केंद्र सरकार द्वारा राज्यसभा में पेश किए गए आंकड़ों के मुताबिक, 2018 और 2023 के बीच उच्च शिक्षा संस्थानों में आत्महत्या करने वाले इन 98 छात्रों में से सबसे ज्यादा 39 आईआईटी से, 25 एनआईटी से और 25 केंद्रीय विश्वविद्यालयों से, चार आईआईएम से, तीन आईआईएसईआर से और दो आईआईआईटी से थे.
नई दिल्ली: केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने बुधवार (26 जुलाई) को संसद में बताया कि 2018 और 2023 के बीच उच्च शिक्षा संस्थानों (एचईआई) में आत्महत्या से 98 छात्रों की मौत हो गई और सबसे ज्यादा मामले आईआईटी से आए हैं.
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के राज्यसभा सदस्य वी. शिवदासन द्वारा पूछे गए एक सवाल का जवाब देते हुए केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री सुभाष सरकार ने पिछले पांच वर्षों में केंद्रीय विश्वविद्यालयों, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (आईआईटी), राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (एनआईटी), भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थानों (आईआईआईटी), भारतीय प्रबंधन संस्थानों (आईआईएम) और भारतीय विज्ञान शिक्षा तथा अनुसंधान संस्थानों (आईआईएसईआर) में आत्महत्या से मरने वाले छात्रों का आंकड़ा प्रस्तुत किया.
आंकड़ों के मुताबिक, आत्महत्या करने वाले इन 98 छात्रों में से 39 आईआईटी से, 25 एनआईटी से और 25 केंद्रीय विश्वविद्यालयों से, चार आईआईएम से, तीन आईआईएसईआर से और दो आईआईआईटी से थे.
आंकड़ों से पता चला कि 2023 में अब तक 20 मामले, 2022 में 24, 2021 और 2020 में सात-सात, 2019 में 19 और 2018 में 21 मामले सामने आए.
भारत में 23 आईआईटी परिसर, 31 एनआईटी, 56 केंद्रीय विश्वविद्यालय, 20 आईआईएम, 25 आईआईआईटी और सात आईआईएसईआर हैं.
पिछले वर्ष आईआईटी में छात्रों द्वारा की गईं आत्महत्याओं ने चिंता पैदा कर दी है.
सरकार ने कहा कि कोविड-19 के दौरान और उसके बाद मानसिक स्वास्थ्य और कल्याण के मुद्दे को हल करने के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने विभिन्न कदम उठाए हैं और उच्च शिक्षा संस्थानों को सलाह जारी की है.
केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री सुभाष सरकार ने कहा, ‘यूजीसी ने उच्च शिक्षा संस्थानों में शारीरिक फिटनेस, खेल, छात्रों के स्वास्थ्य, कल्याण, मनोवैज्ञानिक और भावनात्मक कल्याण को बढ़ावा देने के लिए दिशानिर्देश भी जारी किए हैं.’
उन्होंने आगे कहा कि मंत्रालय ने शैक्षणिक तनाव को कम करने के लिए छात्रों के लिए सहकर्मी सहायता प्राप्त शिक्षा, क्षेत्रीय भाषाओं में तकनीकी शिक्षा की शुरुआत जैसे कई कदम उठाए हैं.