भारत चीनी कंपनियों के साथ व्यापार करने के लिए तैयार है: केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर

केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने चीन के साथ व्यापार को लेकर पूछे गए एक सवाल के जवाब में कहा है कि हम कहीं भी किसी भी कंपनी के साथ व्यापार करने के लिए तैयार हैं, जब तक वे निवेश कर रहे हैं और वैध तरीके से अपना कारोबार कर रहे हैं.

केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर. (फोटो साभार: पीआईबी)

केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने चीन के साथ व्यापार को लेकर पूछे गए एक सवाल के जवाब में कहा है कि हम कहीं भी किसी भी कंपनी के साथ व्यापार करने के लिए तैयार हैं, जब तक वे निवेश कर रहे हैं और वैध तरीके से अपना कारोबार कर रहे हैं.

केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर. (फोटो साभार: पीआईबी)

नई दिल्ली: केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने फाइनेंशियल टाइम्स को बताया कि चीन के साथ सीमा पर तनाव होने के बावजूद भारत चीनी कंपनियों के साथ व्यापार करने के लिए तैयार है.

फाइनेंशियल टाइम्स ने एक इंटरव्यू में चंद्रशेखर से पूछा, ‘क्या भारत चीनी कंपनियों के साथ व्यापार करने के लिए तैयार है?’ उन्होंने कहा, ‘बेशक हम (तैयार) हैं.’

उन्होंने कहा, ‘हम चीनी निवेश समेत सभी निवेश के लिए खुले हैं.’

उन्होंने कहा, ‘हम कहीं भी किसी भी कंपनी के साथ व्यापार करने के लिए तैयार हैं, जब तक वे निवेश कर रहे हैं और वैध तरीके से अपना कारोबार कर रहे हैं और भारतीय कानूनों का अनुपालन कर रहे हैं.’

चंद्रशेखर की टिप्पणी तब आई है जब नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार चीन पर भारत की निर्भरता में कटौती करने की कोशिश कर रही है. हालांकि, कई अध्ययनों से पता चला है कि चीनी सामान न केवल विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण हैं, बल्कि कुछ मामलों में भारतीय निर्माताओं द्वारा ‘वरीयता’ पर रखे जाते हैं.

राजनीतिक तनाव के बीच चीनी विस्तार में बाधा

साल 2020 में हुई गलवान घाटी की घटना, जिसमें एक कर्नल सहित कम से कम 20 भारतीय जवान शहीद हो गए थे – के बाद भारत ने टिकटॉक, वीचैट और कैम स्कैनर सहित कई चीनी ऐप्स पर प्रतिबंध लगा दिया था.

यह 45 वर्षों में चीन के साथ सबसे घातक सीमा संघर्ष था, जिसके कारण उसके साथ महीनों तक सैन्य गतिरोध बना रहा.

हालांकि, खराब संबंधों के बावजूद भारत चीन से आयात पर अपनी निर्भरता में कटौती नहीं कर पाया है.

फाइनेंशियल टाइम्स की रिपोर्ट में कहा गया है कि ‘भारत ने सीमावर्ती देशों से विदेशी निवेश पर भी अपनी नीति कड़ी कर दी है, जिसके लिए अब केंद्र सरकार की मंजूरी लेनी आवश्यक है.’

रिपोर्ट में कहा गया है कि चंद्रशेखर ने जोर देकर कहा कि यह प्रक्रिया व्यक्तिगत रूप से चीन को लक्षित नहीं करती थी और पाकिस्तान, बांग्लादेश एवं नेपाल सहित ‘पड़ोस के’ अन्य देशों पर भी लागू होती थी.

उन्होंने कहा, ‘भरोसेमंद हार्डवेयर, भरोसेमंद उपकरण, भरोसेमंद इलेक्ट्रॉनिक्स इकोसिस्टम की अवधारणा उसी समय सामने आई थी.’

उन्होंने कहा कि मुझे नहीं लगता कि इसमें कोई बहुत अनोखी बात है या इसका गलवान से कोई लेना-देना है.

यह बयान चीनी एफडीआई पर भारत की सख्ती के बीच भी आया है; बिजनेस टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2020-21 के बाद से चीन के 58 एफडीआई आवेदनों को खारिज कर दिया गया है, वित्त वर्ष 2022 में अस्वीकृतियों की संख्या 33 के सर्वकालिक उच्च स्तर को छू गई.

रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन के केवल तीन निवेश प्रस्तावों को भारत से हरी झंडी मिली है.

ब्लूमबर्ग ने मामले की जानकारी रखने वाले लोगों का हवाला देते हुए बताया कि इसके अलावा भारत ने एक स्थानीय कंपनी के साथ साझेदारी में एक बिलियन डॉलर का इलेक्ट्रिक-वाहन संयंत्र बनाने के चीनी कार निर्माता बीवाईडी (BYD) कंपनी के प्रस्ताव को खारिज कर दिया है.

अस्वीकृत प्रस्ताव पर खबरों के बावजूद स्थिति की प्रत्यक्ष जानकारी रखने वाले एक शख्स ने फाइनेंशियल टाइम्स को बताया कि आवेदन ‘अभी भी लंबित (और) वैध’ है.

ऐप्पल के एक महत्वपूर्ण चीनी आपूर्तिकर्ता लक्सशेयर ने घरेलू भागीदार के साथ भारत में एक कारखाना बनाने की अनुमति के लिए आवेदन किया है. यह जानकारी फाइनेंशियल टाइम्स की रिपोर्ट में कंपनी के करीबी लोगों और भारत सरकार के अधिकारियों के हवाले से दी गई है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय अधिकारियों ने बताया है कि परियोजना को अभी तक मंजूरी नहीं मिली है.

इस रिपोर्ट को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.

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