अयोध्या में 18वीं सदी की मस्जिद की एक मीनार ढहाने का नोटिस, मामला हाईकोर्ट पहुंचा

अयोध्या में ‘राम पथ’ नामक सड़क को छह लेन का बनाया जा रहा है. शहर के गुदड़ी बाज़ार स्थित मस्जिद खजूर वाली की एक मीनार सड़क के प्रस्तावित चौड़ीकरण के रास्ते में आ रही है. लोक निर्माण विभाग ने मस्जिद समिति को मीनार हटाने का नोटिस दिया है, जिसे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है.

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अयोध्या में स्थित मस्जिद खजूर वाली. (फोटो साभार: ट्विटर/@asadowaisi)

अयोध्या में ‘राम पथ’ नामक सड़क को छह लेन का बनाया जा रहा है. शहर के गुदड़ी बाज़ार स्थित मस्जिद खजूर वाली की एक मीनार सड़क के प्रस्तावित चौड़ीकरण के रास्ते में आ रही है. लोक निर्माण विभाग ने मस्जिद समिति को मीनार हटाने का नोटिस दिया है, जिसे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है.

अयोध्या में स्थित मस्जिद खजूर वाली. (फोटो साभार: ट्विटर/@asadowaisi)

नई दिल्ली: अयोध्या में 18वीं सदी की शिया समुदाय की मस्जिद की एक मीनार को उत्तर प्रदेश लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) द्वारा ढहाने की कार्यवाही का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि यह शहर में मुख्य सड़क के छह-लेन चौड़ीकरण के रास्ते में आ रही है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, सरकारी अधिकारियों ने कहा कि शहर के गुदड़ी बाजार में स्थित मस्जिद खजूर वाली की एक मीनार सड़क के प्रस्तावित चौड़ीकरण के रास्ते में आ रही है. इसका लगभग 3 मीटर हिस्सा प्रस्तावित ‘राम पथ’ सड़क पर आ रहा है, जो लखनऊ-अयोध्या राजमार्ग पर शहादतगंज क्षेत्र को अयोध्या नगरी में नया घाट से जोड़ता है.

उन्होंने कहा कि मस्जिद को बरकरार रखने के लिए एक बीम बनाने और फिर मीनार को हटाने के लिए मस्जिद प्रबंधन से जुड़े लोगों को समय दिया गया है.

इस बीच, मस्जिद समिति ने विध्वंस नोटिस के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर की है. याचिका पर पहली बार 3 मार्च को सुनवाई हुई थी, तब अदालत ने शिया वक्फ बोर्ड, अयोध्या जिला मजिस्ट्रेट और पीडब्ल्यूडी से जवाब मांगा था. इसके बाद अदालत ने इस मामले की अगली सुनवाई 21 अप्रैल तय की थी.

मस्जिद समिति की कानूनी टीम के सदस्य वकील इंतेज़ार हुसैन ने कहा कि सभी पक्षों के जवाब अदालत में दायर किए गए हैं.

उन्होंने कहा, ‘याचिका में हमने अदालत को बताया कि मस्जिद एक ऐतिहासिक संरचना है और शिया समुदाय का प्रतीक है. हमने अदालत से संबंधित अधिकारियों को मीनार को न गिराने का निर्देश देने का अनुरोध किया है. मामला आखिरी बार 3 मार्च को उठाया गया था, जिसके बाद समय की कमी के कारण इसकी सुनवाई नहीं हुई. हम जल्द ही अदालत से तारीख की मांग करेंगे.’

मस्जिद के कार्यवाहक परवेज हुसैन ने गुरुवार (20 जुलाई) को कहा कि प्रशासन मस्जिद के एक हिस्से को ध्वस्त करने के लिए मस्जिद प्रबंधन पर दबाव डाल रहा है, जो यूपी शिया वक्फ बोर्ड के साथ पंजीकृत है.

हुसैन ने कहा, ‘प्रशासन हमें बार-बार उस मीनार को ध्वस्त करने के लिए कह रहा है, जो सर्वेक्षण के दौरान राम पथ के रास्ते में पाई गई थी. लगभग एक साल पहले उन्होंने कहा था कि मीनार को हटाना होगा.’

मस्जिद समिति के अधिकारियों के अनुसार, मस्जिद का निर्माण 1750 में नवाब मेहदी हसन खान द्वारा किया गया था. हुसैन ने कहा, ‘पिछले साल दिसंबर में हमने शीर्ष अधिकारियों को लिखा था, लेकिन कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली.’

उन्होंने कहा कि मस्जिद में शिया समुदाय के सदस्यों के द्वारा दिन में पांच बार नमाज अदा की जाती है.

हुसैन ने कहा, ‘कुछ दुकानें जो कॉम्प्लेक्स का हिस्सा थीं, हटा दी गईं और हमने उनके लिए मुआवजा स्वीकार कर लिया. लेकिन चूंकि मस्जिद एक पुरानी संरचना है और शिया समुदाय के लिए इसका महत्व है, इसलिए हम नहीं चाहते कि इसका हिस्सा गिराया जाए.’

पिछले साल दिसंबर में अयोध्या डिविजनल कमिश्नर को लिखे पत्र में मस्जिद समिति ने कहा था कि मस्जिद के उत्तर में कुछ नजूल (सरकारी) जमीन है, जिसका इस्तेमाल सड़क चौड़ीकरण के लिए किया जा सकता है, ताकि मीनार को ढहाने से बचाया जा सके.

यूपी शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष अली जैदी ने पुष्टि की कि मस्जिद बोर्ड के साथ पंजीकृत है. उन्होंने कहा, ‘यह मामला काफी समय से चल रहा है. मस्जिद समिति ने अदालत का दरवाजा खटखटाया है. हमने जिला प्रशासन से भी बातचीत की है.’