शिक्षा मंत्रालय ने संसद में बताया कि 2019 और 2023 के बीच केंद्रीय विश्वविद्यालयों, आईआईटी, एनआईटी, आईआईएम और एनआईटी जैसे उच्च शिक्षण संस्थानों से पढ़ाई छोड़ने वाले छात्रों में लगभग आधे अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग श्रेणियों से संबंधित थे.
नई दिल्ली: केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने बुधवार को संसद में बताया कि 2019 और 2023 के बीच केंद्रीय विश्वविद्यालयों, आईआईटी, एनआईटी, आईआईएम और एनआईटी जैसे उच्च शिक्षण संस्थानों से 34,000 से अधिक छात्रों ने पढ़ाई छोड़ दी, जिनमें से लगभग आधे अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणियों से संबंधित थे.
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय जनता पार्टी के राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी द्वारा पूछे गए एक लिखित प्रश्न का उत्तर देते हुए केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री सुभाष सरकार ने उच्च शिक्षण संस्थानों से पढ़ाई छोड़ने वाले छात्रों की संख्या पर आंकड़ा प्रदान किया. हालांकि इस बात पर जोर दिया कि इनमें से अधिकांश छात्र स्नातकोत्तर और पीएचडी कार्यक्रमों से बाहर हो गए.
मंत्रालय द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार, पढ़ाई छोड़ने वाले कुल 34,035 छात्रों में से सबसे अधिक संख्या (17,454) केंद्रीय विश्वविद्यालयों में दर्ज की गई.
इसके बाद भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) में 8,139, राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी) में 5,623, भारतीय विज्ञान शिक्षा और अनुसंधान संस्थान (आईआईएसईआर) में 1,046, भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम) में 858, भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईआईटी) में 803 और योजना तथा वास्तुकला स्कूल (एसपीए) में 112 छात्रों ने पढ़ाई छोड़ दी.
निश्चित रूप से जहां अन्य सभी संस्थानों का आंकड़ा 2019-23 की अवधि के बीच का है, केंद्रीय विश्वविद्यालयों और एसपीए के मामले में यह चार साल 2019-2022 के बीच का है, जिसका अर्थ है कि पढ़ाई छोड़ने वाले छात्रों की संख्या प्रभावी रूप से प्रदान किए गए आंकड़े से अधिक होगी.
आंकड़ों से पता चलता है कि पढ़ाई छोड़ने वाले 32,186 छात्रों में से 17,454 या 52 प्रतिशत एससी (4423 छात्र), एसटी से 3774 छात्र और ओबीसी से 8602 छात्र थे.
अपने जवाब में सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों में प्लेसमेंट की पेशकश और अन्यत्र बेहतर अवसरों के लिए व्यक्तिगत प्राथमिकता को छात्रों के बीच में पढ़ाई छोड़ने के प्रमुख कारणों के रूप में उल्लेख किया.
मंत्री ने कहा, ‘स्नातक कार्यक्रमों में पढ़ाई छोड़ने का कारण गलत विकल्प भरना, खराब प्रदर्शन और व्यक्तिगत और चिकित्सीय कारण हैं.’
मंत्री ने आगे कहा कि उच्च शिक्षण संस्थानों ने पढ़ाई छोड़ने वाले छात्रों की संख्या को कम करने के लिए कई सुधारात्मक उपाय शुरू किए हैं, जिसमें छात्रों की शैक्षणिक प्रगति की निगरानी के लिए सलाहकारों की नियुक्ति, शैक्षणिक रूप से कमजोर छात्रों के लिए अतिरिक्त कक्षाओं का प्रावधान, सहकर्मी सहायता प्राप्त शिक्षण, छात्रों को तनाव मुक्त करने के लिए परामर्श, मनोवैज्ञानिक प्रेरणा और पाठ्येतर गतिविधियां शामिल हैं.