जम्मू कश्मीर: हिरासत केंद्र में रोहिंग्या शरणार्थियों ने प्रदर्शन कर तत्काल रिहाई की मांग की

जम्मू कश्मीर के हीरानगर उप-जेल हिरासत केंद्र में महिलाओं और बच्चों समेत लगभग 270 रोहिंग्या शरणार्थी दो साल से अधिक समय से बंद हैं. वे लगातार हिरासत में रखे जाने के ख़िलाफ़ अक्सर विरोध प्रदर्शन करते रहे हैं. मई में भी शरणार्थियों ने विरोध प्रदर्शन किया था और दो मौकों पर खाना खाने से इनकार कर दिया था.

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(प्रतीकात्मक फोटो साभार: Flickr/CC BY-NC-ND 2.0)

जम्मू कश्मीर के हीरानगर उप-जेल हिरासत केंद्र में महिलाओं और बच्चों समेत लगभग 270 रोहिंग्या शरणार्थी दो साल से अधिक समय से बंद हैं. वे लगातार हिरासत में रखे जाने के ख़िलाफ़ अक्सर विरोध प्रदर्शन करते रहे हैं. मई में भी शरणार्थियों ने विरोध प्रदर्शन किया था और दो मौकों पर खाना खाने से इनकार कर दिया था.

(प्रतीकात्मक फोटो साभार: Flickr/CC BY-NC-ND 2.0)

श्रीनगर: मंगलवार (18 जुलाई) सुबह जम्मू कश्मीर के एकमात्र हिरासत केंद्र के अंदर झड़पें हुईं, जब जेल में बंद रोहिंग्या शरणार्थियों ने अपनी रिहाई या म्यांमार वापस भेजने की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन किया.

महिलाओं और बच्चों समेत लगभग 270 रोहिंग्या शरणार्थी दो साल से अधिक समय से हिरासत केंद्र में बंद हैं और लगातार हिरासत में रखे जाने के खिलाफ अक्सर विरोध प्रदर्शन करते रहे हैं.

मार्च 2020 में होल्डिंग सेंटर (हिरासत केंद्र) के रूप में अधिसूचित की गई हीरानगर उप-जेल में परेशानी तब खड़ी हो गई, जब रोहिंग्या शरणार्थियों ने अपनी रिहाई की मांग करते हुए जेल से बाहर निकलने की कोशिश की.

कठुआ जिला जेल के अधीक्षक और होल्डिंग सेंटर प्रभारी कौशल कुमार ने द वायर को बताया, ‘उन्होंने गेट तोड़कर बाहर आने की कोशिश की, लेकिन हमने गेट बंद कर दिया.’

उन्होंने बताया कि इस घटना में कुछ लोगों को मामूली चोटें भी आईं.

उन्होंने रोहिंग्याओं द्वारा जेल अधिकारियों पर पथराव की जानकारी देते हुए कहा, ‘मैं आपको घायल हुए लोगों की सही संख्या नहीं बता सकता. खुद मेरी नाक पर एक पत्थर लगा है.’

कौशल ने कहा कि वे म्यांमार में अपनी वापसी की मांग को लेकर हिरासत केंद्र में अक्सर विरोध प्रदर्शन करते रहे हैं. उन्होंने कहा, ‘हमने उनका अभ्यावेदन उच्च अधिकारियों को सौंप दिया है.’

घटना के कुछ वीडियो कुछ वॉट्सऐप ग्रुपों में भी साझा किए गए हैं. ऐसे ही एक वीडियो में एक शख्स को ये कहते हुए सुना जा सकता है कि उन पर आंसू गैस के गोले छोड़े गए.

व्यक्ति को यह कहते हुए सुना जा सकता है, ‘हमने पिछले 27 दिनों से कुछ नहीं खाया है. उन्होंने हम पर आंसू गैस के गोले दागे. कोई हमारी बात सुनने या देखने नहीं आया. उन्होंने महिलाओं और बच्चों को भी पीटा.’

ऐसे ही एक अन्य वीडियो में एक युवक को जमीन पर लेटे हुए देखा जा सकता है, जबकि पुरुष और महिलाएं संभवतः हिरासत केंद्र के प्रवेश द्वार से लौट रहे हैं.

हालांकि, द वायर स्वतंत्र रूप से इन वीडियो क्लिप की प्रामाणिकता की पुष्टि करने में सक्षम नहीं है.

अधिकारियों के अनुसार, घटना के बाद पुलिस बल को हिरासत केंद्र भेजा गया.

इस साल मई में भी शरणार्थियों ने विरोध प्रदर्शन किया था और दो मौकों पर खाना खाने से इनकार कर दिया था. उन्होंने मांग की थी कि या तो उन्हें म्यांमार निर्वासित किया जाए या रिहा कर दिया जाए.

नागरिक प्रशासन और जेल विभाग के अधिकारी तब शरणार्थियों के पास पहुंचे और उन्हें आश्वासन दिया कि वे उनकी मांग वरिष्ठ अधिकारियों के सामने उठाएंगे.

ताजा घटना ने जम्मू के विभिन्न हिस्सों में रहने वाले रोहिंग्या परिवारों को हिरासत केंद्र में बंद अपने रिश्तेदारों की सलामती को लेकर चिंतित कर दिया है.

जम्मू में रहने वाले रोहिंग्या शरणार्थी अताउल्लाह (बदला हुआ नाम) ने कहा, ‘मैं कठुआ जेल जाना चाहता हूं, लेकिन मुझे डर लग रहा है. मेरी बहन और जीजा पिछले दो साल से वहां हैं. जब से मुझे पता चला है कि हिरासत केंद्र में आंसू गैस के गोले छोड़े गए, मुझे उनकी चिंता सता रही है.’

उन्होंने कहा कि उन्हें यहां म्यांमार से भी बदतर व्यवहार का सामना करना पड़ रहा है.

वह बोले, ‘हमारा दोष और अपराध क्या है? अधिकारियों को हमें बताना चाहिए कि हमने क्या गलत किया है या हमने कौन सा कानून तोड़ा है. हम अपनी जान बचाने के लिए यहां आए थे, लेकिन हमने कभी नहीं सोचा था कि हमें यह सब सहना पड़ेगा.’

संपर्क करने पर हीरा नगर पुलिस थाने के स्टेशन हाउस अधिकारी अमित सांगरा ने कहा कि उन्होंने घटना में एफआईआर दर्ज कर ली गई है.

रोहिंग्याओं की हिरासत और दक्षिणपंथी अभियान

मार्च 2021 में जम्मू कश्मीर के अधिकरणों ने जम्मू क्षेत्र में रहने वाले 150 से अधिक रोहिंग्या शरणार्थियों को हिरासत में ले लिया था. यह कार्रवाई हाईकोर्ट द्वारा अधिकारियों से यह पूछे जाने के बाद की गई थी कि ‘अवैध अप्रवासियों’ की पहचान करने और उन पर कार्रवाई करने के लिए क्या उपाय किए जा रहे हैं.

अदालत ने भारतीय जनता पार्टी से जुड़े हुनर गुप्ता द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया था.

2017 में गुप्ता ने म्यांमार और बांग्लादेश के सभी ‘अवैध अप्रवासियों’ को जम्मू कश्मीर से किसी अन्य स्थान पर स्थानांतरित करने के लिए राज्य सरकार को निर्देश देने की मांग करते हुए अदालत का दरवाजा खटखटाया था.

उनकी याचिका में जम्मू कश्मीर में रहने वाले म्यांमार और बांग्लादेश के सभी ‘अवैध प्रवासियों’ की पहचान करने के लिए एक पूर्व सेवानिवृत्त न्यायाधीश को जांच करने के लिए आवश्यक निर्देश देने की भी मांग की गई थी.

बता दें कि जम्मू में दक्षिणपंथी गुट रोहिंग्याओं को शहर से बाहर करने के लिए अभियान चला रहे हैं.

रोहिंग्या कौन हैं?

रोहिंग्या एक मुस्लिम जातीय अल्पसंख्यक समूह है, जो सदियों से बौद्ध बहुल देश म्यांमार, जिसे पहले बर्मा के नाम से जाना जाता था – में रहते हैं.

रोहिंग्याओं को म्यांमार में दशकों तक हिंसा, भेदभाव और उत्पीड़न का सामना करना पड़ा है और 1982 से उन्हें नागरिकता से वंचित कर दिया गया है.

म्यांमार में उत्पीड़न से बचने के लिए हजारों रोहिंग्या विभिन्न देशों में भाग गए हैं. 2012 से 2017 के बीच आए लगभग 6,000-7,000 रोहिंग्या जम्मू में रह रहे हैं.

लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं, इस रिपोर्ट को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.

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