मणिपुर: वायरल वीडियो की घटना वाले दिन ही दो और महिलाओं की बलात्कार के बाद हत्या हुई थी

मणिपुर के बी फैनोम गांव में जिस दिन कुकी महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाए जाने का शर्मनाक कृत्य हुआ, उसी दिन इंफाल में दो कुकी महिलाओं के साथ घर में घुसकर बलात्कार किया गया और फिर हत्या कर दी गई. इस मामले में भी ज़ीरो एफआईआर दर्ज हुई थी, लेकिन उसे महीनेभर बाद संबंधित थाने में भेजा गया.

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मणिपुर में महिलाओं के साथ हुई ज़्यादती के विरोध में दिल्ली में हुआ एक प्रदर्शन. (फोटो साभार: फेसबुक/@dipankarcpiml)

मणिपुर के बी फैनोम गांव में जिस दिन कुकी महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाए जाने का शर्मनाक कृत्य हुआ, उसी दिन इंफाल में दो कुकी महिलाओं के साथ घर में घुसकर बलात्कार किया गया और फिर हत्या कर दी गई. इस मामले में भी ज़ीरो एफआईआर दर्ज हुई थी, लेकिन उसे महीनेभर बाद संबंधित थाने में भेजा गया.

मणिपुर में महिलाओं के साथ हुई ज़्यादती के विरोध में दिल्ली में हुआ एक प्रदर्शन. (फोटो साभार: फेसबुक/@dipankarcpiml)

नई दिल्ली: मणिपुर के बी फैनोम गांव में 4 मई को भीड़ द्वारा तीन महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाने और उनमें से एक के साथ कथित तौर पर सामूहिक बलात्कार करने के घंटे भर बाद ही राज्य की राजधानी इंफाल में भीड़ द्वारा दो और महिलाओं के साथ कथित तौर पर बलात्कार किया गया और उनकी हत्या कर दी गई.

हिंदुस्तान टाइम्स ने इस घटना के संबंध में दर्ज की गई एफआईआर देखे जाने का दावा करते हुए यह जानकारी दी है. इस घटना को लेकर एक ‘जीरो एफआईआर’ कांग्पोकपी जिले के सैकुल थाने में 16 मई को दर्ज करवाई गई थी. इस मामले में भी दोनों महिलाएं कुकी समुदाय और आरोपी मेईतेई समुदाय के थे.

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, इस मामले में भी एफआईआर को इंफाल पूर्व जिले के संबंधित पुलिस स्टेशन में स्थानांतरित करने में महीने भर का समय लग गया. यह 13 जून को पोरोमपट पुलिस थाने में स्थानांतरित की गई.

ज्ञात हो कि कि वायरल वीडियो की पीड़ित महिलाओं के मामले से संबंधित एफआईआर भी महीने भर से अधिक समय बाद संबंधित थाने में स्थानांतरित की गई थी.

जीरो एफआईआर किसी भी पुलिस थाने में दर्ज की जा सकती है, भले ही अपराध उसके अधिकारक्षेत्र में हुआ हो या नहीं. मणिपुर में, हिंसा के दौरान ऐसी कई एफआईआर दर्ज की गईं हैं क्योंकि परिवार या तो विस्थापित हो गए या उनके परिजन घर से दूर कहीं घायल हुए या मारे गए.

मामले की जानकारी रखने वाले पुलिस अधिकारियों के मुताबिक, इस मामले में अब तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है.

पीड़ितों के पिता द्वारा दर्ज कराई गई एफआईआर में बताया गया है कि दोनों महिलाएं बहनें थीं और शहर में एक कारवॉश में देखभाल का काम करती थीं.

एफआईआर में कहा गया है कि 21 और 24 वर्षीय महिलाएं किराए के घर में थीं, जब एक भीड़ उनके कमरे में घुस गई और उन्हें मारने से पहले उनके साथ बलात्कार किया.

हिंदुस्तान टाइम्स से बात करते हुए दोनों महिलाओं के पिता ने कहा, ‘हम कुकी हैं. मेरी बड़ी बेटी की एक मेईतेई से दोस्ती थी. उसने हमें बताया कि महिला-पुरुषों की भीड़ ने घर में घुसकर उनकी हत्या कर दी.’

पिता ने कहा, ‘मैं एक पुलिस अधिकारी के साथ मुर्दाघर गया. वहां डॉक्टर ने बताया कि मेरी बेटियों के साथ बलात्कार कर हत्या की गई है. मैंने पुलिस थाने में बलात्कार और हत्या की शिकायत दर्ज कराई थी. पुलिस ने मुझे यह नहीं बताया कि उन्होंने कोई कार्रवाई क्यों नहीं की. उन्होंने कहा कि उन्होंने शवों को जांच के लिए सुरक्षित रख लिया है.’

मामले की जानकारी रखने वाले अधिकारियों ने कहा कि दोनों महिलाओं के शव शहर के जवाहरलाल इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (जेआईएमएस) के शवगृह में हैं.

कथित अपराध 4 मई को इंफाल के मेईतेई बहुल कोनुंग मनांग इलाके में हुआ. मणिपुर में जातीय संघर्ष का यह दूसरा दिन था.

महिलाओं के पिता एक पादरी हैं. उन्होंने एफआईआर में कहा कि उन्हें संदेह है कि करीब 100-200 लोगों की यह भीड़ मेईतेई युवा संगठनों, मेईतेई लीपुन, कांगलीपर कांबा लुप (केकेएल), अरामबाई तेंगोल और वर्ल्ड मेईतई काउंसिल के सदस्यों की थी.

गौरतलब है कि हिंसा की कई शिकायतों में इन गुटों का नाम सामने आया है.

इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए महिलाओं के एक परिजन ने बताया कि उन्हें अब तक पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी नहीं मिली है.

यह मामला भी उन घटनाओं में से एक था जिन्हें दो कार्यकर्ताओं और नॉर्थ अमेरिकन मणिपुर ट्राइबल एसोसिएशन द्वारा 12 जून को वायरल वीडियो की घटना के साथ एक शिकायत के रूप में राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) को भेजा गया था.

हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, शिकायतकर्ताओं ने कहा है कि एनसीडब्ल्यू से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है, लेकिन आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने शुक्रवार को कहा कि उन्होंने पिछले तीन महीनों में कम से कम तीन बार राज्य के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) को लिखा, और प्राप्त सभी शिकायतें उन्हें भेज दीं, इनमें 12 जून की शिकायत भी शामिल थी, जिसमें कम से कम पांच अन्य उदाहरणों का विवरण था.

शर्मा ने कहा, ‘चूंकि शिकायत उन लोगों की थी जो मणिपुर में नहीं हैं और यहां तक कि देश में भी नहीं हैं, इसलिए हमें इसकी प्रामाणिकता को सत्यापित करना था. इसलिए हमने उन्हें सत्यापित करने के लिए राज्य में अधिकारियों से संपर्क किया, लेकिन कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली.’

इंफाल की दोनों महिलाओं के पिता ने जिन संगठनों का नाम लिया है, उनके नाम का उल्लेख 4 मई के बी फैनोम गांव के शर्मनाक यौन उत्पीड़न मामले में दर्ज एफआईआर में भी है.

महिलाओं के परिवार के साथ समन्वय कर रहे कुकी-ज़ो यूनिटी फ़ोरम के सदस्य हेजांग मिज़ाओ ने कहा, ‘दो महीने पहले परिवार के सदस्यों द्वारा पुलिस से संपर्क करने के बावजूद पुलिस ने इस मामले में भी कार्रवाई नहीं की है. वायरल वीडियो के कारण पुलिस को दूसरे मामले में कार्रवाई करने के लिए मजबूर होना पड़ा, लेकिन कई मामलों में कोई वीडियो नहीं है.’

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