केंद्रीय क़ानून मंत्री अर्जुन मेघवाल ने संसद में बताया कि केंद्र सरकार से जुड़े कुल लंबित मामलों की संख्या 6,36,605 है. इसमें से अकेले वित्त मंत्रालय 1,79,464 मुक़दमों में शामिल है. इन मुक़दमों पर वर्ष 2022-23 में 54.35 करोड़ रुपये ख़र्च किया गया था.
नई दिल्ली: देश की विभिन्न अदालतों में केंद्र सरकार से जुड़े 6,36,000 से अधिक मामले लंबित हैं. लंबित मामलों वित्त और रेलवे, सरकार के 56 मंत्रालयों में शीर्ष पर हैं, जहां इन मामलों से सबसे अधिक इन्हीं दोनों मंत्रालयों से जुड़े हैं. केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने शुक्रवार (21 जुलाई) को संसद में उठाए गए एक सवाल के जवाब में लोकसभा को यह जानकारी दी.
मेघवाल ने एक लिखित प्रतिक्रिया में कहा, कानूनी मामलों का विभाग, जो नोडल मंत्रालय है और सुप्रीम कोर्ट, उच्च न्यायालयों और न्यायाधिकरणों सहित अन्य अदालतों के समक्ष केंद्र सरकार की ओर से केस लड़ता है, इन मामलों की पैरवी पर कुल खर्च वर्ष 2022-23 में 54.35 करोड़ रुपये था.
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, बयान में कहा गया है कि 2018 से शुरू होकर पिछले पांच वर्षों में किया गया ऐसे मामलों पर कुल खर्च 272 करोड़ रुपये से थोड़ा अधिक है.
उनकी प्रतिक्रिया लोकसभा सांसद दुष्यंत सिंह द्वारा पूछे गए एक सवाल पर आई, जो यह जानना चाहते थे कि एक पक्ष के रूप में केंद्र सरकार से जुड़े मामलों का प्रतिशत, हर साल इन मामलों को चलाने में केंद्र द्वारा किया गया खर्च, इन मामलों की प्रकृति और वे अदालतें जहां वे लंबित हैं, वर्ष-वार विवरण के साथ इसमें शामिल मंत्रालय भी शामिल हैं.
मेघवाल ने संसद को सूचित किया कि उपरोक्त तरीके से अनुरोध किया गया डेटा सरकार द्वारा बनाकर नहीं रखा गया था. हालांकि, उन्होंने विभिन्न अदालतों और न्यायाधिकरणों के समक्ष सरकारी मुकदमे की निगरानी के लिए 2016 में कानूनी मामलों के विभाग द्वारा बनाए गए सरकार के वेब इंटरफेस ‘कानूनी सूचना प्रबंधन और ब्रीफिंग सिस्टम’ (एलआईएमबीएस) द्वारा एकत्र की गई जानकारी साझा की.
उन्होंने कहा कि एलआईएमबीएस द्वारा संकलित जानकारी के अनुसार, कुल मामलों की संख्या 6,36,605 है. इसमें से अकेले वित्त मंत्रालय 1,79,464 मुकदमों में शामिल है; रक्षा मंत्रालय 87,543 मामलों में शामिल है, श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के पास 80,117 मामले हैं, गृह मंत्रालय के पास 23,012 मामले हैं और शिक्षा मंत्रालय 17,000 से अधिक मामलों में एक पक्ष है, जो लंबित हैं.
देश में एक महत्वपूर्ण कार्यबल होने का दावा करने के बावजूद कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के पास मुकदमेबाजी के 3,665 मामले लंबित हैं, जबकि लक्जरी कंपनियों से निपटने वाले कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय के पास 10,426 मामले लंबित हैं.
संसद में उठाए गए सवाल में यह भी जानना चाहा गया था कि राष्ट्रीय मुकदमेबाजी नीति (एनएलपी) की स्थिति क्या है और क्या सरकार इसकी समीक्षा करने को इच्छुक है. मंत्री के जवाब में कहा गया कि एनएलपी को अभी अंतिम रूप दिया जाना बाकी है.