मणिपुर: भीड़ द्वारा महिलाओं को नग्न घुमाने का वीडियो सामने आया, एक के साथ सामूहिक बलात्कार

मणिपुर में हिंसा से संबंधित एक वीडियो सामने आया है, जिसमें भीड़ द्वारा कुकी समुदाय की दो आदिवासी महिलाओं को नग्न घुमाया जा रहा है. घटना ​3 मई को हिंसा भड़कने के अगले दिन हुई. भीड़ ने पुलिस हिरासत से इन महिलाओं और कुछ ​पुरुषों को क़ब्ज़े में लेकर इस ख़ौफ़नाक घटना को अंजाम दिया था. दो पुरुषों की हत्या कर दी गई थी, जबकि एक महिला से बलात्कार किया गया था.

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मणिपुर में महिलाओं को नग्न घुमाने की घटना का वीडियो स्क्रीनग्रैब.

मणिपुर में हिंसा से संबंधित एक वीडियो सामने आया है, जिसमें भीड़ द्वारा कुकी समुदाय की दो आदिवासी महिलाओं को नग्न घुमाया जा रहा है. घटना ​3 मई को हिंसा भड़कने के अगले दिन हुई. भीड़ ने पुलिस हिरासत से इन महिलाओं और कुछ ​पुरुषों को क़ब्ज़े में लेकर इस ख़ौफ़नाक घटना को अंजाम दिया था. दो पुरुषों की हत्या कर दी गई थी, जबकि एक महिला से बलात्कार किया गया था.

मणिपुर में महिलाओं को नग्न घुमाने की घटना का वीडियो स्क्रीनग्रैब.

नई दिल्ली: सोशल मीडिया पर एक वीडियो प्रसारित हो रहा है, जिसमें भीड़ द्वारा कुकी समुदाय की दो महिलाओं को नग्न अवस्था में घुमाया जा रहा है. द वायर ने इस बात की पुष्टि की है कि यह वीडियो मणिपुर में बीते 3 मई को शुरू हुई जातीय हिंसा के एक दिन बाद का है.

घटना बीते 4 मई को थौबल जिले के एक गांव में हुई. घटना के संबंध में दर्ज की गई एफआईआर में कहा गया है कि एक महिला के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया था.

वीडियो में तमाम पुरुष, जो जाहिर तौर पर मेइतेई समुदाय के बताए जा रहे हैं, दो महिलाओं के साथ चलते हुए दिखाई दे रहे हैं. इनमें से कुछ पुरुषों को नग्न महिलाओं को छूते हुए देखा जा सकता है.

बीते 18 मई को कांगपोकपी जिले में सैकुल पुलिस द्वारा इस संबंध में ज़ीरो एफआईआर दर्ज की गई थी. द वायर को पता चला है कि इसे नोंगपोक सेकमाई (थौबल) पुलिस स्टेशन को भेज दिया गया था.

जहां एक एफआईआर आमतौर पर किसी विशेष क्षेत्राधिकार तक सीमित होती है, वही ज़ीरो एफआईआर किसी भी पुलिस स्टेशन में दर्ज की जा सकती है. ज़ीरो एफआईआर दर्ज करने के बाद पुलिस स्टेशन इसे संबंधित अधिकार क्षेत्र में स्थानांतरित कर देता है. बाद में इसे नियमित एफआईआर में बदल दिया जाता है.

जीरो एफआईआर में ‘800-1,000’ की संख्या में ‘अज्ञात बदमाशों’ के खिलाफ बलात्कार और हत्या का आरोप है. घटना के खिलाफ दायर की गई शिकायत में दावा किया गया है कि इन लोगों पर ‘मेईतेई युवा संगठन, मेईतेई लीपुन, कांगलेइपाक कनबा लुप, अरमबाई तेंग्गोल और विश्व मेईतेई परिषद, शेड्यूल ट्राइब डिमांड कमेटी के सदस्य’ होने का संदेह है.

भीड़ पर बी फैनोम गांव में घरों को जलाने और भाग रहे पांच लोगों के एक समूह पर हमला करने का आरोप है. इस समूह में दो पुरुष और तीन महिलाएं थीं.

शिकायत के अनुसार, समूह को तौबुल (सेकमई खुनौ) के पास नोंगपोक सेकमाई पुलिस स्टेशन की एक पुलिस टीम की ‘हिरासत से जबरन पकड़कर ले जाया गया था’. यह जगह पुलिस स्टेशन से 2 किमी. और 33 एआर सोमरेई पोस्ट से तीन किमी. की दूरी पर स्थित है.

इसमें से एक व्यक्ति को भीड़ ने तुरंत मार डाला था, जिसके बाद सभी महिलाओं को कपड़े उतारने के लिए मजबूर किया गया. 20 साल की एक महिला के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया और अन्य दो महिलाएं भाग गईं. जिस महिला के साथ बलात्कार किया गया, उनके भाई की इस कृत्य को रोकने की कोशिश के बाद उनकी भी हत्या कर दी गई.

मणिपुर पुलिस ने कहा कि वह घटना में शामिल अपराधियों को गिरफ्तार करने के लिए ‘पूरा प्रयास’ कर रही है- पुलिस ने बताया कि घटना के संबंध में अपहरण, सामूहिक बलात्कार और हत्या का मामला दर्ज किया गया है.

इस बीच बृहस्पतिवार (20 जुलाई) को मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने ट्वीट किया कि इस संबंध में एक व्यक्ति को गिरफ्तार कर लिया गया है.

उन्होंने कहा, ‘मेरी संवेदनाएं उन दो महिलाओं के प्रति हैं, जिनके साथ बेहद अपमानजनक और अमानवीय कृत्य किया गया. घटना से संबंधित वीडियो सामने आने के तुरंत बाद स्वत: संज्ञान लेते हुए मणिपुर पुलिस हरकत में आई और आज सुबह पहली गिरफ्तारी की गई.’

उन्होंने कहा, ‘फिलहाल गहन जांच चल रही है और हम यह सुनिश्चित करेंगे कि सभी अपराधियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए, जिसमें मृत्युदंड की संभावना पर भी विचार किया जाए. बता दें कि हमारे समाज में ऐसे घिनौने कृत्यों के लिए बिल्कुल भी जगह नहीं है.’

इससे पहले बुधवार (19 जुलाई) की देर रात केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने इस संबंध में एक ट्वीट किया. इस पर विपक्षी नेताओं और टिप्पणीकारों ने तुरंत सवाल उठाया कि घटना के बारे में केंद्रीय मंत्री की जानकारी में दो महीने का अंतर क्यों है.

आदिवासी समूहों की एकीकृत संस्था इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम (आईटीएलएफ) ने कहा, ‘इन निर्दोष महिलाओं द्वारा झेली गई भयावह यातना अपराधियों के घटना से संबंधित वीडियो को साझा करने के फैसले से और बढ़ गई है, जो सर्वाइवर्स की पहचान को जाहिर करता है.’

संगठन ने इस घृणित कृत्य की कड़ी निंदा की और मांग की है कि राष्ट्रीय महिला आयोग जैसे वैधानिक निकायों के अलावा केंद्र और राज्य सरकारों को अपराध का संज्ञान लेना चाहिए और दोषियों को न्याय दिलाने के लिए सभी आवश्यक उपाय करने चाहिए.

मणिपुर में ‘ग्रुप ऑफ नगा राइट्स’ ने एक बयान में कहा है कि वह ‘अनियंत्रित मेईतेई भीड़ के शैतानी कृत्य से स्तब्ध है’.

उल्लेखनीय है कि बीते 3 मई से कुकी और मेईतेई समुदायों के बीच भड़की जातीय हिंसा में अब तक 140 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं और हजारों लोग घायल हुए हैं. लगभग 50,000 लोग विस्थापित हुए हैं.

मणिपुर में अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मेईतेई समुदाय की मांग के विरोध में बीते 3 मई को पर्वतीय जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद झड़पें हुई थीं, हिंसा में बदल गई और यह पिछले ढाई महीने से लगातार जारी है.

मणिपुर की 53 प्रतिशत आबादी मेईतेई समुदाय की है और ये मुख्य रूप से इंफाल घाटी में रहते हैं. आदिवासियों- नगा और कुकी की आबादी 40 प्रतिशत है और ये पर्वतीय जिलों में रहते हैं.

कुकी समूहों ने जहां मणिपुर की भाजपा सरकार के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह पर हिंसा भड़काने का आरोप लगाया है, वहीं विपक्षी दल हिंसा को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुप्पी की आलोचना करते रहे हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने घटना का संज्ञान लिया

इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर में हुई इस घटना का स्वत: संज्ञान लिया है. भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि ऐसी घटना अस्वीकार्य है.

लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, शीर्ष अदालत ने मणिपुर सरकार से अपराधियों को कानून के दायरे में लाने के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी देने को कहा है.

सीजेआई ने कहा, ‘अदालत मणिपुर में महिलाओं के साथ यौन हिंसा के अपराध पर कल (बुधवार) सामने आए वीडियो से बहुत परेशान है. हमारा विचार है कि अदालत को अपराधियों को जवाबदेह ठहराने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों से अवगत कराया जाना चाहिए और ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति नहीं होनी चाहिए.’

उन्होंने कहा, ‘मीडिया में दिखाए गए दृश्य घोर संवैधानिक उल्लंघन को दर्शाते हैं. तनावपूर्ण माहौल में हिंसा को अंजाम देने के लिए महिलाओं को एक उपकरण के रूप में इस्तेमाल करना पूरी तरह से अस्वीकार्य है.’

राजनीतिक दलों ने भाजपा और प्रधानमंत्री मोदी की आलोचना की

इस खौफनाक घटना के सामने आने के बाद विपक्षी दलों ने सीधे तौर पर केंद्र सरकार की ‘निष्क्रियता’ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘चुप्पी’ को जिम्मेदार ठहराया है.

आम आदमी पार्टी ने कहा, ‘मणिपुर और केंद्र सरकार की निष्क्रियता देश के सभी नागरिकों के लिए दुखद है. हम फिर से प्रधानमंत्री से मणिपुर में हस्तक्षेप का अनुरोध करते हैं. समस्या की ओर से आंखें मूंद लेने से समस्या दूर नहीं होगी. आम आदमी पार्टी केंद्र सरकार द्वारा उचित समझे जाने वाले किसी भी तरीके से सहायता करने के लिए तैयार और इच्छुक है.’

पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा, ‘मणिपुर की वारदात बेहद शर्मनाक और निंदनीय है. भारतीय समाज में इस तरह की घिनौनी हरकत बर्दाश्त नहीं की जा सकती. मणिपुर के हालात बेहद चिंताजनक बनते जा रहे हैं. मैं प्रधानमंत्री जी से अपील करता हूं कि वे मणिपुर के हालात पर ध्यान दें. इस वारदात के वीडियो में दिख रहे दोषियों पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई करें. भारत में ऐसे आपराधिक प्रवृत्ति के लोगों के लिए कोई जगह नहीं होनी चाहिए.’

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार ने कहा, ‘मणिपुर से परेशान करने वाले दृश्य, विशेष रूप से महिलाओं के खिलाफ अत्याचार, देखना दुखद है. यह घृणित है. यह एकजुट होने, अपनी आवाज उठाने और मणिपुर के लोगों के लिए न्याय की मांग करने का समय है. मणिपुर में शांति बहाल करने के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय समेत गृह विभाग को तत्काल आवश्यक कार्रवाई करने की जरूरत है.’

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि मोदी की ‘चुप्पी और निष्क्रियता’ ने ‘मणिपुर को अराजकता’ में पहुंचा दिया है. उन्होंने कहा, ‘प्रधानमंत्री की चुप्पी और निष्क्रियता ने मणिपुर को अराजकता की ओर धकेल दिया है. जब मणिपुर में भारत के विचार पर हमला किया जा रहा है तो भारत चुप नहीं रहेगा. हम मणिपुर के लोगों के साथ खड़े हैं. शांति ही आगे बढ़ने का एकमात्र रास्ता है.’

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री और डीएमके प्रमुख एमके स्टालिन ने कहा, ‘मणिपुर में महिलाओं पर हुई पीड़ादायक हिंसा से अत्यंत दुखी और स्तब्ध हूं. हमारी सामूहिक चेतना कहां है? नफरत और जहर मानवता की आत्मा को ख़त्म कर रहे हैं. हमें ऐसे अत्याचारों के खिलाफ एकजुट होना चाहिए और सहानुभूति और सम्मान वाले समाज को बढ़ावा देने की दिशा में काम करना चाहिए. केंद्र सरकार को मणिपुर में शांति बहाल करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाने चाहिए.’

त्रिपुरा की तिप्रा मोथा पार्टी के प्रमुख प्रद्योत माणिक्य देब बर्मा ने ट्वीट किया कि ‘परेशान करने वाला’ वीडियो दिखाता है कि वहां दोनों समुदायों के बीच संबंध पूरी तरह से टूट गए हैं.’ उन्होंने कहा, ‘मणिपुर में नफरत की जीत हुई है.’

उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा, ‘मणिपुर के हालात के लिए आरएसएस की नफरत की नीति और भाजपा की वोट की राजनीति जिम्मेदार है. बहन-बेटियों के परिवारवाले अब तो भाजपा की ओर देखने तक से पहले एक बार ज़रूर सोचेंगे.’

टीएमसी नेता महुआ मोइत्रा ने कहा, ‘मणिपुर में गृहयुद्ध जारी है. हम युद्ध अपराध देख रहे हैं. हमारे देश में यही हो रहा है. यह क्या है भाजपा? भाजपा ने भारत को इस हद तक छोटा कर दिया है.’

मणिपुर निवासी पत्रकार होइहनु हौज़ेल ने ट्वीट किया, ‘4 मई को मणिपुर की दो आदिवासी महिलाओं की गरिमा को तार-तार कर दिया गया. उन्हें सार्वजनिक तौर पर नग्न घुमाया और पीटा गया. एक अपराधी द्वारा लिया गया एक परेशान करने वाला वीडियो आज वायरल हो गया. यह अमानवीय है.’

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