐसे असामाजिक कार्यों में शामिल न हों. यह बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. घटना के संबंध में 30 लोगों को गिरफ्तार किया गया है और उक्त घटना में शामिल अन्य लोगों को पकड़ने के लिए छापेमारी जारी है.’
आगे कहा गया, ‘पुलिस राज्य में सामान्य स्थिति लाने के लिए चौबीसों घंटे काम कर रही है, जनता से पुलिस अधिकारियों के साथ सहयोग की अपेक्षा की जाती है. जनता से यह भी अपील की जाती है कि सुरक्षा बलों को उनके आधिकारिक कर्तव्यों को पूरा करने में कोई बाधा नहीं आनी चाहिए.’
पुलिस ने कहा कि किसी भी प्रकार की गड़बड़ी और बाधा उत्पन्न होने पर सभी विधिसम्मत और वैधानिक कार्रवाई की जाएगी.
इंफाल फ्री प्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, मणिपुर पुलिस नियंत्रण कक्ष द्वारा जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि पिछले 24 घंटों के भीतर विभिन्न जिलों में कुल 123 चौकियां स्थापित की गईं, जिससे विभिन्न उल्लंघनों के लिए 438 व्यक्तियों को हिरासत में लिया गया.
विज्ञप्ति में स्वीकार किया गया कि गोलीबारी, आगजनी और अनियंत्रित भीड़ के जमावड़े की छिटपुट घटनाओं के साथ कुछ क्षेत्र तनावपूर्ण बने हुए हैं.
इसके अलावा जनता से आग्रह किया गया कि वे तुरंत लौट आएं और किसी भी हथियार, गोला-बारूद या विस्फोटक को पुलिस या सुरक्षा बलों को सौंप दें.
नगा महिला की हत्या के लिए मेईतेई समूहों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की मांग
यूनाइटेड नगा काउंसिल (यूएनसी) और कमेटी ऑन ट्राइबल यूनिटी (सीओटीयू) द्वारा अलग अलग किए गए हड़ताल के आह्वान के कारण बीते सोमवार (17 जुलाई) को हिंसाग्रस्त मणिपुर में जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया.
इसी दिन सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर हाईकोर्ट के इंटरनेट बहाल करने के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया, जिसके खिलाफ सरकार ने अदालत का रुख किया था.
मणिपुर हाईकोर्ट के एक आदेश के बाद राज्य में जातीय हिंसा पहली बार 3 मई को शुरू हुई थी. आदेश में राज्य सरकार से बहुसंख्यक मेईतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की प्रक्रिया पर गौर करने को कहा गया था.
इसके बाद पिछले दो महीने से उत्तर पूर्व का यह राज्य हिंसा की चपेट में हैं. इस दौरान 140 से अधिक लोगों की मौत हुई है और 50,000 से अधिक लोग विस्थापित हुए हैं.
द टेलीग्राफ ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया है कि सोमवार को मणिपुर में रहने वाली 20 नगा जनजातियों की शीर्ष संस्था यूनाइटेड नगा काउंसिल ने राज्य के नगा क्षेत्रों में सुबह 6 बजे से 12 घंटे के बंद का आह्वान किया था. बीते 15 जुलाई को इंफाल पूर्व में 55 वर्षीय नगा महिला की गोली मारकर हत्या के विरोध में यह बंद रखा गया था.
द वायर ने बीते 16 जुलाई को रिपोर्ट किया था कि इंफाल पूर्व में मानसिक बीमारी से पीड़ित नगा महिला लूसी मारिंग मृत पाई गई थीं. उन्हें गोली मार दी गई थी और उसका चेहरा विकृत कर दिया गया था. मणिपुर पुलिस के मुताबिक, घटना के सिलसिले में पांच महिलाओं समेत नौ लोगों को गिरफ्तार किया गया है.
नगा काउंसिल ने इस हत्या के लिए मेईतेई समूह अरामबाई तेंग्गोल और महिला कार्यकर्ताओं को जिम्मेदार ठहराया है.
इस दौरान, कमेटी ऑन ट्राइबल यूनिटी ने मेईतेई द्वारा कुकी-ज़ो लोगों पर कथित हमलों के विरोध में रविवार (16 जुलाई) आधी रात से कांगपोकपी में 72 घंटे के बंद का आह्वान किया. चिकित्सा सेवाओं को बंद से मुक्त रखा गया था.
टेलीग्राफ की रिपोर्ट के अनुसार, इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम ने कुकी-ज़ो लोगों के लिए एक अलग प्रशासन की मांग का समर्थन करते हुए 20 जुलाई को चार पहाड़ी जिलों चुराचांदपुर, फेरज़ावल, कांगपोकपी और तेंगनौपाल में एक रैली की भी घोषणा की है.