प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा गिरते लिंगानुपात को रोकने के लिए 2015 में ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ कार्यक्रम शुरू करने के बाद हरियाणा के लिंगनुपात में लगातार सुधार देखा गया था, लेकिन 2022 की तुलना में इस साल जनवरी और मई के बीच जन्म के समय लिंगानुपात में 11 अंक की गिरावट दर्ज की गई है.
नई दिल्ली: कन्या भ्रूण हत्या को रोकने के लिए शुरू की गई हरियाणा सरकार के कार्यक्रम को एक बड़ा झटका लगा है, क्योंकि 2022 की तुलना में इस साल जनवरी और मई के बीच जन्म के समय लिंग अनुपात (एसआरबी) में 11 अंक की गिरावट दर्ज की गई है.
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, यह हरियाणा में 2016 के बाद दर्ज किया गया सबसे कम अर्धवार्षिक एसआरबी है.
नागरिक पंजीकरण प्रणाली के आंकड़ों के अनुसार, 2022 के अंत में हरियाणा का जन्म के समय लिंगानुपात 917 था, इस साल जून में गिरकर 906 हो गया. जिलेवार विश्लेषण में राज्य के 22 जिलों में से 13 में पिछले छह महीनों में जन्म के समय लिंगानुपात में गिरावट दर्ज की गई, जबकि आठ में सुधार देखा गया.
द ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार, चरखी दादरी में इस साल जन्म के समय लिंगानुपात 868 था, यहां 65 अंकों की सबसे अधिक गिरावट दर्ज की गई. दिसंबर 2022 में यह 933 थी. इसके बाद रोहतक में जन्म के समय लिंगानुपात में 60, गुड़गांव में 45 और कैथल में 32 अंकों की गिरावट देखने को मिली.
खराब प्रदर्शन करने वाले अन्य जिलों में- करनाल (874), मेवात (910), फतेहाबाद (926), पंचकुला (914), नारनौल (888), भिवानी (897), सोनीपत (885), पलवल (909) और अंबाला (922) शामिल हैं.
दूसरी ओर पिछले छह महीनों में जन्म के समय लिंगानुपात के मामले में रेवाड़ी (923) में 40 अंकों का सुधार दर्ज किया गया, इसके बाद कुरुक्षेत्र (928) में 35, झज्जर (919) में 26, जिंद (961) में 19, फरीदाबाद (904) में 12, यमुनानगर (933) में 10, पानीपत (932) में 8 और हिसार (908) में 4 अंकों का सुधार हुआ.
रोहतक के सिविल सर्जन डॉ. अनिल बिड़ला ने ट्रिब्यून को बताया कि जन्म पंजीकरण में देरी गिरावट के पीछे मुख्य कारणों में से एक है.
द प्रिंट की रिपोर्ट के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा गिरते लिंगानुपात को रोकने के लिए 2015 में ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ कार्यक्रम शुरू करने के बाद हरियाणा के जन्म के समय लिंगानुपात में लगातार सुधार देखा गया था, लेकिन 2020 तक फिर से गिरावट शुरू हो गई.
हरियाणा के ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ कार्यक्रम के संयोजक गिरधारी लाल सिंघल ने कहा, ‘जब हमने सात साल पहले छापेमारी शुरू की थी, तो लिंग का पता लगाने का काम निश्चित (सोनोग्राफी) मशीनों के माध्यम से किया जाता था. अब यह भूमिगत हो गया है.’
उन्होंने कहा कि लिंग परीक्षण खेतों में, गांवों में अलग-थलग स्थानों पर या किसी रिश्तेदार के घर पर किए जाते हैं, लेकिन क्लीनिकों में कभी नहीं.
रिपोर्ट में कहा गया है कि हरियाणा प्रशासन तेजी से ‘गर्भवती होने की एक्टिंग करनी वाली’ (Decoys) या गर्भवती महिलाओं पर भरोसा कर रहा है जो अधिकारियों को अनौपचारिक सेटिंग में लिंग जांच करने वालों को पकड़ने में मदद करते हैं.
हालांकि, कई गर्भवती महिलाएं इसमें शामिल होने के लिए अनिच्छुक हैं, भले ही राज्य सरकार ने 2015 में ‘गर्भवती होने की एक्टिंग करनी वाली महिलाओं’ को प्रोत्साहित करना शुरू कर दिया था. उन्हें प्रति ऑपरेशन 25,000 रुपये का भुगतान किया जाता है, जबकि कानून तोड़ने वाले डॉक्टरों, नर्सों और बिचौलियों के बारे में सही जानकारी के लिए मुखबिरों को 1 लाख रुपये मिलते हैं.
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