‘बेटी बचाओ’ पर नीति आयोग की सफलता रिपोर्ट के बावजूद कई राज्यों में लिंग अनुपात में गिरावट

केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, 2021-22 और 2022-23 के बीच कर्नाटक, दिल्ली, पंजाब, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, बिहार और हरियाणा सहित दर्जनभर से अधिक राज्यों में लिंग अनुपात में गिरावट देखी गई. 

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(प्रतीकात्मक फोटो साभार: Unicef India)

केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, 2021-22 और 2022-23 के बीच कर्नाटक, दिल्ली, पंजाब, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, बिहार और हरियाणा सहित दर्जनभर से अधिक राज्यों में लिंग अनुपात में गिरावट देखी गई.

(प्रतीकात्मक फोटो साभार: Unicef India)

नई दिल्ली: केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, 2021-22 और 2022-23 के बीच कर्नाटक, दिल्ली, पंजाब, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, बिहार और हरियाणा सहित दर्जनभर से अधिक राज्यों में लिंग अनुपात में गिरावट देखी गई.

रिपोर्ट के अनुसार, यह हाल तब है जब नीति आयोग में इसकी रिपोर्ट में ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ योजना को सफल बताया है. ज्ञात हो कि आयोग योजना की प्रगति के लिए जन्म के समय लिंग अनुपात को एक पैरामीटर के रूप में इस्तेमाल करता है.

डेक्कन हेराल्ड के अनुसार, लद्दाख देश का एकमात्र राज्य/केंद्र शासित प्रदेश है जहां लड़कियों की संख्या लड़कों से अधिक है. यहां लिंगानुपात 1,023 है.

रिपोर्ट बताती है कि राजस्थान, तेलंगाना, असम, केरल और उत्तर प्रदेश जैसे कुछ राज्यों में लिंगानुपात में सुधार देखा गया है.

कर्नाटक में लिंगानुपात 2020-21 के 949 से गिरकर 2021-22 में 940 हो गया, लेकिन 2022-23 में इसमें थोड़ा सुधार हुआ, जहां यह बढ़कर 945 हो गया.

2020-21 में दिल्ली में लिंगानुपात 927 था, जो 2021-22 में गिरकर 924 हो गया और 2022-23 में और गिरकर 916 हो गया. सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 2020-21 में पश्चिम बंगाल में लिंगानुपात 949 था, जो 2021-22 में 943 और फिर 2022-23 में 932 हो गया.

बिहार में लिंगानुपात 2020-21 के 917 से घटकर 2021-22 में 915 हो गया और फिर 2022-23 में और नीचे 895 पर पहुंच गया. चंडीगढ़ में भी लिंगानुपात में भारी गिरावट दर्ज की गई है. 2020-21 के 935 से बढ़कर 2021-22 में यह पहली बार 941 हुआ था, हालांकि 2022-23 में यह घटकर 902 हो गया.

हिमाचल में यह 2020-21 के 944 से गिरकर 2021-22 में 941 पहुंचा और 2022-23 में 932 हो गया.

रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर प्रदेश, असम और केरल जैसे राज्यों में लिंगानुपात में सुधार देखा गया है. यूपी में 2020-21 में 940 से गिरकर 2021-22 में यह संख्या 939 हो गई थी, लेकिन फिर 2022-23 में सुधरकर 944 हो गई.

असम में यह 2020-21 के 942 से बढ़कर 2021-22 में लिंगानुपात 944 हुआ और फिर 2022-23 में बढ़कर 951 हो गया. राजस्थान में लिंगानुपात (946) तीनों वर्षों में समान रहा.

अख़बार के अनुसार, कई राज्यों में मंत्रालय द्वारा योजना के लिए आवंटित धन की बड़ी मात्रा इस्तेमाल नहीं हुई थी.

उदाहरण के लिए, 2020-21 में, हरियाणा ने इसे आवंटित 249.83 लाख रुपये में से केवल 142.26 लाख रुपये का उपयोग किया. 2021-22 में उसने प्राप्त 162.8 लाख रुपये में से केवल 27.09 लाख रुपये इस्तेमाल किए.

दूसरी ओर, उत्तर प्रदेश ने 2020-21 में 742.60 लाख रुपये का उपयोग किया, हालांकि तब योजना के अंतर्गत 577.95 लाख रुपये जारी किए गए थे. लेकिन 2021-22 में उसने आवंटित 1,499.45 लाख रुपये में से केवल 162.89 लाख रुपये इस्तेमाल किए.